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Adani Crisis: अदानी ग्रुप के मामले में मोदी सरकार चौकन्नी, कॉर्पोरेट मामलों का मंत्रालय रख रहा बैलेंस शीट पर नजर

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नई दिल्ली। अदानी ग्रुप के मामले में विपक्ष लगातार मोदी सरकार पर हमलावर है। विपक्ष अदानी ग्रुप को दिए गए कर्ज और एलआईसी के शेयर डूबने की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) या सुप्रीम कोर्ट जजों की कमेटी की मांग कर रहा है। मोदी सरकार की तरफ से शुक्रवार को संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने साफ कह दिया कि अदानी ग्रुप की दिक्कत से सरकार को लेना-देना नहीं है। हालांकि, मोदी सरकार इस मामले में चौकन्ना हो गई है। न्यूज चैनल ‘न्यूज 24’ के मुताबिक सरकारी तंत्र अब अदानी ग्रुप की बैलेंस शीट पर नजर रख रहा है।

न्यूज 24 चैनल के मुताबिक कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय ने अदानी ग्रुप के फाइनेंशियल स्टेटमेंट की समीक्षा शुरू कर दी है। कॉर्पोरेट मामलों का मंत्रालय देख रहा है कि अदानी ग्रुप की वित्तीय स्थिति इस वक्त कैसी है। अदानी ग्रुप कई क्षेत्रों में काम करता है। विशेषज्ञों की जानकारी के मुताबिक अदानी के पास इजरायल के हाइफा और भारत के मुंद्रा समेत कई बंदरगाह हैं। इसके अलावा हवाई अड्डों की देखरेख भी अदानी ग्रुप के पास है। इन दोनों ही क्षेत्रों में कैश से कामकाज होता है। ग्रुप के शेयर्स में भले ही गिरावट दिख रही हो, लेकिन कैश का फ्लो बंदरगाह और हवाई अड्डों की वजह से फिलहाल संकट में नहीं दिख रहा है।

अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी फिच ने भी शुक्रवार को जारी रिपोर्ट में कहा है कि अदानी ग्रुप पर फिलहाल बड़ा संकट नहीं है। फिच के मुताबिक अदानी का कैश फ्लो फिलहाल आता रहेगा। ग्रुप को 2024 से 2026 तक अपनी देनदारियों का बड़ा हिस्सा चुकाना है। भारतीय बैंकों की बात करें, तो स्टेट बैंक (एसबीआई) ने अदानी ग्रुप को 23000 करोड़ और पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) ने 7000 करोड़ का कर्ज देने की बात कही है। दोनों बैंकों के मुताबिक अदानी ग्रुप अब तक कर्ज की रकम वापसी करता रहा है। वहीं, एलआईसी ने बयान जारी कर कहा था कि अदानी के शेयर्स में गिरावट के बावजूद अभी वो फायदे में है। एलआईसी ने करीब 36000 करोड़ की कीमत से अदानी ग्रुप के शेयर्स खरीदे थे। इन शेयर्स की कीमत अभी करीब 56000 करोड़ है।

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