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Putrada Ekadashi 2021: क्यों मनाई जाती है पुत्रदा एकादशी, जानें महत्व

नई दिल्ली। पुत्रदा एकादशी (Putrada Ekadashi) का हिंदू धर्म में अलग महत्व होता है। अगर किसी दंपत्ति को संतान नहीं है तो वो इस दिन व्रत रख भगवान विष्णु (Lord Vishnu) से संतान की मांग कर सकते हैं। इस बार पुत्रदा एकादशी 18 अगस्त को पड़ रही है। इस दिन भगवान विष्णु की पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है। जो भी भक्त ये व्रत करते हैं वो दशमी तिथि की रात से ही व्रत का नियम मानना शुरू कर देते हैं। मान्यता है कि दशमी की शाम के बाद से भोजन नहीं करना चाहिए। कहा जाता है कि इस व्रत को करने से कई प्रकार के लाभ होते हैं। जो भी सच्चे मन से उनकी पूजा करता है श्रीहरि प्रसन्न हो कर अपने भक्तों तो मनवांछित फल देते हैं।

पुत्रदा एकादशी का क्या महत्व है?

पुत्रदा एकादशी का मतलब पुत्र से होता है। संस्कृत शब्द ‘पुत्र’ से लिया गया है पुत्रदा नाम, जिसका अर्थ है ‘पुत्र’ और ‘अदा’ जिसका अर्थ है ‘देना’। इसका मतलब ये है कि इस व्रत को करने से पुत्र की प्राप्ति होती है। ऐसे में जिन दंपत्ति को पुत्र की प्राप्ती नहीं होती है तो वो ये व्रत कर सकते हैं। मान्यता है कि ये त्योहार विवाहित जोड़े द्वारा मनाया जाता है, जिनको विवाह के बाद भी काफी लंबे समय तक पुत्र नहीं होता है।

पुत्रदा एकादशी व्रत करने से लाभ

पुत्रदा एकादशी व्रत करने से लाभ होते हैं।

पुत्र सुख की प्राप्ति के लिए ये व्रत किया जाता है।

मरने के बाद माता-पिता का श्राद्ध पुत्र द्वारा किया जाता है।

पुत्रदा एकादशी पूजा का शुभ मुहूर्त

एकादशी तिथि प्रारम्भ – अगस्त 18, 2021 को 03:20 ए एम बजे

एकादशी तिथि समाप्त – अगस्त 19, 2021 को 01:05 ए एम बजे

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