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Akshaya Tritiya 2022: अक्षय तृतीया के दिन ऐसा क्या हुआ था, कि ये पर्व बन गया, जानिए इसके पीछे की कहानी

नई दिल्ली। हिन्दू धर्म के मुख्य त्योहारों में से एक अक्षय तृतीया का पर्व आज है। आज यानी 3 मई को अक्षय तृतीया का पर्व पूरे देश में मनाया जा रहा है। भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को समर्पित ये पर्व लोगों के जीवन में सौभाग्य और समृद्धि लाने के साथ-साथ सभी मनोकामनाओं की पूर्ति भी करता है। इस दिन सोना और संपत्ति खरीदना काफी शुभ माना जाता है। देश में इसे आखा तीज या अक्षय तीज के नाम से भी जाना जाता है। क्या आप जानते हैं कि इस दिन को मनाने का कारण क्या है? इस दिन कई शुभ पौराणिक घटनाएं घटीं थी, जिसकी वजह से इस पर्व को काफी खास महत्व दिया जाता है। तो आइये जानते हैं कौन सी हैं वो घटनाएं…

1.अक्षय तृतीया के दिन से ही महर्षि वेदव्यास ने महाभारत लिखने की शुरूआत की थी।

2.इसी दिन मां गंगा स्वर्ग से पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं।

3.कहा जाता है इसी दिन माता अन्नपूर्णा का जन्म हुआ था।

4.ऐसी मान्यता है कि अक्षय तृतीय के दिन ही सतयुग और त्रेता युग का आरंभ हुआ था।

5.द्वापर-युग और महाभारत युद्ध का समापन भी इसी तिथि को हुआ था।

6.भगवान विष्णु के नर नारायण अवतार, परशुराम जी ने इसी दिन पृथ्वी पर धरा अवतार लिया है।

7.जैन धर्म में भी इस पर्व का विशेष महत्व है। जैन धर्म के पहले प्रवर्तक ऋषभदेव जी महाराज ने कई सालों तक तपस्या करने के बाद इसी दिन गन्ने के रस से अपने व्रत का पारण किया था।

अक्षय तृतीया के दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। पूजा में अक्षत, हल्दी और कुमकुम भगवान विष्णु को अर्पित किया जाता है। पूजा के उपरान्त प्रसाद का वितरण किया जाता है और गेहूं के सत्तू , ककड़ी , खीरा, चने की दाल आदि का दान किया जाता है।

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। Newsroompost इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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