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RBI Repo Rate : आरबीआई ने एक बार फिर रेपो रेट में नहीं किया बदलाव, आखिर होता क्या है ये रेपो रेट, इसके घटने या बढ़ने का महंगाई से क्या लेना-देना है? जानिए…

नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक ने एक बार फिर रेपो रेट में किसी भी तरह का बदलाव न करते हुए इसे 6.50 फीसदी पर बरकरार रखा। आरबीआई की इससे पहले हुई 6 बैठकों में भी रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया और अब सातवीं बैठक के बाद भी रेपो रेट को 6.50 फीसदी ही रखा गया। इससे पहले फरवरी 2023 में आरबीआई ने रेपो रेट बढ़ाया था। इस संबंध में जानकारी देते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया कि एमपीसी यानी मौद्रिक नीति समिति की बैठक में महंगाई पर कंट्रोल के लिए छह में से पांच सदस्य रेपो रेट को अपरिवर्तित रखने के पक्ष में रहे।

रेपो रेट आखिर होता क्या है और इसका महंगाई से क्या लेना देना है? दरअसल रेपो रेट वह रेट है जिसपर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है। केंद्रीय बैंक हर वित्त वर्ष में मानिटरिंग पालिसी पेश करता है। इसमें जरूरत के हिसाब से रेपो रेट को बढ़ाया या घटाया जाता है। जब महंगाई बढ़ जाती है तो आरबीआई रेपो रेट बढ़ा देता है और जब महंगाई घट जाती है तो रेपो रेट कम कर दिया जाता है। रेपो रेट के बारे में फैसला लेते समय केंद्रीय बैंक कई बिंदुओं पर ध्यान रखता है मनी सप्लाई इंफ्लूऐशन, क्रेडिट डिमांड आदि शामिल है।

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने नकद जमा सुविधा के लिए यूपीआई को सक्षम करने से संबंधित घोषणा भी की। उन्होंने कहा कि कैश डिपॉजिट मशीनों यानी सीडीएम के माध्यम से नकदी जमा करना मुख्य रूप से डेबिट कार्ड के उपयोग के माध्यम से किया जा रहा है। कार्डलेस नकद निकासी से प्राप्त अनुभव को देखते हुए अब एटीएम में यूपीआई को समाहित करने का प्रस्ताव है लाया गया है। अब यूपीआई का उपयोग करके सीडीएम में नकदी जमा करने की सुविधा प्रदान करने का प्रस्ताव है। इस उपाय से ग्राहकों की सुविधा और बढ़ेगी तथा बैंकों में मुद्रा-हैंडलिंग प्रक्रिया को और अधिक कुशल बनाया जा सकेगा।

वहीं आरबीआई गवर्नर दास ने ये भी बताया कि सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड में व्यापक अनिवासी भागीदारी की सुविधा के उद्देश्य से, आईएफएससी (अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र) में इन बॉन्ड में निवेश और व्यापार के लिए एक योजना बहुत जल्द ही अधिसूचित की जाएगी।

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