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Govardhan Puja 2023: आखिर क्यों 13 नहीं 14 नवंबर को की जा रही गोवर्धन पूजा? जानें शुभ मुहूर्त और इस त्योहार से जुड़ी अहम जानकारी

नई दिल्ली। हर साल दिवाली के अगले दिन कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजा की जाती है। लेकिन इस साल ऐसा नहीं हुआ है। दरअसल, 12 नवंबर को दिवाली के दूसरे दिन 13 नवम्बर को दोपहर 2 बजकर 57 मिनट तक अमावस्या की तिथि थी। इस साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 13 नवंबर की दोपहर दो बजकर 56 मिनट से हुई। तिथि का समापन 14 नवंबर को 2 बजकर 36 मिनट पर होगा। 14 नवंबर को उदया तिथि में प्रतिपदा होने के कारण इस साल गोवर्धन पूजा 14 नवंबर को की जाएगी। उदया तिथि के अनुसार गोवर्धन पूजा 14 नवंबर की सुबह 6 बजकर 37 मिनट से आठ बजकर 46 मिनट तक होगी। दीपावली के बाद होने वाला अन्नकूट भी 14 नवंबर को ही मनाया जाएगा

श्रीकृष्ण ने तोड़ा था इंद्र का घमंड

शास्त्रों में इस दिन बलि की पूजा, गोवर्धन पूजा, गौ-पूजा, अन्नकूट होता है। इस दिन वरूण, इन्द्र, अग्निदेव आदि देवताओं की पूजा करने की परंपरा है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार एक बार देवराज इंद्र ने कुपित होकर सात दिन की वर्षा की अखंड झड़ी लगा दी। जिसके बाद भगवान श्री कृष्ण ने देवराज इंद्र का घमंड तोड़ने के लिए गोवर्धन लीला की। श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठ अंगुली पर उठाकर ब्रज को बचा लिया तथा इंद्र को लज्जित होने के पश्चात् उनसे क्षमायाचना करनी पड़ी।

गोवर्धन पूजा का महत्व

गोवर्धन पूजा को प्रकृति के पूजन का प्रतिक माना जाता है। भगवान श्री कृष्ण ने सदियों पहले ये संदेश दिया था कि मनुष्य तभी सुखी रह सकता है जब वह प्रकृति को प्रसन्न रखे। प्रकृति को ही ईश्वर मानें और ईश्वर की तरह इसकी पूजा करे, हर हाल में प्रकृति की रक्षा करे।

इस बार गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त

इस साल 14 नवंबर को होने वाले गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 35 मिनट से सुबह 8 बजे तक रहेगा। साथ ही इस दिन शोभन योग, पराक्रम योग, वाशी और सुनफा योग भी है। यह पूजा पाठ और मांगलिक कार्यों के लिए शुभ फलदायी है आज के दिन विधि-विधान से गोवर्धन भगवान की पूजा करने से सालों भगवान श्री कृष्ण की कृपा बनी रहती है। भगवान श्री कृष्ण का अधिक से अधिक ध्यान करें। इस दिन भगवान को 56 भोग लगाने की परंपरा भी है।

ऐसे करें पूजा

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