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Nag Panchami 2022: इस बार कब पड़ रही नाग-पंचमी?, जानिए क्या है इसकी पौराणिक कथा?

नई दिल्ली। हिंदू धर्म में न केवल देवी-देवताओं और महापुरुषों की पूजा करने की प्रथा है, बल्कि प्रकृति की भी उतनी ही श्रद्धा और भक्ति से पूजा की जाती है। जैसे वट-सावित्री, छठ-पूजा, करवा-चौथ आदि। वट-सावित्री के दिन सुहागिनें व्रत रखकर बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं तो छठ-पूजा और करवा-चौथ में सूर्य-चंद्रमा की। इतना ही नहीं हिंदू धर्म में जीव-जंतुओं की पूजा करने का भी प्रावधान। उन्हीं त्योहारों में से एक त्योहार है- नाग-पंचमी, जब नागों की पूजा और उनका संरक्षण किया जाता है। ये पर्व इस साल 2 अगस्त 2022 को मनाया जाएगा। इस दिन नाग पंचमी के दिन नागों और सर्पों के पूजन और संरक्षण करने का प्रावधान है. नाग पंचमी के दिन को काल सर्प दोष और राहु-केतु से संबंधित दोषों का निवारण करने के उद्देश्य से काफी शुभ माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं, इस पर्व का इतिहास क्या है? और इसे मनाने की परंपरा कब से शुरू हुई? आइए जानते हैं…

नाग-पंचमी की पौराणिक कथा

एक बार की बात है। एक किसान खेत में हल जोत रहा था। इस दौरान एक नागिन के तीन बच्चे उसके हल के नीचे आ गए और उनकी मौत हो गई। नागिन दुखी होकर पहले तो कई दिनों तक विलाप करती रही, लेकिन फिर उसने अपनी संतान के हत्यारे से बदला लेने की ठानी और उसी दिन रात के समय किसान, उसकी पत्नी और दोनों बेटों को डस लिया। इसके बाद अगले दिन वो नागिन किसान की बेटी को मारने के इरादे से बाहर निकली तो उस लड़की ने उसके सामने दूध से भरा कटोरा रख दिया और हाथ जोड़ कर क्षमा मांगने लगी।

लड़की के इस प्रयास से नागिन प्रसन्न हो गई और उसके पूरे परिवार को दोबारा जीवित दिया। उस दिन से नाग को दूध पिलाकर उसकी पूजा करने की प्रथा बन गई। यही वजह है कि नाग पंचमी के दिन भूमि की खुदाई करने की मनाही है।

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