नई दिल्ली। कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम के लिए पूरे देश में लॉक डाउन है। ऐसे में रिसर्च से जुड़े छात्रों के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने शोधगंगा नामक एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म तैयार किया है इसके माध्यम से रिसर्च कर रहे छात्र विभिन्न प्रकार की थीसिस एवं अन्य पाठ्य सामग्री हासिल कर सकेंगे।
मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा, “घर से पढ़ाई कर रहे छात्रों के लिए ‘शोध गंगा’ मददगार है। भारतीय थीसिस का यह संग्रह छात्रों को उत्साहित करेगा। यहां सभी पाठ्य सामग्री आसानी से उपलब्ध है और छात्रों के लिए यह पाठ्य सामग्री विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय भाषाओं में उपलब्ध है।”
Working on your thesis while at home? Let #Shodhganga support and motivate you with its reservoir of Indian Theses.
The content is easily available to the entire scholarly community, in regional, national and international languages! #COVID19
Know more: https://t.co/xcfxggRZdQ pic.twitter.com/dQMl4KqekQ— Dr Ramesh Pokhriyal Nishank (@DrRPNishank) April 20, 2020
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के मुताबिक ई-प्लेटफार्म शोध गंगा के माध्यम से छात्र को 2 लाख 69 हजार 734 भारतीय थीसिस और 7 हजार 5 सौ सिनोप्सिस उपलब्ध कराए गए हैं। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने अपने एक ट्वीट के माध्यम से कहा, “शोध कर रहे छात्रों के लिए लाइब्रेरी आवश्यक है, लेकिन लॉक डाउन के दौरान यह संभव नहीं है। इसलिए अब उच्च शिक्षा हासिल कर रहे छात्रों को आनलाइन माध्यमों से एक ऐसा प्लेटफार्म मुहैया कराया गया है जहां उन्हें उच्च गुणवत्ता वाली शोध मिल सके।”
गौरतलब है कि लॉक डाउन के कारण छात्रों की सभी प्रयोगशाला बंद हैं। इसके साथ ही कई एमफिल और पीएचडी छात्रों को अप्रैल और मई माह में अपनी थीसिस भी जमा करवानी है। दिल्ली विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद के सदस्य वी. एस. नेगी ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष को पीएचडी एवं एम फिल छात्रों के हितों को ध्यान में रखते हुए एक पत्र लिखा है। पत्र में कोविड-19 (कोरोना वायरस) के प्रकोप के कारण उत्पन्न हुई आपातकालीन परिस्थितियों की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा, “इस महामारी के कहर से बहुत ही कष्टकारक स्थिति पैदा हो गई है जिससे शोधार्थियों का भविष्य भी संकट में पड़ गया है।”
नेगी ने कहा, “संकट की इस घड़ी में शोधार्थियों के लिए फील्ड व प्रयोगशाला में जाकर शोध कार्य कर पाना भी संभव नहीं है। इसलिए सभी छात्रों को थीसिस जमा करने के लिए और छह महीने की और अतिरिक्त अवधि का विस्तार कर दें।” साथ ही यह भी अनुरोध किया गया है कि दिल्ली विश्वविद्यालय सहित अन्य विश्वविद्यालयों के लिए आवश्यक निर्देश जारी करें और अध्यादेश के तहत पूर्व प्रस्तुत संगोष्ठी, थीसिस प्रस्तुति, प्री.सबमिशन और थीसिस प्रस्तुत करने के लिए अन्य औपचारिकताएं पूरी करने के लिए अनिवार्य सभी चरणों हेतु निर्धारित समय-सीमा में छह महीने की छूट दें।