नई दिल्ली। देश में महंगाई के मोर्चे पर नवंबर महीने में थोड़ी राहत देखने को मिली है। NSO द्वारा जारी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आंकड़ों के अनुसार, नवंबर 2024 में खुदरा महंगाई दर घटकर 5.48 प्रतिशत पर आ गई, जो अक्टूबर 2024 में 6.21 प्रतिशत थी। खुदरा महंगाई में यह गिरावट मुख्य रूप से खाद्य पदार्थों, खासकर सब्जियों की कीमतों में नरमी की वजह से हुई है।
खाद्य महंगाई में गिरावट का योगदान
नवंबर 2024 में खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर घटकर 9.04 प्रतिशत रह गई, जबकि अक्टूबर में यह 10.87 प्रतिशत और नवंबर 2023 में 8.70 प्रतिशत थी। खाद्य पदार्थों की कीमतों में नरमी के चलते आम उपभोक्ताओं को थोड़ी राहत मिली है। एनएसओ की रिपोर्ट के मुताबिक, सब्जियों, दालों, चीनी, मिष्ठान्न, फलों, अंडे, दूध, मसालों, परिवहन, संचार और व्यक्तिगत देखभाल संबंधी उत्पादों की महंगाई में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई है।
आरबीआई ने बढ़ाया मुद्रास्फीति का अनुमान
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने पिछले सप्ताह चालू वित्त वर्ष 2024-25 के लिए मुद्रास्फीति अनुमान को 4.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 4.8 प्रतिशत कर दिया। हालांकि, केंद्रीय बैंक ने चेतावनी दी है कि खाद्य वस्तुओं की कीमतों पर बने दबाव के कारण दिसंबर तिमाही में महंगाई ऊंचे स्तर पर बनी रह सकती है।
औद्योगिक उत्पादन में गिरावट
वहीं, औद्योगिक उत्पादन के आंकड़ों में गिरावट दर्ज की गई है। अक्टूबर 2024 में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि घटकर 3.5 प्रतिशत रह गई। इसका मुख्य कारण खनन, बिजली और मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर का कमजोर प्रदर्शन रहा। पिछले साल इसी महीने में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर 11.9 प्रतिशत थी।
मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की धीमी रफ्तार
एनएसओ के मुताबिक, अक्टूबर 2024 में मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर का उत्पादन केवल 4.1 प्रतिशत बढ़ा, जबकि एक साल पहले इसी महीने में यह वृद्धि 10.6 प्रतिशत थी। खनन उत्पादन में 0.9 प्रतिशत और बिजली उत्पादन में दो प्रतिशत की मामूली वृद्धि हुई। अप्रैल-अक्टूबर 2024 की अवधि में औद्योगिक उत्पादन (IIP) में चार प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में यह वृद्धि सात प्रतिशत थी। विशेषज्ञों के अनुसार, खनन और मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र में मांग में कमी और वैश्विक आर्थिक सुस्ती का असर औद्योगिक उत्पादन पर पड़ा है।
आम उपभोक्ता पर असर
महंगाई दर में गिरावट से आम उपभोक्ताओं को थोड़ी राहत मिली है, लेकिन औद्योगिक उत्पादन में सुस्ती से रोजगार और आर्थिक विकास पर असर पड़ सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले महीनों में वैश्विक परिस्थितियों और घरेलू मांग में सुधार से औद्योगिक उत्पादन को बढ़ावा मिल सकता है।