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अमेरिका में कोविड का जबरदस्त कहर, अगले 48 घंटों में खत्म हो सकता है फ्लोरिडा के अस्पतालों से ऑक्सीजन, विदेशी मीडिया की ‘रहस्यमय’ चुप्पी जारी

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नई दिल्ली। अमेरिका में कोविड का जमकर कहर टूट रहा है। अगर इस समय ऐसे हालात भारत में होते तो विदेशी मीडिया ने आसमान सिर पर उठा लिया होता मगर अमेरिका के मामले में सभी खामोश हैं। अमेरिका के प्लोरिडा में एक तरफ कोविड से इतनी मौतें हो रही हैं कि वहां अस्पतालों के मुर्दाघरों में जगह कम पड़ गई है। तो दूसरी तरफ फ्लोरिडा के अस्पतालों में ऑक्सीजन भी खत्म होने की कगार पर है। संकट इतना गहरा चुका है, इसके बावजूद मीडिया चुप है। दिल्ली के श्मशान की लाशें और जलती चिताएं जलाने वाले मीडिया की आंखों में अब रतौंधी हो चली है। फ्लोरिडा के दर्जनो अस्पतालों में तेजी से ऑक्सीजन की सप्लाई खत्म हो रही है। फ्लोरिडा की हॉस्पिटल एसोसिएशन का सर्वे बताता है कि राज्य के 68 अस्पतालों में 48 घंटे से भी कम की ऑक्सीजन सप्लाई बची है। इसमें से आधे ऐसे हैं जिनमें 36 घंटे की ऑक्सीजन सप्लाई भी नही शेष है। डेल्टा वैरिएंट अमेरिका में तेजी से पांव पसार रहा है।ऐसे में ऑक्सीजन डिमांड आसमान पर पहुंच चुकी है जबकि सप्लाई तेजी से कम होती जा रही है। फ्लोरिडा में कल यानि बृहस्पतिवार के दिन कोविड के 16,550 मरीजों को हास्पिटलाइज किया गया। ये फ्लोरिडा की एसोसिएशन का अपना डेटा है।


मगर हैरानी की बात है कि इतने गंभीर घटनाक्रम को न तो बीबीसी ने अपना एजेंडा बनाया है, न सीएनएन ने, न ही न्यूयार्क टाइम्स और न अल जजीरा ने। भारत की घटनाओं पर जमकर छाती पीटने वाले इन मीडिया समूहों को यहां कुछ भी नही दीख रहा है। आलम यह है कि अस्पतालों की ओर से ऑक्सीजन की खातिर इमरजेंसी कॉल्स की तादाद बढ़ती जा रही है। ऑक्सीजन की डिलीवरी पहले ही 12 घंटे लेट चल रही है। ये हालात भी आज नही बने हैं। एक जुलाई से ही यही आलम है।

तेजी से बढ़ते हुए कोरोना के मामलों ने यहां की पानी आपूर्ति पर भी असर डाला है। जिन इलाकों में सबसे अधिक जनसंख्या है, वहीं पर पानी उपलब्ध नही है। स्थिति  यह है कि ओरलैंडो एवं टांपा बे ने अपने यहां के नागरिकों के लिए पानी के इस्तेमाल पर अंकुश लगाने का फरमान जारी कर दिया है। दरअसल पानी को शुद्ध करने के लिए भी लिक्विड ऑक्सीजन की जरूरत होती है। उसकी कमी के चलते पानी का नया संकट पैदा हो चुका है।

स्थिति दिनो दिन खतरनाक होती जा रही है। ओरलैंडो में सिर्फ दो हफ्ते की पानी सप्लाई के इंतजाम हैं क्योंकि यहां पानी को शुद्ध करने के लिए बस इतना ही लिक्विड ऑक्सीजन बचा है। टंपा बे ने तो नागरिकों को पानी के ट्रीटमेंट का दूसरा तरीका ढूंढने और पानी के स्वाद में बदलाव का आदी होने के निर्देश जारी कर दिए हैं। यहां कोविड से हो रही मौतों का भी रिकार्ड बन चुका है। इस हफ्ते प्रति दिन 227 मौतें हो रही हैं। मगर विदेशी और देश का लेफ्ट लिबरल मीडिया दोनो ही इस खतरनाक सच्चाई को रिपोर्ट नही कर रहे हैं क्योंकि यहां सवाल एजेंडे का है।

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