गत रविवार को बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण पर एक पत्रकार ने हवाला दिया कि सूत्रों के अनुसार मतदाता सूची में विदेशियों के नाम हैं। इस पर लालू प्रसाद यादव के छोटे सुपुत्र तेजस्वी यादव ने कहा कि वह ऐसे सूत्रों को मूत्र मानते हैं। ये वहीं सूत्र हैं जिन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान लाहौर, कराची और इस्लामाबाद पर कब्जा घोषित कर दिया था। चुनाव आयोग सामने आने की बजाए खबर प्लांट करा रहा है।
पिछले महीने पटना स्थित राजद कार्यालय में तेजस्वी यादव ने मीडिया के सामने कहा था कि हमें पॉकेट मार पीएम नहीं चाहिए। नीतीश कुमार को उन्होंने अचेत मुख्यमंत्री बता दिया था। कभी लालू यादव ने बिहार की सड़कों को हेमा मालिनी के गालों जैसा बनाने की बात कही थी। इस पर काफी विवाद भी हुआ था। पिछले साल दिसंबर में लालू प्रसाद यादव ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ‘महिला संवाद’ यात्रा पर सवाल उठाते हुए कहा कि वह नैन सेंकने जा रहे हैं। इसके बाद वह सरकार बनाएंगे। कुंभ को लेकर एक पत्रकार द्वारा पूछे गए प्रश्न पर भी वह भड़क उठे थे और कुंभ को उन्होंने फालतू बता दिया था।
लालू प्रसाद यादव समेत उनके परिवार में ऐसा शायद ही कोई सदस्य हो जिसका विवादों से नाता न रहा हो। हाल ही में उनके बड़े बेटे तेज प्रताप यादव का एक फोटोग्राफ सामने आया था, जिसमें एक अनुष्का यादव नाम की एक युवती के साथ नजर आए थे। उनका तलाक का मामला पहले से ही न्यायालय में चल रहा है। यह फोटो सामने आने पर कहीं उनका वोट बैंक न छिटक जाए इस डर से लालू प्रसाद यादव ने उनके रवैये को गैर-जिम्मेदार और आचरण के विरुद्ध बताते हुए उन्हें पार्टी से छह सालों के लिए निष्कासित करने और परिवार द्वारा संबंध तोड़ने की घोषणा की। तेज प्रताप सोशल मीडिया पर भी कई बार उटपटांग पोस्ट लिखने के चलते चर्चा में रहते हैं।
जब लालू मुख्यमंत्री थे तो चारा घोटाले में उन्हें जेल जाना पड़ा था। जेल जाने से पहले उन्होंने अपनी पत्नी को बिहार का मुख्यमंत्री बना दिया था। लालू के शासनकाल को बिहार में जंगल राज की संज्ञा दी गई थी। पिछले साल प्रवर्तन निदेशालय द्वारा लालू की बेटी मीसा भारती के फार्म हाउस पर छापेमारी की गई थी। इस फार्म हाउस को फर्जी कंपनियों से हुई आय से खरीदने के आरोप हैं। इस मामले में जांच अभी चल रही है। लालू प्रसाद यादव के रेल मंत्री रहते हुए जमीन के बदले नौकरी देने के मामलों में उनके परिवार के कई लोगों के खिलाफ जांच चल रही है। इस संबंध में लालू, उनके बेटे तेजस्वी यादव और परिवार के अन्य सदस्यों के खिलाफ आरोप पत्र भी दाखिल हो चुके हैं क्योंकि जमीन उनके परिवार के कई सदस्यों के नाम पर है।
लालू परिवार के लगभग हर सदस्य पर या तो कोई जांच चल रही है, या कोई विवाद जुड़ा हुआ है। चारा घोटाले से लेकर जमीन के बदले नौकरी घोटाले तक और फर्जी कंपनियों से आय अर्जित कर संपत्ति अर्जित करने के मामलों तक लालू परिवार पर आरोप हैं। तेजस्वी यादव ‘सूत्र-मूत्र’ जैसा बयान जब देते हैं, तो उन्हें ध्यान रखना चाहिए कि राजनीति में हर शब्द याद रखा जाता है। बिहार विधानसभा चुनावों में यदि वह अपने परंपरागत वोट बैंक के जरिए सत्ता में आने की सोच रहे हैं तो उन्हें भ्रम में नहीं रहना चाहिए, क्योंकि बिहार अब वो बिहार नहीं रहा जो 1990 के दशक में था। समय बदल चुका है, बिहार के युवा प्रखर होकर अब सवाल पूछते हैं, निर्णय लेते हैं। तेजस्वी को राजनीति करने से पहले राजनीतिक व्यवहार की शिक्षा लेने की जरूरत है।
डिस्कलेमर: उपरोक्त विचार लेखक के निजी विचार हैं ।