News Room Post

मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के लिए कोर्ट की मुहर, बिहार चुनावों से पहले एसआईआर पर इंडी गठबंधन का झूठ हुआ फुस्स !

कौन-सी साजिश रची जा रही है, यह राहुल गांधी नहीं बताएंगे, क्योंकि ऐसा कुछ है ही नहीं। वोट चोरी का आरोप राहुल गांधी इसलिए लगा रहे हैं, क्योंकि यदि सही तरीके से मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण हुआ तो घुसपैठिए मतदाता सूची से बाहर हो जाएंगे।

चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची पुनरीक्षण किए जाने को लेकर जो आपत्ति इंडी गठबंधन के नेताओं ने जताई थी, उस पर सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट कर दिया है कि आयोग को मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (स्पेशल इन्टेन्सिव रिविजन यानी एसआईआर) करने का अधिकार है। इसमें किसी को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। सर्वोच्च न्यायालय की इस टिप्पणी ने राहुल गांधी और इंडी गठबंधन के नेताओं द्वारा फैलाई जा रही झूठ की दुकान पर ताला जड़ने का काम किया है।

बता दें कि 2021 में जब मोदी सरकार ने मतदाता पहचान पत्र को आधार से स्वैच्छिक रूप से जोड़ने का प्रस्ताव रखा था, तब कांग्रेस ने इसका पुरजोर विरोध किया था। कांग्रेस नेता शशि थरूर और मनीष तिवारी ने संसद में कहा था कि आधार नागरिकता का प्रमाण नहीं है, यह केवल निवास स्थान को साबित करता है। यदि मतदान के लिए आधार का उपयोग किया गया, तो यह गैर नागरिकों को मतदान का अधिकार देने जैसा होगा। अब जब आयोग मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के लिए आधार कार्ड के अलावा अन्य दस्तावेजों की मांग भी कर रहा है, तब कांग्रेस को दर्द हो रहा है क्यूं ?

सर्वोच्च न्यायालय ने पुनरीक्षण पर आपत्ति को लेकर दाखिल की गई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए चुनाव आयोग के मतदाता सूची विशेष गहन पुनरीक्षण के फैसले को सही ठहराया और कई महत्वपूर्ण टिप्पणियां कीं। इन टिप्पणियों पर गौर किया जाना बेहद जरूरी है। न्यायालय ने कहा, “हर चीज को संदेह की नजर से देखना गलत है। लोकतंत्र में संस्थाओं पर भरोसा जरूरी है। मतदाता सूची पुनरीक्षण को ‘राजनीतिक तोड़फोड़’ कहना दुर्भावनापूर्ण है। मतदाता सूची पुनरीक्षण पहले भी होता रहा है, बिहार में इसे मुद्दा क्यों बनाया जा रहा है?”

अब आते हैं राहुल गांधी और विपक्षी दलों की मंशा पर। विपक्ष आरोप लगा रहा है कि चुनाव आयोग द्वारा ऐसा किए जाने से लाखों लोग मताधिकार से वंचित हो सकते हैं। जबकि यह पूरी तरह अतिरंजित और आधारहीन है। दरअसल, इस तरह बिहार चुनावों को लेकर भ्रम फैलाने की कोशिश की जा रही है ताकि वोटों का ध्रुवीकरण किया जा सके। दो दिन पहले पटना में इंडी गठबंधन के चक्का जाम में पहुंचे राहुल गांधी ने कहा था कि महाराष्ट्र के बाद अब बिहार में चुनाव आयोग हमारे मतदाताओं की चोरी करने की कोशिश कर रहा है। गरीबों के हक को छीनने की साजिश रची जा रही है।

कौन-सी साजिश रची जा रही है, यह राहुल गांधी नहीं बताएंगे, क्योंकि ऐसा कुछ है ही नहीं। वोट चोरी का आरोप राहुल गांधी इसलिए लगा रहे हैं, क्योंकि यदि सही तरीके से मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण हुआ तो घुसपैठिए मतदाता सूची से बाहर हो जाएंगे। और यदि ऐसा हुआ तो नुकसान कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों यानी इंडी गठबंधन को ही होगा। इसलिए बार-बार झूठ बोलकर झूठा विमर्श खड़ा करने का प्रयास किया जा रहा है। बिल्कुल वैसे ही जैसे पिछले लोकसभा चुनावों के दौरान यह झूठ बोला गया था कि भाजपा सत्ता में आई तो संविधान ही बदल दिया जाएगा।

एसआईआर पर झूठ बोलकर विपक्ष द्वारा भ्रम फैलाने के प्रयास का पर्दाफाश सर्वोच्च न्यायालय ने कर दिया है। न्यायालय ने स्पष्ट टिप्पणी की है कि पहचान के लिए दस्तावेज मांगना प्रशासनिक पारदर्शिता का हिस्सा है, भेदभाव नहीं। ऐसे में जब चुनाव आयोग द्वारा किए जा रहे पुनरीक्षण पर न्यायपालिका ने भी अपनी मुहर लगा दी है, तब राहुल गांधी और इंडी गठबंधन के पास अब केवल झूठ और अफवाहों के सहारे राजनीति करने का ही विकल्प बचा है, ऐसा ही वे हमेशा से करते आए हैं।

दरअसल, राहुल गांधी और इंडी गठबंधन के तमाम दलों की राजनीति का आधार ही भ्रम फैलाना और पीड़ित दिखने की रणनीति पर टिका हुआ है। राहुल गांधी और उनके सहयोगी दल बार‑बार संवैधानिक संस्थाओं पर संदेह करते हैं, चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हैं, और जब उन्हें न्यायपालिका से भी समर्थन नहीं मिलता, तब वे जनभावनाओं को भड़काने की कोशिश करते हैं।

अब जबकि चुनाव आयोग की प्रक्रिया को सर्वोच्च न्यायालय ने वैध करार दे दिया है और यह कह दिया है कि संस्थाओं पर भरोसा जरूरी है, तब यदि विपक्ष अब भी इसी प्रक्रिया को भेदभाव और वोट चोरी की साजिश बताता है तो इससे यह सिद्ध होता है कि विपक्ष की मंशा लोकतंत्र को मजबूत करने की नहीं, बल्कि उसे कमजोर करने की है। राहुल गांधी और इंडी गठबंधन के तमाम नेताओं को आत्ममंथन करने की आवश्यकता है। उन्हें यह समझ लेना चाहिए कि हमेशा झूठ और भ्रम के सहारे चुनाव नहीं लड़े जा सकते। जनता समझदार है, उसे विकास चाहिए, न कि केवल खोखले वादे और झूठे दावे।

डिस्कलेमर: उपरोक्त विचार लेखक के निजी विचार हैं ।

Exit mobile version