नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग केस में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जब विधिवत जांच और कानूनी प्रक्रिया के तहत कांग्रेस सांसद सोनिया गांधी और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी सहित कई वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया, तो कांग्रेस पार्टी ने तत्काल इसको राजनीतिक रंग देने का प्रयास शुरू कर दिया। गांधी परिवार के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल होते ही कांग्रेस पार्टी ने देशभर में प्रदर्शन कराने शुरू कर दिए। स्पष्ट तौर पर यह दबाव बनाने की कोशिश है। इस प्रकार के दबाव बनाकर कांग्रेस न्यायपालिका पर भी दबाव बनाना चाहती है। ताकि मामला ठंडे बस्ते में चला जाए।
यह वही कांग्रेस है, जिसने आजादी के संघर्ष की विरासत के नाम पर जनता से मिले भरोसे और चंदे का दुरुपयोग कर, एक समाचार पत्र प्रकाशन संस्था को रियल एस्टेट साम्राज्य में बदल दिया। एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड की सैकड़ों करोड़ की संपत्तियां, चुपचाप बनाए गए एक चैरिटेबल ट्रस्ट ‘यंग इंडियन प्रा. लि.’ को मात्र 50 लाख रुपए में हस्तांतरित कर दी गईं।
जवाहरलाल नेहरू द्वारा स्थापित अखबार ‘नेशनल हेराल्ड’ की आड़ में जो संपत्तियां देश की जनता और स्वतंत्रता सेनानियों के विश्वास से बनी थीं, उन्हें निजी स्वार्थ और परिवारवाद के तहत अपने कब्जे में लाने की साजिश रची गई। कांग्रेस पार्टी ने न सिर्फ राजनीतिक दल के तौर पर अपने अधिकारों का दुरुपयोग किया, बल्कि नियमों को ताक पर रखकर अपनी ही बनाई कंपनी को 90 करोड़ रुपये का कर्ज दे डाला, जिसे बाद में माफ भी कर दिया गया। यह सब उस समय हुआ जब कांग्रेस केंद्र की सत्ता में थी।
साल 2012 में पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी ने जब इस घोटाले का पर्दाफाश किया और इसे लेकर अदालत का दरवाजा खटखटाया, तब जाकर मामला सार्वजनिक विमर्श में आया। सुब्रमण्यम स्वामी के बयान दर्ज होने के बाद महानगर दंडाधिकारी के न्यायालय ने जून 2014 में इस मामले का संज्ञान लेते हुए सोनिया गांधी और राहुल गांधी को 7 अगस्त को न्यायालय के समक्ष उपस्थित होने का आदेश जारी कर दिया।
समन को दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती दी गई, लेकिन उनको कोई राहत नहीं मिली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी द्वारा विचारण न्यायालय के समन को रद करने के लिए दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति सुनील गौर ने कहा कि इस मामले में गंभीर आरोप हैं, जिनमें धोखाधड़ी और आपराधिक मंशा के संकेत हैं, इसलिए इन आरोपों की विधिवत जांच आवश्यक है। न्यायालय की इस टिप्पणी के बाद जांच शुरू हुई और ईडी ने छानबीन शुरू की।
जांच के हर चरण में स्पष्ट होता गया कि यंग इंडियन के जरिए गांधी परिवार ने एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड की 2,000 करोड़ से अधिक की संपत्ति को कब्जे में लेने की योजना बनाई थी। जांच में सामने आया कि फर्जी कंपनियों, डमी निदेशकों के जरिए लेन—देन किया गया।
अब जब सबूतों के आधार पर आरोप पत्र दायर किया गया है और संपत्तियों पर जब्ती की कार्रवाई शुरू हो गई है, तो कांग्रेस इसे लोकतंत्र, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और विपक्ष की आवाज पर हमला बताकर देश को गुमराह करने में जुट गई है। सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ नोटिस लगते ही कांग्रेस सड़कों पर उतर आई है—ये वही पार्टी है जो न्यायपालिका की स्वतंत्रता की बात करती है, परंतु अब उसी न्यायपालिका पर दबाव डालने की कोशिश में लगी है। ऐसा कांग्रेस इसलिए कर रही है ताकि सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर कोई कार्रवाई न हो।
कांग्रेस का प्रदर्शन महज एक राजनीतिक नौटंकी हैं। वह ईडी पर सरकार के दबाव में काम करने का आरोप लगाकर इस मामले को राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता से प्रेरित बता रही है। जबकि जो मौजूदा साक्ष्य हैं वह साफ इशारा करते हैं कि सैकड़ों करोड़ का घोटाला किया गया है। कांग्रेस सहानुभूति बटोरने के लिए खुद को पीड़ित के रूप में पेश तो कर रही है, लेकिन वह यह भूल गई कि इस पूरे घोटाले की शिकायत स्वयं यूपीए सरकार के कार्यकाल में दर्ज की गई थी और जांच न्यायालय के आदेश पर हुई है।
साफ है, कांग्रेस पार्टी अब अपने अपराधों से ध्यान भटकाने के लिए जनता की भावनाओं से खेल रही है। लेकिन यह देश अब जागरूक है। न्यायिक प्रक्रिया अपने मार्ग पर अग्रसर है, और अब किसी भी प्रकार का शोर-शराबा या दबाव इस सच्चाई को नहीं छिपा सकता कि कांग्रेस ने पहले घोटाला किया और अब उस पर कार्रवाई रोकने के लिए देश को भ्रमित करने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस हमेशा से यही करती आई है। पहले भ्रष्टाचार और फिर पीड़ित बनने का ढोंग। इस बार भी कांग्रेस की यही मंशा है लेकिन इस मामले में सब कुछ न्यायालय की निगरानी में हो रहा है। जाहिर है कांग्रेस को डर है कि जिस तरह के आरोप ईडी ने लगाए हैं यदि वह न्यायालय में साबित हो गए तो आरोपियों को सजा भी होनी तय है। यदि ऐसा हुआ तो फिर कांग्रेस का भविष्य क्या होगा।
डिस्कलेमर: उपरोक्त विचार लेखक के निजी विचार हैं ।