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Indira Ekadashi 2022: पितृपक्ष की एकादशी क्यों होती है खास?, जानिए इस व्रत का शुभ-मुहूर्त और पूजा विधि

नई दिल्ली। सनातन धर्म में एकादशी का विशेष महत्व होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर माह दो एकादशी पड़ती है। एक एकादशी शुक्ल पक्ष में और दूसरी कृष्ण पक्ष में आती है। इस समय आश्विन आज कृष्ण पक्ष की एकादशी है। पितृ पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को इंदिरा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु जी की पूजा-अर्चना करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इंदिरा एकादशी का व्रत रखने से पितरों को मुक्ति प्राप्त होती है। ऐसी मान्यता है कि किसी पाप कर्म के चलते अगर आपके पितृ नरक की यातना भुगत रहे हैं तो इस व्रत के प्रभाव से पितरों को भी मोक्ष मिल जाता है। तो आइए आपको बताते हैं इंदिरा एकादशी का शुभ मुहूर्त क्या है साथ ही जानेंगे इसकी पूजा-विधि के विषय में…

शुभ-मुहूर्त

एकादशी तिथि की शुरूआत 20 सितंबर की रात 09 बजकर 26 मिनट पर हो जाएगी, जो 21 सितंबर की रात 11 बजकर 34 मिनट तक बनी रहेगी। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, इंदिरा एकादशी का व्रत आज यानी 21 सितंबर को रखा जाएगा।

पूजा का शुभ-मुहूर्त-

सुबह 08 बजकर 11 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 30 मिनट तक

पारण का मुहूर्त-

22 सितंबर सुबह 06 बजकर 09 मिनट से लेकर 08 बजकर 35 मिनट तक।

पूजन विधि-

1.इंदिरा एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि करने के बाद व्रत का संकल्प लें।

2.पूजा स्थल को साफ कर गंगाजल छिड़ककर उसे पवित्र करें।

3.अब यहां एक चौकी स्थापित करें।

4.इस चौकी पर पीले रंग का कपड़ा बिछाएं।

5.इस चौकी पर भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरूप या नारायण जी की तस्वीर को स्थापित करें।

6.अब उनके सामने दीप जलाएं।

7.भगवान को चंदन या कुमकुम का तिलक लगाएं।

8.विष्णु जी को पीले फूलों की माला और तुलसी की पत्ती अर्पित करें।

9.अब भगवान का ध्यान करते हुए इंदिरा एकादशी व्रत कथा सुनें या पढ़ें।

10.इस दिन विष्णु चालीसा, विष्णु स्तुति और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना भी शुभ होता है।

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। Newsroompost इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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