News Room Post

धर्म पर झूठा विमर्श खड़ा करने का कितना ही प्रयास क्यों न हो लेकिन झूठ पर आस्था हमेशा भारी पड़ती है

प्रयागराज में हो रहे महाकुंभ में देश के साथ साथ विदेश से भी श्रद्धालु यहां पर आ रहे हैं। जहां एक ओर पूरी दुनिया में भारत और भारतीय संस्कृति का बखान हो रहा है वहां दूसरी और ऐसे भी लोग हैं जिन्होंने महाकुंभ आयोजन पर न सिर्फ सवाल उठाए बल्कि राजनीति करने का प्रयास भी किया।

प्रयागराज में हो रहे महाकुंभ में दुनिया भर से श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। शोधकर्ता पहुंच रहे हैं। देश और विदेश के मीडिया में महाकुंभ में बारे में लिखा जा रहा है। इसकी महिमा, वैज्ञानिक दृष्टिकोण, आध्यात्म और भारतीय संस्कृति का बखान दुनियाभर में हो रहा है। बावजूद इसके कुछ सनातन विरोधियों ने महाकुंभ मेले जैसे आयोजन में विघ्न डालने के लगातार प्रयास किए। महाकुंभ को लेकर सोशल मीडिया पर अनर्गल टिप्पणियां की गईं। महाकुंभ को लेकर प्रदेश सरकार को घेरने की ओछी राजनीतिक साजिश भी की गई लेकिन बावजूद इसके उन्हें सफलता नहीं मिली।

पिछले दिनों समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने महाकुंभ की व्यवस्था पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था कि एसएसपी ऑफिस से लेकर पांटून पुल तक कोई काम पूरा नहीं हुआ है। जिस पुलिस अधिकारी को कुंभ की सुरक्षा देखनी है उन्हीं का कार्यालय बांस-बल्ली से आगे नहीं बढ़ा और यातायात के लिए 22 में से सिर्फ 9 पांटून पुल ही बन पाए हैं। लगभग 40% काम ही पूरा हो पाया है। कुंभ स्नान करने वालों की संख्या बढ़ा चढ़ा कर बताई जा रही है, घाट खाली पड़े हैं, गोरखपुर से आने वाली ट्रेन खाली आ रही हैं। यही नहीं उन्होंने संगम और गंगा जी के जल को भी भारी प्रदूषित बताया था।

महाकुंभ की व्यवस्था को लेकर सवाल उठाने वाले अखिलेश शायद यह भूल गए कि उनके मुख्यमंत्री रहते हुए 2013 में जब प्रयागराज में महाकुंभ आयोजित हुआ था तब संगम और गंगा जी के जल में इतना प्रदूषण था कि अनेकों विदेशी मेहमानों ने संगम में स्नान ही नहीं किया था। मौनी अमावस्या पर स्नान के बाद रेलवे स्टेशन पर मची भगदड़ में 36 लोग मारे गए थे। सैकड़ों लोग घायल भी हुए थे। इस बार कुंभ की व्यवस्था को लेकर दुनियाभर से आए श्रद्धालु और शोधकर्ता प्रशंसा करते दिखाई दे रहे हैं।

भीम आर्मी के प्रमुख और उत्तर प्रदेश के नगीना से सांसद चंद्रशेखर ने भी पिछले दिनों कहा था कि ‘कुंभ वे जाए जिन्होंने पाप किए हों’ स्वाभाविक है यह टिप्पणी महाकुंभ की उस गरिमा को ठेस पहुंचाने के उद्देश्य से ही की गई थी। धर्म शास्त्रों के अनुसार महाकुंभ धार्मिक, आध्यात्मिक, मानसिक और सकारात्मक ऊर्जा की वृद्धि का कारक होता है। लेकिन चंद्रशेखर ने महाकुंभ जाने को पाप धोने भर से जोड़ दिया था। कथित सेकुलर लॉबी ने महाकुंभ में दिखाई दे रही सामाजिक समरसता को भी तोड़ने का पूरा—पूरा प्रयास किया। महाकुंभ में सब एक ही जगह डुबकी लगाते हैं। कोई किसी से न भाषा पूछता न क्षेत्र न जाति। इसी सामाजिक समरसता को विभाजित करने के लिए सोशल मीडिया के माध्यम से झूठ फैलाने की कोशिश की गई।

सोशल मीडिया पर लगातार ये पोस्ट प्रसारित की गई कि लंका से लौटकर भगवान श्रीराम अपने पिता राजा दशरथ का पिंडदान करने जब प्रयागराज पहुंचे थे तो प्रयागराज के ब्राह्मणों ने यह कहकर पिंडदान कराने से मना कर दिया था कि रामजी के हाथों एक ब्राह्मण का वध यानी रावण का वध हुआ है। समरसता को तोड़ने के लिहाज से किया गया यह पोस्ट कतई फर्जी और समाज में विद्वेष फैलाने का षड्यंत्र भर था। क्योंकि वाल्मीकि रामायण के अनुसार श्री राम जी ने चित्रकूट में भरत जी से पिता के निधन का संवाद सुनकर ही मंदाकिनी में पिंडदान कर दिया था। पिंडदान के लिए राम जी के प्रयागराज जाने का कोई वर्णन ही नहीं है।

महाकुंभ आयोजन के लिए की जा रही व्यवस्थाओं पर अनाप—शनाप पैसा खर्च किए जाने का वितंडा खड़ा करने की भी भरपूर कोशिश की गई। सोशल मीडिया पर इस संबंध में लगातार पोस्ट डाले गए कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा महाकुंभ के लिए करोड़ों रुपए सिर्फ और सिर्फ राजनीतिक लाभ के लिए खर्च किए जा रहे हैं। जबकि महाकुंभ के लिए जितना खर्च हुआ इससे कहीं ज्यादा इस आयोजन के माध्यम से कमाई हो रही है। एक अनुमान के अनुसार अभी तक महाकुंभ में एक लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का व्यापार हो चुका है। महाकुंभ के धार्मिक पक्ष के अलावा आर्थिक पक्ष भी हैं। महाकुंभ से करीब 40 लाख लोगों को रोजगार मिला है। भारतीय रेलवे और पर्यटन उद्योग को भी अभी तक हजारों करोड़ रुपए का फायदा हो चुका है। महाकुंभ के बाद इसके तमाम आंकड़े जारी भी होंगे। अभी तक अनुमान है कि महाकुंभ आयोजन से तकरीबन दो लाख करोड़ का कारोबार होगा।

जैसा प्रयास महाकुंभ की गरिमा को ठेस पहुंचाने के लिए किया जा रहा है ऐसा ही प्रयास कथित सेकुलर लॉबी ने अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह की गरिमा को कम करने का किया था। यहां तक कि राम मंदिर बनाए जाने के औचित्य पर भी सवाल खड़े किए गए थे। कितने ही लोगों ने कहा था कि राम मंदिर बनाने की जगह वहां विश्वविद्यालय,अस्पताल आदि बना देने चाहिए। मंदिर बनाए जाने से क्या लाभ होगा। आज अयोध्या नगरी में राम मंदिर बनाए जाने के बाद हाल ही में जारी हुए आंकड़ों के अनुसार राम मंदिर के कारण एक साल में देश में लगभग 1.25 लाख करोड़ रुपए का बड़ा कारोबार हुआ है। राम मंदिर बनाए जाने के बाद विदेशों से बड़ी संख्या में लोग यहां पर पहुंच रहे हैं। अयोध्या और उसके आसपास के लाखों लोगों को इसके माध्यम से रोजगार मिल रहा है। धार्मिक आयोजनों और मंदिरों पर सवाल उठाने वाली सेकुलर लॉबी यह भूल जाती है कि भले ही वह कितना ही प्रपंच करे, झूठ फैलाने का प्रयास करे लेकिन झूठ पर आस्था हमेशा भारी पड़ती है।

 

डिस्कलेमर: उपरोक्त विचार लेखक के निजी विचार हैं ।

Exit mobile version