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मुंह पर हिन्दुस्तान और दिल में पाकिस्तान, दामाद और बहू चाहिए पाकिस्तानी, भारत में अब ये नहीं चलने वाला

ओसामा नाम का एक पाकिस्तानी युवक 2008 में पाकिस्तानी पासपोर्ट पर अपने परिवार के साथ यहां आया था। उसने यहीं से दसवीं और बारहवीं की पढ़ाई की।

सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल है, जिसमें एक कश्मीरी मां और 12—13 वर्षीय बेटा बैठे हैं। एक व्यक्ति उनसे पूछता है कि पहलगाम में जो हुआ, वह गलत था या नहीं और आप क्या मानते हैं यह किसने करवाया? बच्चा बोलता है यह गलत है, कोई कश्मीरी ऐसा नहीं कर सकता, यह पाकिस्तान ने करवाया है। तभी उसकी मां उसे धीरे से चांटा मारकर चुप कर देती है और कहती है, हमें नहीं पता। पाकिस्तान ऐसा नहीं कर सकता। यह उदाहरण सिर्फ इसलिए दिया ताकि हिन्दुस्तान में रह रहे उन लोगों की तासीर को बयां किया जा सके जो रहते यहां हैं, खाते यहां हैं, मुंह पर जिनके हिन्दुस्तान है, लेकिन दिल में पाकिस्तान है।

बहरहाल, पहलगाम में किए गए कायराना आतंकी हमले के बाद सरकार ने तमाम पाकिस्तानी नागरिकों को देश छोड़ने के आदेश जारी किए। इसके साथ ही कितने ही ऐसे लोगों के बारे में जानकारी सामने आई जो हैं पाकिस्तानी लेकिन बरसों से हिन्दुस्तान में रह रहे थे। यहां तक कि एक मामला तो ऐसा सामने आया जिसमें ओसामा नाम का एक पाकिस्तानी युवक 2008 में पाकिस्तानी पासपोर्ट पर अपने परिवार के साथ यहां आया था। उसने यहीं से दसवीं और बारहवीं की पढ़ाई की। अभी वह ग्रेजुएशन कर रहा है। उसने एक न्यूज एजेंसी के सामने यह कबूला कि बहुत से ऐसे परिवार हैं जो पिछले 30—40 सालों से यहां रह रहे हैं, उनके पास यहां का आधार कार्ड है, इलेक्शन कार्ड है, उन्हें यहां रहने की मोहलत देनी चाहिए। मतलब पाकिस्तान यहां आतंक फैलाए, आप घटना को इंसानियत के खिलाफ बताकर उसकी निंदा करें, लेकिन पाकिस्तान का घटना में हाथ बताया जाए तो चुप्पी साध लें। इतना सब होने के बाद भी यहां रहने की मोहलत मांगी जा रही है, यह बेशर्मी नहीं तो और क्या है? भारत की धरती पर रहकर पाकिस्तान परस्ती कैसे बर्दाश्त की जा सकती है?

जम्मू-कश्मीर के निवासी मुनीर अहमद में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) में सिपाही था। उसने पिछले साल पाकिस्तान के सियालकोट की मीनल खान से निकाह कर लिया और उसकी पत्नी पाकिस्तानी है, इसकी जानकारी अपने उच्चाधिकारियों को देने की जरूरत भी नहीं समझी। हालांकि जानकारी सामने आने के बाद उसे सेवा से बर्खास्त कर दिया गया, लेकिन यहां सवाल उठता है कि यदि पहलगाम हमला नहीं हुआ होता और केंद्र सरकार ने सख्ती नहीं की होती तो बरसों—बरस यह बात सामने ही नहीं आ पाती, और एक पाकिस्तानी लड़की सीआरपीएफ के जवान की पत्नी बनकर उसके घर में बरसों तक रहती। दोनों के बच्चे भी पैदा होते, क्या उनके दिल में हिन्दुस्तान के प्रति वफादारी रहती? क्या गारंटी है कि वह पाकिस्तान के लिए जासूसी नहीं करती। ऐसे अनेकों प्रश्न हैं जिनको उठाए जाना ऐसे वक्त में जरूरी हो जाता है।

ऐसे ही मेरठ की सना नाम की लड़की का निकाह 2020 में पाकिस्तान के कराची के रहने वाले डॉक्टर बिलाल से हुआ। वह वहां गई, लेकिन उसका पासपोर्ट भारतीय ही रहा। उसने दो बच्चों को जन्म भी दिया, जो पाकिस्तानी हैं, लेकिन खुद पाकिस्तान की नागरिकता नहीं ली क्यों? इसी साल 14 अप्रैल को वह अपने दोनों बच्चों के साथ मेरठ अपने मायके आई थी। सना के पास भारतीय पासपोर्ट था, जबकि उसके बच्चों के पासपोर्ट पाकिस्तानी थे। सना को पाकिस्तान जाने से रोक दिया गया तो वह वह अब मानवता के नाम पर अपने पति और बच्चों के पास भेजे जाने की गुहार लगा रही है।

ये सिर्फ कुछ उदाहरण हैं जो सामने आए हैं, ऐसी और भी कहानियां होंगी। आखिर क्यों यहां के लोगों को दामाद पाकिस्तानी चाहिए, बहु पाकिस्तानी चाहिए? यदि ऐसा होगा तो फिर कोई भी कैसे उन लोगों पर विश्वास करेगा जिनके बहू और दामाद पाकिस्तानी हैं और हिन्दुस्तान के प्रति वफादारी का दावा करते हैं? जिस मुल्क का रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ, पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो तक यह कबूल चुके हैं कि दशकों से पाकिस्तान आतंकियों को पनाह देता आया है, आतंकी समूहों का समर्थन करता आया है। जिस देश का सेना प्रमुख खुले तौर पर टू नेशन थ्योरी की वकालत कर चुका है। भारत के खिलाफ जहरीले बोल—बोल चुका है। हमारे कश्मीर को पाकिस्तान के गले की नस बता चुका है, ऐसे मुल्क पर, ऐसे मुल्क के लोगों पर विश्वास कैसे किया जा सकता है। जो दशकों तक यहां रहने के बाद, यहां का खाने के बाद यहां के नहीं हो पाए वह आगे कैसे भारत के हो सकते हैं?

आज जब परिस्थितियां सबके सामने हैं तो ऐसे में किसी भी पाकिस्तानी पर, उनसे रिश्ता रखने वाले पर कोई कैसे विश्वास कर सकता है? किसी भी धर्म, किसी भी मजहब से बड़ा देश होता है, मातृभूमि होती है। ऐसे में देश में शांति और सुरक्षा के लिए ऐसे चेहरों को बेनकाब किए जाने की जरूरत है जो सामने तो हिन्दुस्तान जिंदाबाद बोलते हैं, खुद को भारतीय बताते हैं, लेकिन उनके दिलों में पाकिस्तान बसता है।

डिस्कलेमर: उपरोक्त विचार लेखक के निजी विचार हैं ।

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