कांग्रेस के एक कार्यक्रम में राहुल गांधी ने मर्यादा की सारी सीमाएं तोड़ दी। उन्होंने भाजपा को घेरने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर भी सवाल उठाया और कहा कि उनकी लड़ाई न सिर्फ भाजपा और आरएसएस से बल्कि इंडियन स्टेट से भी है। राहुल गांधी ने इंडियन स्टेट यानी भारत के खिलाफ और एक तरह से भारत के संविधान पर भी सवाल उठाया है। संविधान बचाने की दुहाई देने वाले राहुल गांधी स्वयं अलोकतांत्रिक भाषा बोल रहे हैं। वह अराजकतावादी भाषा बोल रहे हैं। ऐसा पहली बार नहीं है कि राहुल गांधी ने ऐसा बोला हो, वह बार—बार मर्यादाएं तोड़ते हैं।
अमेरिकी वामपंथी अरबपति जॉर्ज सोरोस से कांग्रेस के संबंधों पर अक्सर सवाल उठते हैं। जॉर्ज सोरोस ने पिछले साल स्पष्ट तौर पर कहा था कि वह मोदी को हराने के लिए 100 मिलियन डॉलर खर्च करेंगे। कांग्रेस ने लोकसभा चुनावों में संविधान पर खतरा होने का झूठा विमर्श गढ़कर लोगों से वोट मांगे। तमाम गलत तथ्यों के साथ प्रचार किया। इसका फायदा भी कांग्रेस को मिला लेकिन बावजूद इसके कांग्रेस सत्ता हासिल नहीं कर पाई। सत्ता न हासिल करने की बौखलाहट कांग्रेस को इतनी है कि राहुल बिना सोचे—समझे कुछ भी बोल दे रहे हैं। इससे पहले कई बार विदेश में जाकर भी भारत में लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर सवाल उठा चुके हैं।
उदाहरण के तौर पर जून 2018 में राहुल गांधी ने लंदन स्थित इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्ट्रैटेजिक स्टडीज में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा था कि भारत में आरएसएस भारतीय राजनीति और समाज पर अपने विचारधारा का प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है और देश के लोकतांत्रिक ढांचे को कमजोर कर रहा है। यह संविधान और लोकतंत्र के खिलाफ है। इसके दो महीने बाद अगस्त में राहुल गांधी जर्मनी के बर्लिन में एक कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे थे। उन्होंने वहां पर आरएसएस पर सवाल उठाते हुए कहा था कि मुस्लिम ब्रदरहुड मजहबी और राजनीतिक शक्ति को एक साथ जोड़ता है, उसी तरह आरएसएस भी भारत में अपनी विचारधारा को फैलाने की प्रयास कर रहा है।
राहुल ने 2023 में लंदन के चैथम हाउस में दिए भाषण में भारत में लोकतंत्र की स्थिति पर सवाल उठाए थे। राहुल ने भारत में लोकतंत्र को खतरे में बताकर विदेशी ताकतों से लोकतंत्र बचाने की अपील भी की थी। राहुल ने कहा था कि भारत में विपक्ष की आवाज को दबाया जा रहा है। एक तरह से राहुल गांधी का यह बयान भारत की छवि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कमजोर करने वाला था। 2023 में कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी और फिर अमेरिका यात्रा के दौरान उन्होंने यही राग अलापा था। 2023 सितंबर में पेरिस में एक कार्यक्रम में राहुल गांधी ने आरएसएस को एक कट्टरवादी संगठन बताते हुए कहा था कि वह अपने एजेंडे को थोपने की कोशिश कर रहा है।
अब राहुल गांधी ने फिर से वही राग अलापा है। वह अपनी राजनीतिक लड़ाई न सिर्फ भाजपा और आरएसएस के साथ बता रहे हैं बल्कि इस लड़ाई को इंडियन स्टेट यानी भारत के खिलाफ भी बता रहे हैं। राहुल गांधी का यह बयान न सिर्फ लोकतंत्र पर सीधा हमला है बल्कि लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार को धमकी देने जैसा ही है। राहुल गांधी संविधान खतरे में होने की बात बोलते हैं लेकिन कांग्रेस के इतिहास में झांकना भूल जाते हैं। इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री रहते 49 बार राष्ट्रपति शासन लगाया गया था। तब क्या संविधान खतरे में नहीं था? इस बात का कोई भी जवाब राहुल गांधी नहीं दे सकते।
आज राहुल गांधी जो भाषा बोल रहे हैं वह एक दुश्मन देश या डीप स्टेट की भाषा है, जो राष्ट्र की अवधारणा में विश्वास ही नहीं रखता। ये ताकतें किसी भी सूरत में भारत में स्थिरता नहीं चाहती हैं। इसके लिए हर संभव प्रयास करती हैं। फिर चाहे झूठा विमर्श खड़ा करना हो अन्य कोई तरीका अपनाना हो। राहुल गांधी सत्ता पाने की बौखलाहट में इस कदर दिग्भ्रमित हो चुके हैं कि वह बोलते समय शब्दों का चयन भी सही नहीं कर पाते हैं। राजनीतिक लड़ाई को भारतीय राज्य यानी भारत के खिलाफ बता देना इसी का परिणाम है। यदि राहुल गांधी इसी तरह की बयानबाजी करते रहे तो कांग्रेस का जो बचा—खुचा जनाधार है वह भी कांग्रेस खो देगी।
डिस्कलेमर: उपरोक्त विचार लेखक के निजी विचार हैं ।