हाल ही में माननीय सुप्रीम कोर्ट ने अवैध रूप से देश में प्रवेश करने वाले विदेशियों को लंबे समय तक असम के डिटेंशन सेंटर में बंद रखने और उनका निर्वासन न किए जाने को लेकर असम सरकार को फटकार लगाई। न्यायालय ने कहा है कि जीवन का अधिकार केवल देश के नागरिकों के लिए नहीं बल्कि सभी के लिए है। न्यायालय ने असम के मुख्य सचिव को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए अगली सुनवाई पर पेश होने को भी कहा है। माननीय न्यायालय ने जो कहा वह बिल्कुल सही है कि जीवन का अधिकार सभी के लिए है, लेकिन देश जिस तरह से अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं की समस्या से जूझ रहा है उसका निवारण होना भी बेहद जरूरी है।
अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप को सत्ता मिलने का कारण उनका अमेरिकी जनता से अवैध रूप रह रहे अवैध प्रवासियों को बाहर निकालने का वादा करना भी था। ताकि घुसपैठ से परेशान अमेरिका अपने संसाधनों का इस्तेमाल अपने नागरिकों के लिए कर पाए। राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रंप ने इस आदेश पर हस्ताक्षर भी कर दिए। इसके बाद से अमेरिकी एजेंसियां तत्काल हरकत में आकर इस मामले पर कार्रवाई करने में भी जुटी हैं। अमेरिका जिस तरह की समस्या से जूझ रहा है उससे भारत भी अछूता नहीं है।
भारत में अवैध रूप से रहे बांग्लादेशियों की संख्या लगभग पांच करोड़ है। यह संख्या 2014 में सीबीआई के डायरेक्टर रहे जोगिंदर सिंह ने बताई थी। हो सकता है कि इसके बाद पिछले दस सालों में इस संख्या में और भी बढ़ोतरी हुई हो। इसके अलावा करीब 40 हजार रोहिंग्या भारत में अवैध तरीके से रहे रहे हैं। जाहिर है वे देश के संसाधनों का प्रयोग भी कर रहे हैं। कितने ही अपराधों में भी इनकी संलिप्तता भी पाई गई है। हाल ही में फिल्म अभिनेता सैफ अली खान पर हुए हमले में भी एक बांग्लादेशी घुसपैठिए को गिरफ्तार किया गया है। सैफ मुंबई के हाई प्रोफाइल इलाके में एक सोसाइटी में रहते हैं जहां सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम है। जब इतनी सुरक्षा के बीच भी एक नामी व्यक्ति पर हमला हो सकता है तो फिर आम आदमी की क्या बिसात है।
1971 के बाद से तो लगातार बांग्लादेश से अवैध रूप से भारत में घुसपैठ किए जाना जारी है। म्यांमार में चल रहे गृहयुद्ध के बाद वहां से भागकर लगातार रोहिंग्या देश में आ रहे हैं और विभिन्न जगहों पर रह रहे हैं। देश में हो रहे विभिन्न अपराधों में ये लोग पकड़े भी जा रहे हैं। ऐसे में यदि मानवाधिकार के नाम पर या अन्य किन्हीं वजहों से अवैध घुसपैठ के खिलाफ नरमी बरती जाती है तो इसके परिणाम कतई देश हित में नहीं होंगे। हाल ही में भाजपा नेता किरीट सोमैया ने दावा किया है ”साल 2024 में महाराष्ट्र में भारत की नागरिकता देने के लिए डेढ़ लाख से ज्यादा अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों के फर्जी दस्तावेज बनाए गए हैं। इस फर्जीवाड़े में बड़े स्तर पर राज्य की कई ग्राम पंचायतें और अधिकारी शामिल हैं। इन पर कार्रवाई की जानी चाहिए।”
इसी माह रेलवे सुरक्षा बल ने आधिकारिक बयान जारी करते हुए दावा किया था कि 2021 से 2024 के बीच रेलवे ने 900 से अधिक बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं को हिरासत में लिया है। जिसमें से 586 बांग्लादेशी नागरिक थे और 318 रोहिंग्या शामिल हैं। अमूमन विदेशी घुसपैठियों को निकालने के लिए उनकी पहचान कर उन्हें वापस उनके देश निर्वासित कर दिया जाता है लेकिन विदेशी अधिनियम 1946 के तहत अगर कोई व्यक्ति जाली पासपोर्ट पर भारत में घुसता या रहता पाया जाता है तो उसे दो से आठ साल तक की सजा हो सकती है साथ ही 10 हजार से 50 हजार रुपए तक का जुर्माना भी लगाए जाने का भी प्रावधान है। ऐसे में अगर कोई व्यक्ति जासूसी के इरादे से भारत में घुसपैठ करते हुए पाया जाता है तो उस स्थिति में साबित होने पर उम्रकैद तक की सजा का भी प्रावधान है। विशेष परिस्थितियों में यदि उसकी गतिविधियां आतंकी और देश की अखंडता और सुरक्षा में खतरा पैदा करने वाली पाई जाती हैं तो मृत्युदंड का भी प्रावधान है।
भारत और बांग्लादेश के बीच की सीमा 4,096.7 किलोमीटर लंबी है। यह भारत की सबसे लंबी सीमाओं में से एक है और पांच राज्यों पश्चिम बंगाल,असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम से लगती है। जाहिर इतनी लंबी सीमा की निगरानी करना अपने आप में एक चुनौती है। भारत ने अवैध रूप से बांग्लादेशियों की घुसपैठ रोकने के लिए 1986 में सीमा पर बाड़ लगाने का काम शुरू किया था काफी हद तक घुसपैठ पर नियंत्रण भी किया गया लेकिन किसी न किसी तरीके से बांग्लादेश से घुसपैठिए भारत में प्रवेश करने में कामयाब हो ही जाते हैं। इसके बाद भारत के विभिन्न हिस्सों में जाकर नकली पहचान से रहना शुरू कर देते हैं। इतनी विविधताओं से भरे इतने बड़े देश में इनको तलाशना भी आसान नहीं होता।
इन सब बातों का फायदा उठाकर ये लोग यहां आकर लोगों से घुलमिल जाते हैं और अपनी पहचान छिपाकर यहां पर रहने लगते हैं। फर्जी दस्तावेजों के जरिए आधार कार्ड और यहां तक कि वोटर आईडी बनाने में भी कामयाब हो जाते हैं। बांग्लादेश के अलावा पाकिस्तान की तरफ से घुसपैठ होने के मामले भी कई बार सामने आते हैं। पिछले दिनों तो पाकिस्तान से आकर गुजरात में रहे एक पूरे परिवार को सुरक्षा एजेंसियों ने गिरफ्तार किया था। यह परिवार मुस्लिम था लेकिन यहां पर हिंदू बनकर रह रहा था।
अवैध घुसपैठ के चलते असम में हालात कितने खराब हैं यह बात किसी से छिपी नहीं है। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा कई मौकों पर कह चुके हैं कि बांग्लादेश से हो रही अवैध घुसपैठ के चलते असम की डेमोग्राफी बदल गई है। कई जिलों में बहुसंख्यक रही हिंदू आबादी वहां अल्पसंख्यक हो चुकी है। 1951 में जहां 12 प्रतिशत मुस्लिम थे, अब उनकी आबादी 40 प्रतिशत तक हो चुकी है। कमोबेश ऐसे ही हालत पश्चिम बंगाल के सीमांत इलाकों में भी हैं। जहां अवैध तरीके से हो रही घुसपैठ के चलते यहां की डेमोग्राफी पूरी तरह बदल चुकी है।
लगातार अवैध तरीके से होती घुसपैठ न सिर्फ भारत के लिए खतरा है बल्कि देश के सीमित संसाधनों के लिए भी ठीक नहीं है। माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा ट्रांजिट कैंपों में बंद विदेशियों के जीवन के अधिकार की बात करना हर तरह से ठीक है। इस बात से किसी को कोई इंकार नहीं है, लेकिन अवैध घुसपैठ को रोके जाना भी भारत के लिए बेहद जरूरी है। इसके लिए अमेरिका की ट्रंप सरकार की तर्ज पर भारत की सरकार और सुरक्षा एजेंसियों को अवैध घुसपैठ के खिलाफ सख्ती बरतने की जरूरत है।
डिस्कलेमर: उपरोक्त विचार लेखक के निजी विचार हैं ।