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Kali Chaudas 2022: कब मनाया जाएगा काली चौदस का पर्व?, जानिए शुभ-मुहूर्त और पूजा-विधि

Kali Chaudas 2022: नरक चौदस के दिन तिल का प्रयोग कर अभ्यंग स्नान करने की भी सलाह दी जाती है। काली चौदस पर माता काली अपने शक्तिशाली रूप में होती हैं इसलिए ये रात तंत्र साधना के लिए बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। तो आइए जानते हैं क्या है इसका शुभ मुहूर्त, तिथि, और महत्व...

नई दिल्ली। हर साल दिवाली से पहले काली चौदस का त्योहार मनाया जाता है। ये त्योहार कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी को पड़ता है। मां काली को समर्पित इस पर्व को नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। बंगाल राज्य में काली चौदस के त्योहार को मां काली के जन्मदिन के रूप में भी मनाया जाता है। कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन दीपक जलाकर पूरी श्रद्धा से मां काली की पूजा करता है उसे कई परेशानियों से छुटकारा मिल जाता है। इसके अलावा, दिवाली से पहले रूप चौदस पर घर के कई हिस्सों में यम दीप जलाते हैं साथ ही यमराज के लिए दीपदान करने का भी नियम है। कहा जाता है कि ऐसा करने से सभी नकारात्मक ऊर्जाएं इसी यम दीप में जल जाती हैं। नरक चौदस के दिन तिल का प्रयोग कर अभ्यंग स्नान करने की भी सलाह दी जाती है। काली चौदस पर माता काली अपने शक्तिशाली रूप में होती हैं इसलिए ये रात तंत्र साधना के लिए बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। तो आइए जानते हैं क्या है इसका शुभ मुहूर्त, तिथि, और महत्व…

शुभ-मुहूर्त

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि- 23 अक्टूबर 2022, रविवार की शाम 06:03 मिनट से 24 अक्टूबर 2022, सोमवार, शाम 05:27 मिनट तक

काली चौदस की रात को ही मां काली की पूजा की जाती है इसलिए 23 अक्टूबर 2022 की मध्यरात्रि में माता की पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ है।

काली चौदस 2022 शुभ-मुहूर्त- 23 अक्टूबर 2022, रविवार की रात 11:46 से 24 अक्टूबर 2022, सोमवार की सुबह 12:37 तक।

उदयातिथि के अनुसार, नरक चतुर्दशी का पर्व 24 अक्टूबर 2022 को मनाया जाएगा।

पूजा-विधि

1.काली चौदस की पूजा से पहले अभ्यंग स्नान करने का नियम है। कहा जाता है कि ऐसा करने से व्यक्ति को मरने के बाद नरक में नहीं जाना पड़ता है।

2.अभ्यंग स्नान करने के बाद शरीर पर परफ्यूम लगाकर पूजा में बैठना चाहिए।

3.पूजा के लिए पूजा स्थल पर एक चौकी स्थापित करें।

4. अब इस पर मां काली की मूर्ति स्थापित करें।

5. मां काली की स्थापना करने के बाद उनके समक्ष दीप जलाएं।

6. अब मां काली को हल्दी, कुमकुम, कपूर, नारियल अर्पित करें।

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