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Adani: चीन की खटिया खड़ी करने वाले अदानी के पीछे क्यों पड़ी हैं विदेशी एजेंसियां? सामने आई ये वजह

Gautam Adani

नई दिल्ली। कोई गुरेज नहीं यह कहने में कि आगामी लोकसभा चुनाव में देश के जाने-माने उद्योगपति अदानी की भी अपनी एक अहम भूमिका रहने वाली है। अगर आप ऐसा सोच रहे हैं कि आगामी लोकसभा चुनाव में सिर्फ इंडिया गठबंधन और एनडीए ही देश की राजनीतिक दिशा व दशा तय करेगी, तो हमें यह कहने में कोई हर्ज नहीं है कि आप गलत सोच रहे हैं। जी हां…वो इसलिए, क्योंकि पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने संसद में अदानी पर जोरदार प्रहार किए। उन्होंने पीएम मोदी पर अदानी को संरक्षित करने का आरोप लगाया। बता दें कि राहुल ने यह हमला हिंडनबर्ग रिपोर्ट के खुलासे के बाद किया था। दरअसल, हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में अडानी ग्रुप पर अपनी बजबजाती आर्थिक हालत को छुपाने का आरोप लगाया था। उन्होंने ऐसा खुद के निवेशकों के छिटकने के डर से छुपाया था, लेकिन आपको बता दें कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट के इस खुलासे के बाद अडानी ग्रुप के शेयर की कीमतों में भारी गिरावट आ गई।

वहीं, हिंडनबर्ग द्वारा लगाए गए इन गंभीर आरोपों के बाद बीते दिनों ओसीसीआरपी ने भी अदानी ग्रुप को लेकर ऐसा खुलासा किया है, जिसके बाद राजनीति गरमा गई है। दरअसल, ओसीसीआरपी ने अपनी रिपोर्ट में आरोप लगाया है कि अदानी ग्रुप ने अपने शेयर खरीदकर उसे स्टॉक एक्सचेंज में निवेश किया था। जिसे लेकर बीते दिनों कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मुंबई में प्रेसवार्ता कर अदानी ग्रुप पर जोरदार हमला बोला था। इससे पहले हिंडनबर्ग को लेकर भी राहुल ने संसद में केंद्र की मोदी सरकार को आड़े हाथों लिया था। उस दौरान राहुल ने एक तस्वीर भी देश के सामने पेश की थी, जिसमें पीएम मोदी और अदानी एक साथ नजर आ रहे थे। इसके जवाब में संसद के मानसून सत्र के दौरान स्मृति ईरानी ने भी एक तस्वीर पेश की थी, जिसमें अदानी और रॉबर्ट वाड्रा साथ नजर आ रहे थे, जिसके बाद रॉबर्ट ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा था कि स्मृति यह साबित करें कि मैंने अदानी के साथ मिलकर कुछ गलत किया है। अगर वो साबित नहीं कर पाती हैं, तो उन्हें माफी मांगनी होगी।

संसद में अदानी मुद्दे को लेकर मोदी सरकार को घेरने के बाद राहुल गांधी को कोर्ट मोदी उपनाम मामले में दो साल की सजा सुनाई गई थी, जिसके बाद उनकी संसद सदस्यता रद कर दी गई थी। हालांकि, बाद में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के बाद उनकी सदस्यता बहाल कर दी गई थी, लेकिन कोर्ट के इस कदम को कांग्रेस ने यह कहकर प्रचारित किया था कि संसद में अदानी को घेरने की वजह से राहुल की संसद सदस्यता रद कर दी गई। वहीं, अब एक बार फिर से अदानी ग्रुप को लेकर राजनीति गरमा गई। इस बार ओसीसीआरपी ने उन्हें निशाने पर लिया है, जिसे लेकर राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर जोरदार हमला बोला। इस बीच अदानी को लेकर एक ऐसी खबर सामने आई है, जिसके बाद उन पर सवाल उठाने वाले चुनिंदा लोग खुद ही सवालों के घेरे में घिरे हुए नजर आ रहे हैं। आइए, अब आगे आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं।

दरअसल, एक रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें कहा गया है कि अदानी ने चीन के हितों को बहुत नुकसान पहुंचाया है। उन्होंने हाइफ़ा बंदरगाह में चीन को हराया। इतना ही नहीं, उन्होंने कोलंबो बंदरगाह में चीन के अलावा मिस्र को भी पटखनी दी थी, जो कि अंतिम चरण में यूरोप के लिए भारत का प्रवेश द्वार रहा है। अदानी पोर्ट्स ग्रीस में कावला, वोलोस और अलेक्जेंड्रोपोली बंदरगाहों के अधिग्रहण के लिए अंतिम चर्चा कर रहा है। भारत अपने यूरोपीय निर्यात के लिए एथेंस के पास ग्रीस के पीरियस बंदरगाह का उपयोग करने की संभावना भी तलाश रहा है। सौदे बंद होने के बाद ग्रीस यूरोप में भारत के केंद्रीय पारगमन केंद्र के रूप में अपनी स्थिति मजबूत करेगा। मुंबई–समुद्र के रास्ते संयुक्त अरब अमीरात, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी, जॉर्डन, इज़राइल हाइफ़ा बंदरगाह रेल द्वारा, हाइफ़ा, ग्रीस समुद्र के किनारे ग्रीस यूरोप और यूरेशिया (वार्ता में) चीन के ओबीओआर के जवाब में हमारे प्रधानमंत्री द्वारा 9 वर्षों में व्यापार मार्ग की योजना बनाई गई जो 20+ वर्षों से प्रगति पर है। लॉजिस्टिक लागत में बचत+भारत के निर्यात को बढ़ावा! कांग्रेस क्यों बौखलाई हुई है, इसका अंदाजा आप आसानी से लगा सकते हैं। बता दें कि बीते दिनों को लेकर भी देश की राजनीति गरमा गई थी। दरअसल, चीन एक नक्शा जारी किया था, जिसमें अरुणाचल प्रदेश को चीन ने अपना हिस्सा बताया था, जिस पर बाद में विदेश मंत्रालय ने आपत्ति जताई थी। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक निजी न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा था कि यह चीन की आदत है। वो ऐसी इस तरह के नक्शे जारी करता रहता है, जिसे गंभीरता लेने की आवश्यकता नहीं है।

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