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मोदी सरकार हुई सख्त तो छूट गए ड्रैगन के पसीने, HDFC में चीनी सेंट्रल बैंक की घटाई हिस्सेदारी

नई दिल्ली। लॉकडाउन के के बीच HDFC में चीन के सेंट्रल बैंक पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना की ओर से हिस्सेदारी खरीदने की खबर से हड़कंप मच गया था। इस खबर के साथ ही उस समय सरकार ने एफडीआई नियमों को  भी सख्त कर दिया था। उन सख्त कदमों का ऐसा असर हुआ कि, चीन के सेंट्रल बैंक पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना ने भारत के निजी सेक्टर की सबसे बड़ी हाउसिंग फाइनेंस कंपनी HDFC में अपनी हिस्सेदारी घटा दी है।

बता दें कि अप्रैल में पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना ने एचडीएफसी में 1.01 फीसदी की हिस्सेदारी 3,300 करोड़ रुपये के निवेश के साथ खरीदी थी। न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, एचडीएफसी की ओर से स्टॉक मार्केट एक्सचेंजों को दी गई जानकारी में बताया गया है कि चीन के सैंट्रल बैंक ने HDFC अपनी कम से कम कुछ हिस्सेदारी बेची है।।

एक्सचेंज को दी गई जानकरी में बताया गया है कि जून के अंत तक चीनी सेंट्रल बैंक ने 1 फीसदी हिस्सेदारी कम कर दी है। PBOC ने ओपन मार्केट में अपने शेयर बेच दिए है। हिंदू बिजनेस लाइन अखबार ने बाजार सूत्रों का हवाला देते हुए कुछ दिनों पहले बताया था कि एचडीएफसी के शेयर में आई गिरावट इसी वजह से है। आपको बता दें कि एचडीएफसी का शेयर रिकॉर्ड स्तर से 40 फीसदी गिरकर अपने अप्रैल के निचले स्तर पर आ गया था, लेकिन अब कुछ रिकवरी आई है।

विशेषज्ञों का मानना है कि पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना ने भारत में गुस्से का शिकार होने से बचने के लिए हिस्सेदारी को एक फीसदी से कम करने का फैसला लिया है। भले ही पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना की ओर से एचडीएफसी में किया गया निवेश ज्यादा नहीं था, लेकिन बाजार में इस बात को लेकर चिंता जताई जाने लगी थी कि आखिर चीनी कंपनियां कैसे कोरोना के चलते भारत के बाजार में गिरावट के दौर का लाभ उठा सकती हैं।। इसीलिए भारतीय कंपनियों के जबरन अधिग्रहण के खतरे को भांपते हुए केंद्र सरकार ने विदेशी निवेश के नियमों को सख्त कर दिया।

अगर आसान शब्दों में कहें तो कोरोना वायरस की वजह से कई बड़ी और छोटी कंपनियों की मार्केट वैल्यू गिर गई है। ऐसे में उनका अधिग्रहण यानी ओपन मार्केट से शेयर खरीद कर मैनेजमेंट कंट्रोल हासिल किया जा सकता है। इसीलिए सरकार ने नियम सख्त किए है। फिलहाल लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन की एचडीएफसी में सबसे ज्यादा 5.39 पर्सेंट की हिस्सेदारी है।

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