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Navratri 6th Day: नवरात्रि के छठे दिन इस तरह करें देवी कात्यायनी की उपासना, जानें पूजाविधि और स्तुति मंत्र

Navratri 6th Day: सिंह पर सवार माता कात्यायनी की चार भुजाएं हैं, इनके बायें हाथ में कमल और तलवार वहीं दाहिनें हाथों में स्वास्तिक व आशीर्वाद की मुद्रा अंकित है। बता दें कि, पौराणिक मान्यताओं के अनुसार बृज की गोपियों ने भगवान कृष्ण को पाने के लिए कालिंदी नदी के तट पर माता कात्यायनी की ही पूजा की थी। ये ब्रज मंडल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में प्रतिष्ठित हैं।

नई दिल्ली। इन दिनों नवरात्रि का पावन पर्व चल रहा है। हिन्दू धर्म मे इस त्यौहार का काफी महत्त्व है। नौ दिनों तक चलने वाले इस पावन पर्व में देवी दुर्गा की उपासना की जाती है। हर दिन मां दुर्गा के अलग-अलग रूप की पूजा की जाती है। दुर्गा पूजा के छठवें दिन देवी कात्यायनी की उपासना की जाती है। इस दिन देवी के साधक का मन ‘आज्ञा चक्र’ में विराजमान होता है। इस आज्ञा चक्र का योग साधना में महत्वपूर्ण स्थान है। इस चक्र में स्थित मन वाला साधक मां कात्यायनी के चरणों में अपना सर्वस्व संपर्पित कर देता है। मां के प्रति इस तरह की सच्ची निष्ठा रखने से मां कात्यायनी का आशीर्वाद अवश्य प्राप्त होता है।

मां का स्वरूप

मां कात्यायनी का स्वरुप अत्यंत भव्य और दिव्य है। इनका वर्ण सोने के समान चमकीला है। सिंह पर सवार माता कात्यायनी की चार भुजाएं हैं, इनके बायें हाथ में कमल और तलवार वहीं दाहिनें हाथों में स्वास्तिक व आशीर्वाद की मुद्रा अंकित है। बता दें कि, पौराणिक मान्यताओं के अनुसार बृज की गोपियों ने भगवान कृष्ण को पाने के लिए कालिंदी नदी के तट पर माता कात्यायनी की ही पूजा की थी। ये ब्रज मंडल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में प्रतिष्ठित हैं।

कौन हैं मां कात्यायनी

कत नामक एक प्रसिद्द महर्षि थे,उनके पुत्र ऋषि कात्य हुए। इन्हीं कात्य के गोत्र में विश्व प्रसिद्द महर्षि कात्यायन उत्पन्न हुए थे। इन्होने भगवती पराम्बा की उपासना करते हुए बहुत वर्षों तक बड़ी कठिन तपस्या की थी। उनकी इच्छा थी कि मां भगवती उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लें। मां भगवती ने उनकी यह प्रार्थना स्वीकार कर ली। कुछ काल पश्चात जब दानव महिषासुर का अत्याचार पृथ्वी पर बहुत अधिक बढ़ गया था तब भगवान ब्रह्मा,विष्णु, महेश तीनों ने अपने-अपने तेज़ का अंश देकर महिषासुर के विनाश के लिए एक देवी को प्रकट किया। महर्षि कात्यायन ने सर्वप्रथम इनकी पूजा की और देवी इनकी पुत्री कात्यायनी कहलाईं।

पूजाविधि

नवरात्रि के छठे दिन भी पहले कलश और बाद में मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। पूजा की विधि शुरू करने पर हाथों में सुगन्धित पुष्प लेकर देवी को प्रणाम कर देवी के मंत्र का ध्यान करना चाहिए। मां को श्रृंगार की सभी वस्तुएं अर्पित करें। मां कात्यायनी को शहद बहुत प्रिय है इसलिए इस दिन मां को भोग में शहद अर्पित करें। देवी की पूजा के साथ भगवान शिव की भी पूजा करनी चाहिए।

पूजा फल

देवी भागवत पुराण के अनुसार देवी के इस स्वरूप की पूजा करने से शरीर कांतिमान हो जाता है। इनकी आराधना से गृहस्थ जीवन सुखमय रहता है। मां कात्यायिनी की भक्ति और उपासना द्वारा मनुष्य को बड़ी सरलता से अर्थ, धर्म, काम,मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति हो जाती है। उसके रोग,शोक, संताप और भय आदि सर्वथा नष्ट हो जाते हैं।

किनको होगा लाभ

जिनके विवाह में विलम्ब हो रहा हो या जिनका वैवाहिक जीवन सुखी नहीं है वे जातक विशेष रूप से मां कात्यायिनी की उपासना करें,लाभ होगा।

स्तुति मंत्र

देवी कात्यायनी की पूजा के लिए आप इस स्तुति मंत्र का जाप करें- ‘या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
चंद्र हासोज्जवलकरा शार्दूलवर वाहना| कात्यायनी शुभंदद्या देवी दानवघातिनि||’

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