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Rangbhari Ekadashi 2022: फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को क्यों होती है भगवान शिव की पूजा?, जानें महत्व

नई दिल्ली। सनातन धर्म में हिंदू पंचांग की ग्यारहवीं तिथि को ‘एकादशी’ कहा जाता है। एकादशी महीने में दो बार आती है। पहली पूर्णिमा के बाद और दूसरी अमावस्या के बाद। पूर्णिमा के बाद आने वाली एकादशी ‘कृष्ण पक्ष की एकादशी’ और अमावस्या के बाद आने वाली एकादशी ‘शुक्ल पक्ष की एकादशी’ कहलाती है। दोनों ही तरह की एकादशियों का हिंदू धर्म में बहुत महत्व होता है। वैसे से तो एकादशी का व्रत भगवान विष्णु जी को समर्पित है। फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी साल की अकेली ऐसी एकादशी है, जिसमें भगवान शिव की पूजा की जाती है। ये एकादशी ‘रंगभरी एकादशी’ के नाम से जानी जाती है। रंगभरी एकादशी इस बार एकादशी 13 मार्च को पड़ रही है। होली से ठीक 6 दिन पहले रविवार के दिन रंगभरी एकादशी मनाई जाएगी।

इस दिन काशी में शिव-भक्त बड़े धूम-धाम इस त्योहार को मनाते हैं। कहा जाता है कि इस दिन भगवान शंकर मां पार्वती का गौना कराकर काशी लाए थे। यही वजह है कि इस दिन काशी में मां पार्वती का रंग-गुलाल उड़ाकर भव्य स्वागत किया जाता है। 6 दिन तक चलने वाले इस पर्व पर भगवान शंकर के साथ-साथ आंवले के पेड़ की भी पूजा की जाती है, इसलिए रंगभरी एकादशी को ‘आमलकी एकादशी’ भी कहते हैं। इस दिन पूजा करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। भक्तों को अच्छे स्वास्थ्य और सौभाग्य की भी प्राप्ति होती है। इसके अलावा इस दिन सोने या चांदी से बनी अन्नपूर्णा की मूर्ति के दर्शन करना भी काफी शुभ माना जाता है।

रंगभरी एकादशी का शुभ मुहूर्त

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार रंगभरी एकादशी का आरंभ 13 मार्च सुबह 10:21 मिनट से शुरू हो जाएगा, जो 14 मार्च सुबह 12:05 मिनट तक रहेगा। वहीं, पूजन का शुभ मुहूर्त दोपहर 12:07 मिनट से दोपहर 12:54 मिनट तक बना रहेगा। सर्वार्थ सिद्धि योग 13 मार्च को प्रात: 06:32 मिनट से शुरू होकर रात 10:08 मिनट तक रहेगा, जबकि पुष्य नक्षत्र रात 10:08 मिनट तक रहेगा।

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