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Chhath Puja 2022: छठ पूजा के तीसरे दिन क्यों देते है डूबते सूर्य को अर्घ्य, जानें इसका महत्व

नई दिल्ली। छठ पूजा बिहारियों के लिए एक इमोशन है। इस दिन का हर बिहारी बेसब्री से इंतजार करता हैं। बिहारवासियों का पावन त्योहार छठ पूजा की शुरुआत हो चुकी है। छठ पूजा बिहारियों का महा पर्व है। यह पावन पर्व दीपावाली के ठीक 6 दिन बाद होती हैं। छठ के व्रत को सबसे कठिन व्रत कहा गया हैं। छठ पूजा 4 दिन का मनाए जाने वाला त्योहार हैं, जिसके पहले दिन नहाए खाए होता है, दूसरा दिन खरना के रूप में मनाया जाता है। उसके बाद तीसरे दिन शाम को अर्घ्य दिया जाता हैं, फिर सुबह अर्घ्य दिया जाता हैं। आइए हम आपको खरना वाले दिन क्या होता है और इसका क्या महत्व है इसके बारे में पूरी जानकारी देते हैं-

इस पर्व का तीसरा दिन संध्या अर्घ्य के लिए होता है जिसमें व्रत करने वाली महिलाएं पानी के अंदर जाकर डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इस दौरान महिलाएं दूध और पानी से सूर्य भगवान को अर्घ्य देती हैं। साथ ही सूर्य भगवान को पारंपरिक प्रसाद चढ़ाती हैं। इस दिन महिलाएं अपने परिवार, बच्चों की लंबी उम्र की प्रार्थना करती है और घर में सुख समृद्धि की मांग करती हैं। छठी मैया व्रत करने वाली महिलाओं के परिवार और संतान को लंबी आयु और सुख समृद्धि का वरदान देती है।

छठ के तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है, इसे संध्या अर्घ्य भी कहा जाता हैं। ऐसी मान्यता है कि इस वक्त सूर्य भगवान अपनी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहती हैं। इसलिए इस दौरान सूर्य भगवान की पत्नी प्रत्यूषा को भी अर्घ्य देने का स्वभाव मिलता है। मान्यता है कि शाम को सूर्य उपासना से संपन्नता आती है और इसके साथ ही  व्रत करने वाली महिलाओं की सारी मनोकामना पूरी होती हैं। सूर्य को अर्घ्य देने से कुंडली में भी सूर्य की स्थिति मजबूत होती हैं।

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