नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक में सहकारी क्षेत्र की प्रगति की समीक्षा की। पीएमओ के द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार प्रधानमंत्री ने सहकारी संगठनों के माध्यम से जैविक उत्पादों को बढ़ावा देने पर जोर दिया। साथ ही उन्होंने कृषि पद्धतियों में सुधार के लिए सहकारी समितियों के माध्यम से निर्यात बाजारों पर ध्यान केंद्रित करने की बात कही। मोदी ने वैश्विक संगठनों के साथ साझेदारी की आवश्यकता पर भी बल दिया। उन्होंने वित्तीय लेनदेन को सुविधाजनक बनाने के लिए यूपीआई को रुपे केसीसी कार्ड के साथ एकीकृत करने के महत्व पर प्रकाश डाला।
<blockquote class=”twitter-tweet”><p lang=”en” dir=”ltr”>PM chairs a high-level meeting to review the progress of Cooperative sector <a href=”https://t.co/HMWBsIQDU2″>pic.twitter.com/HMWBsIQDU2</a></p>— IANS (@ians_india) <a href=”https://twitter.com/ians_india/status/1897623570957615611?ref_src=twsrc%5Etfw”>March 6, 2025</a></blockquote> <script async src=”https://platform.twitter.com/widgets.js” charset=”utf-8″></script>
नरेंद्र मोदी ने सहकारिता के इस क्षेत्र में तकनीकी प्रगति के माध्यम से परिवर्तन लाने के लिए ‘सहकार से समृद्धि’ को बढ़ावा देने, सहकारी समितियों में युवाओं और महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की योजनाओं और सहकारिता मंत्रालय के द्वारा की गई विभिन्न पहलों पर चर्चा की। मोदी ने कहा कि पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सहकारी संगठनों की संपत्तियों का दस्तावेजीकरण करना अत्यधिक जरूरी है। उन्होंने सहकारी खेती को अधिक टिकाऊ कृषि मॉडल के रूप में बढ़ावा देने का सुझाव दिया। इस बैठक में प्रधानमंत्री के दोनों प्रधान सचिव डॉ. पीके मिश्रा और शक्तिकांत दास, सहकारिता मंत्रालय के सचिव डॉ. आशीष कुमार भूटानी भी उपस्थित रहे।
मोदी ने स्कूलों, कॉलेजों और आईआईएम में सहकारी पाठ्यक्रम शुरू करने के साथ-साथ भविष्य की पीढ़ियों को प्रेरित करने के लिए सफल सहकारी संगठनों को बढ़ावा देने का प्रस्ताव रखा। उन्होंने आगे कहा कि युवा स्नातकों को योगदान देने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए और सहकारी संगठनों को उनके प्रदर्शन के आधार पर रैंक किया जाना चाहिए, ताकि प्रतिस्पर्धा और विकास को एक साथ बढ़ावा दिया जा सके। सहकारी समितियाँ अर्थव्यवस्था के कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इसी संदर्भ में इस बैठक में भारत की अर्थव्यवस्था में सहकारी क्षेत्र के योगदान, विशेष रूप से कृषि, ग्रामीण विकास और आर्थिक समावेशन पर प्रकाश डाला गया।