लगातार तीसरी बार नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री की शपथ ले चुके हैं। 2014 के बाद से अभी तक लगातार कांग्रेस भाजपा से हारती आ रही है। लगातार तीन बार चुनाव हारने के बाद इस बार कांग्रेस की कुछ सीटें क्या बढ़ गईं, दंभ कांग्रेस नेता राहुल गांधी के सिर चढ़कर बोलने लगा है। सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के प्रमुख चेहरे होने के बाद भी उन्होंने शिष्टाचार के नाते पीएम मोदी को बधाई तक नहीं दी। जबकि लोकतांत्रिक परंपरा में हमेशा से ऐसा ही होता आया है। खुद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने राहुल गांधी पर निशाना साधा। उन्होंने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनने पर बधाई न देने को लेकर राहुल गांधी को लेकर कहा कि ‘मुहब्बत की दुकान में इतनी नफरत की बधाई का एक ट्वीट भी नहीं किया गया।’
गौर करने वाली बात है जहां—जहां कांग्रेस के साथ भाजपा का सीधा मुकाबला था वहां पर कांग्रेस को भारी पराजय का सामना करना पड़ा है। सीधी लड़ाई में कांग्रेस हिमाचल, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश जैसे बड़े राज्य में एक भी सीट नहीं जीत सकी। छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस महज एक सीट जीत पाई जबकि छत्तीसगढ़ में पिछले साल तक उसी की सरकार थी। गुजरात की 25 सीटों में से कांग्रेस एक सीट जीतने में कामयाब हो पाई। हरियाणा में आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन था तो कांग्रेस वहां 5 सीटें जीतने में कामयाब रही, ऐसे ही राजस्थान में सीपीआई (एम), राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ( आरएलपी ) और भारतीय आदिवासी पार्टी ( बीएपी ) के साथ समझौते के चलते वह आठ सीटें जीतने में कामयाब हो पाई। उत्तर प्रदेश में भी सपा के सहारे ही कांग्रेस की नैया पार लग पाई लेकिन बंगाल में सिर्फ एक सीट पर ही कांग्रेस सिमट गई। आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर आदि राज्यों में भी कांग्रेस की बुरी स्थिति रही।
लोकसभा चुनाव हो या फिर राज्य के चुनाव राहुल गांधी हर जगह फेल साबित होते रहे हैं। पिछले साल राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों में भी राहुल गांधी कोई करिश्मा नहीं कर पाए थे। राजस्थान और छत्तीसगढ़ दोनों राज्यों में कांग्रेस की सरकार थी लेकिन वहां पर कांग्रेस बुरी तरह चुनाव हारी थी।
कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों ने इस बार के लोकसभा चुनावों में जमकर झूठ और प्रलोभन परोसा। फिर चाहे वह महिलाओं के खाते में हर माह 8500 रुपए डालने का मामला हो, या फिर संविधान बदलने की बात हो। यदि कोई राहुल गांधी के पक्ष में बोले तो ठीक नहीं तो वह मीडिया पर भी आरोप लगाने से नहीं चूकते। चुनावों से पहले कांग्रेस ने 14 टीवी एंकरों की एक सूची जारी कर कहा था कि उनके प्रोग्राम में उसके प्रतिनिधि नहीं जाएंगे। एक्जिट पोल के आंकड़े जारी होने के बाद भी जब राहुल गांधी से मीडियाकर्मियों ने सवाल किए तो तब भी उनकी भाषा शालीन नहीं थी।
लोकसभा चुनाव 2024 में इंडी गठबंधन को मात्र 234 सीटें मिली हैं। वहीं अकेले भाजपा ने 240 सीटें देशभर में जीती हैं जबकि जबकि भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने 293 सीटें जीती हैं। महज 99 सीटें जीतने वाले राहुल गांधी जो खुद अमेठी से लड़ने का साहस नहीं कर पाए अब कह रहे हैं की उनकी बहन प्रियंका गाँधी यदि वाराणसी से चुनाव लड़तीं तो पीएम नरेंद्र मोदी को 2-3 लाख के वोटों से हरा देतीं। राहुल गांधी को ऐसा दंभ करना शोभा नहीं देता। चुनाव के दौरान और चुनावों में हारने के बाद भी जिस तरह के बयान राहुल गांधी दे रहे हैं वह उनकी राजनीतिक अपरिपक्वता की निशानी है।
डिस्कलेमर: उपरोक्त विचार लेखक के निजी विचार हैं ।