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आखिर क्यों प्रियंका गांधी वाड्रा बार बार गाजा का एकतरफा राग अलापती रहती हैं !

कांग्रेस की संवेदना केवल वहीं जागती है जहां उसे राजनीतिक लाभ की संभावना दिखाई देती है। प्रियंका गांधी का गाजा प्रेम असल में वोट-बैंक की राजनीति है

भारत में सेकुलरों की एक जमात है, और इसकी यूनिवर्सिटी है देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस। वैसे वर्तमान परिस्थितियों में इसे एक ही परिवार की पार्टी कहना ज्यादा उचित है, क्योंकि कांग्रेस में गांधी परिवार की जो परिक्रमा नहीं करता उसे किनारे कर दिया जाता है। जो प्रखरता से अपनी बात नहीं रख पाते वह कांग्रेस छोड़ देते हैं। इसी गांधी परिवार से ताल्लुक रखने वाली कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने एक बार फिर से गाजा का राग अलापा है। उन्हें गाजा में हमास जैसे आतंकी संगठनों पर पर की जा रही कार्रवाई नागवार गुजर रही है।

उन्होंने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर लिखा है कि यह शर्मनाक और निराशाजनक है कि हमारी सरकार ने गाजा में नागरिकों की सुरक्षा, कानूनी और मानवीय दायित्वों को पूरा करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव पर विचार न करने का फैसला किया है। 60,000 लोग, जिनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे हैं, वे पहले ही मारे जा चुके हैं और एक पूरी आबादी को बंधक बनाकर भूख से मारा जा रहा है। मगर, हम कोई कदम उठाने से इनकार कर रहे हैं।

अब याद कीजिए अक्टूबर, 2023, जब आतंकवादी संगठन हमास ने इजरायल पर सबसे घातक हमला किया। हमास के आतंकियों ने इजरायल पर कई हजार रॉकेट दागे थे। पैराग्लाइडर के जरिए इजराइल में घुसकर जश्न मना रहे निर्दोष इजराइली नागरिकों को मार डाला था। आतंकियों ने 1200 लोगों की हत्या कर दी थी और लगभग 250 लोगों को बंधक बनाकर अपने साथ ले गए थे। इतने वीभत्स और बर्बर आतंकी हमले पर प्रियंका गांधी ने एक शब्द नहीं बोला। अब जब इजरायल गाजा में चुन—चुनकर आतंकियों को मार रहा है तो प्रियंका गांधी को दर्द क्यों हो रहा है?

ऐसा इसलिए क्योंकि संसद में फिलीस्तीन लिखा बैग लेकर पहुंचने वाली प्रियंका को कट्टरपंथी मुसलमानों के वोट चाहिए। वह केरल के वायनाड से सांसद हैं, जो मुस्लिम बहुल है, वह सिर्फ और सिर्फ मुसलमानों को खुश करने के लिए ऐसा बयान दे रही हैं। वह कहती हैं, केंद्र सरकार ने गाजा मामले में संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव पर विचार न करने का फैसला लिया, हम इस संबंध में कोई कदम नहीं उठा रहे हैं। प्रियंका गांधी बताएं, हम कोई कदम क्यों उठाएं?

जब भारत ने आतंकियों ठिकानों को तबाह करने के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान स्थित आतंकी शिविरों को ध्वस्त किया और देश में साइबर हमलों को विफल किया, तब इजराइल खुलकर भारत के साथ खड़ा हुआ था। हथियारों से लेकर तकनीक तक वह भारत को मुहैया करा रहा था, तो ऐसे में हम उसके खिलाफ लाए जा रहे प्रस्ताव का समर्थन कैसे कर सकते हैं। हमारी ही तरह इजरायल आतंकवाद के खिलाफ और अपने बंधक नागरिकों को छुड़ाने के लिए लड़ाई लड़ रहा है तो हमें क्यों उसके मामले में दखल देना चाहिए ?

इजराइल ने भारत द्वारा पाकिस्तान पर की गई कार्रवाई को न सिर्फ सही ठहराया बल्कि उसे आतंक के विरुद्ध संघर्ष बताया। जो हमने अपने नागरिकों के लिए किया वही इजराइल भी कर रहा है। ऐसे में प्रियंका गांधी भारत सरकार से यह मांग कैसे कर सकती हैं कि वह इजराइल के खिलाफ लाए गए प्रस्ताव पर समर्थन करे? क्या भारत को उस राष्ट्र के विरोध में खड़ा होना चाहिए जो हर मोर्चे पर हमारे साथ रहा है, चाहे वह तकनीक हो, सुरक्षा हो या आतंक के विरुद्ध संयुक्त स्वर?

प्रियंका गांधी की हमास से हमदर्दी और इजरायल के खिलाफ बयानबाजी इस बात का प्रमाण है कि कांग्रेस सिर्फ वोट की नीति से अपना संबंध रखती है। उन्हें और कांग्रेस पार्टी को मुस्लिम वोट चाहिए, इसलिए वह गाजा का राग अलाप रही हैं।
जब किसी पार्टी की नीतियों का संचालन संविधान, सुरक्षा और राष्ट्रहित से नहीं, बल्कि कुर्सी हित और तुष्टिकरण से होने लगे तो यह देश के लिए खतरनाक है।

प्रियंका गांधी बताएं कि जब भारत खुद आतंक का भुक्तभोगी है, जब पाकिस्तान जैसा देश हमारे खिलाफ आतंकवाद को युद्ध के रूप में प्रयोग करता है, तब वह क्यों उन देशों के खिलाफ खड़ी हो रही हैं जो भारत के मित्र हैं और जो आतंकवाद के खिलाफ मोर्चे पर हमारे साथ हैं? भारत ने हमेशा शांति का पक्ष लिया है लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि भारत आतंकियों के साथ खड़ा हो जाए।

प्रियंका गांधी जिस गाजा के बारे में बोल रही हैं, वहां सक्रिय आतंकी संगठन हमास अपने बयानों में खुलेआम यहूदी नस्ल के समूल विनाश की बात करता है। उसके घोषणापत्र में जिहाद को यहूदी नरसंहार के रूप में प्रस्तुत किया गया है। ऐसे में भारत ने संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव पर विचार न करने का फैसला किया तो क्या गलत किया। बात दरअसल यह है कि कांग्रेस की संवेदना केवल वहीं जागती है जहां उसे राजनीतिक लाभ की संभावना दिखाई देती है। प्रियंका गांधी का गाजा प्रेम असल में वोट-बैंक की राजनीति है।

डिस्कलेमर: उपरोक्त विचार लेखक के निजी विचार हैं ।

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