News Room Post

ABG Bank Fraud: यूपीए सरकार के दौरान 2006 से 2009 तक मिला था एबीजी को कर्ज, वित्त मंत्री ने खोली फ्रॉड मामले में कांग्रेस की पोल

abg shipyard

नई दिल्ली। अब ये साफ हो रहा है कि एबीजी शिपयार्ड नाम की जिस कंपनी के कर्ताधर्ताओं ने 28 बैंकों से 22842 करोड़ के कर्जे का फ्रॉड किया, वो सारा मामला कांग्रेस की यूपीए सरकार के दौर में ही हुआ था। सरकारी सूत्रों के मुताबिक कंपनी को साल 2006 से 2009 तक ही ज्यादातर कर्ज दिया गया था। पहले लोन न चुकाने पर बैंकों ने मामले को एनपीए में डाल दिया और जब धोखाधड़ी के सबूत मिले, तो सीबीआई से शिकायत की। बैंकों पर ये आरोप लग रहे हैं कि उन्होंने शिकायत करने में 5 साल लगा दिए। इसपर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैंकों का बचाव किया है। उन्होंने कहा है कि बैंकों ने इस मामले में जल्दी ही धोखाधड़ी को पकड़ लिया। जबकि, ऐसे मामलों का पता चलने में ही 56 महीने लग जाते हैं।

वित्त मंत्री ने कहा कि इस मामले में कार्रवाई चल रही है। उन्होंने बताया कि एबीजी शिपयार्ड को यूपीए सरकार के दौरान ही कर्ज दिया गया था और कंपनी का खाता भी यूपीए सरकार के दौरान ही 30 नवंबर 2013 को एनपीए यानी फंसा हुआ कर्ज घोषित किया गया। उन्होंने कहा कि कंपनी को कर्ज देने वाले बैंकों ने मार्च 2014 में कर्ज वापसी के लिए रास्ता भी तय किया था, लेकिन इसका फायदा भी नहीं हुआ। जिसके बाद बैंकों ने और जांच की और पाया कि कंपनी के कर्ताधर्ताओं ने धोखाधड़ी की। फिर सीबीआई से शिकायत की गई और अब कार्रवाई को कानून के अनुरूप किया जा रहा है।

बता दें कि बैंकों से धोखाधड़ी का ये मामला साल 2014 के बाद आए ऐसे मामलों से कई गुना बड़ा है। पहले हीरा कारोबारी नीरव मोदी और उद्योगपति विजय माल्या 13000 से 18000 करोड़ का कर्ज लेने के ऐसे ही मामलों में सजायाफ्ता हो चुके हैं। माल्या और मोदी लंदन में हैं और उन्हें प्रत्यर्पण का सामना करना पड़ रहा है। खास बात ये भी है कि एबीजी शिपयार्ड गुजरात की कंपनी है और इसी वजह से कांग्रेस लगातार पीएम नरेंद्र मोदी पर इस मामले में हमलावर बनी है। जबकि, पूरा फ्रॉड उसकी ही सरकार के दौर में होने की बात सामने आ चुकी है।

Exit mobile version