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An Action Hero Movie Review: “बिन बात का है ये एक्शन हीरो”, फिल्म की कहानी तार्किक, बौद्धिक, इमोशन और एक्शन के स्तर पर कहीं भी टिकती नहीं

An Action Hero Movie Review: यहां हम आप दर्शकों के लिए इस फिल्म का रिव्यू (An Action Hero Review) करेंगे। बताएंगे फिल्म कैसी है, आपको देखने के लिए जाना चाहिए या नहीं।अब ऐन एक्शन हीरो का रिव्यू शुरू करते हैं।

नई दिल्ली। इस शुक्रवार बाजार में एक नई फिल्म आई है जिसका नाम है “An Action Hero”। इस फिल्म में मुख्य भूमिका में दिखने वाले हैं विक्की डोनर और डॉक्टर जी, जैसी फिल्मों में अभिनय करने वाले आयुष्मान खुराना (Ayushmann Khurrana)। आयुष्मान खुराना की इस फिल्म का ट्रेलर कुछ दिन पहले ही आया था और अचानक से फिल्म की रिलीज़ डेट आ गई। फिल्म की न ही कोई चर्चा थी, न ही कोई खबर। ऐसा लगता है मेकर्स ने सोचा, अरे ये पूरा वीक तो खाली पड़ा है, कोई बड़ी फिल्म सिनेमाघर में रिलीज़ नहीं हो रही हैं, तो इस फिल्म को रिलीज़ कर देते हैं। इस फिल्म का निर्देशन अनिरुद्ध अय्यर ने किया है। अनिरुद्ध ने ही नीरज यादव के साथ मिलकर, फिल्म की कहानी भी लिखी है। इसके अलावा आयुष्मान खुराना के साथ फिल्म में जयदीप अहलावत भी हैं। यहां हम आप दर्शकों के लिए इस फिल्म का रिव्यू (An Action Hero Review) करेंगे। बताएंगे फिल्म कैसी है, आपको देखने के लिए जाना चाहिए या नहीं।अब ऐन एक्शन हीरो का रिव्यू शुरू करते हैं।

किरदारों की भूमिका

हमेशा की तरह किरदारों के बारे में बात करें तो, किरदारों के बारे में ज्यादा कुछ बात करने के लिए है ही नहीं। क्योंकि पूरी फिल्म में आयुष्मान खुराना और जयदीप अहलावत ही ज्यादातर दिखते हैं। बाकी सब सपोर्टिंग कास्ट की तरह काम करते हैं। आयुष्मान खुराना ने फिल्म में एक फ़िल्मी सुपरस्टार का किरदार निभाया है, जिसका नाम मानव है। वहीं जयदीप अहलावत ने हरियाणा के नेता का किरदार निभाया है, जिसका नाम है भूरा ।

कहानी क्या है

इस फिल्म की कहानी बहुत सरल और घिसी हुई है। एक बहुत बड़ा सुपरस्टार है जिसके काफी प्रशंसक हैं। उसके द्वारा हरियाणा के एक नेता के छोटे भाई का धोखे से मर्डर हो जाता है। जिसके बाद “सुपरस्टार मानव” खुद को बचाने के लिए देश से बाहर लंदन चला जाता है। वहीं जिसका मर्डर हुआ है उसका बड़ा भाई भूरा भी, मानव से बदला लेने के लिए लंदन जाता है। अब क्या भूरा बदला ले पाएगा ? क्या सुपरस्टार मानव इस धोखे से हुए मर्डर के आरोप से बच पाएगा ? इसी विषय पर फिल्म की कहानी, रेंगती रहती है।

कैसी है कहानी

आम तौर पर मैं फिल्म की कहानी को बिंदुवार रिव्यू करता हूं, लेकिन इस फिल्म में ऐसा कुछ है ही नहीं। फिल्म का नाम है ऐन एक्शन हीरो। जिसमें एक्शन के नाम पर हमें दो व्यक्तियों की, फ़िल्मी लड़ाई दिखती है। कहते हैं, एक्शन फिल्मों में, फिल्म के हीरो की एंट्री जबरदस्त एक्शन के साथ होनी चाहिए लेकिन इस फिल्म में हीरो की एंट्री इतने सुस्त तरह से होती है कि फिल्म के पहले चरण से ही दर्शक भी सुस्त हो जाता है।

आयुष्मान खुराना चाहे कितनी भी कोशिश कर लें, लेकिन उनके द्वारा की गई, उनकी पिछली फिल्मों की छाप उनके दिल से गई नहीं है। वो इस फिल्म की कहानी में, कहीं भी फिट नहीं बैठे हैं।

जयदीप अहलावत ने फिल्म में जिस किरदार की भूमिका निभाई है, ऐसा लगता है की उन्हें भी कुछ अलग किस्म की फिल्में करनी चाहिए क्योंकि काफी वक़्त से उनके किरदारों में कोई बदलाव देखने को नहीं मिला है। हमेशा वही, हरियाणवी टोन के किरदार में ही, वो दिख रहे हैं। उनके साथ एक ये भी समस्या लगती है, कि अगर कोई भी हरियाणा का किरदार है, तो कास्टिंग डायरेक्टर उस रोल के लिए, जयदीप को सेलेक्ट कर लेता है।

अब फिल्म की कहानी और पटकथा पर आ जाते हैं। फिल्म की कहानी कहीं से भी समझदारी का परिचय नहीं देती है। फिल्म शुरुआत में दर्शकों का मूड सेट करने में और दर्शकों को अपनी ओर खींचने में, नाकाम हो गई है। इसके अलावा फिल्म अपने टाइटल के साथ भी न्याय नहीं करती है।

फिल्म की कहानी जल्दबाज़ी में बनाई हुई लगती है। ऐसा लगता है राइटर के पास एक विषय था और एक विज़न जिसके बाद आनन-फानन में उसने फिल्म बना दिया। राइटर भूल गए कि विषय और विज़न के बीच में होती है “कहानी”, जो फिल्म से गायब दिखती है।

मौजूदा दौर की फिल्में, फिल्म में कॉमेडी के लिए, मीम वाले जोक्स का इस्तेमाल करती हैं जो बिल्कुल भी हंसाते नहीं हैं।

फिल्म का नाम है, “ऐन एक्शन हीरो” लेकिन 2 या 3 एक्शन सीन ही फिल्म में ठीक दिखे हैं। कोई भी अच्छे एक्शन सीन, फिल्म में नहीं हैं। कहीं-कहीं पर एक्शन सीन ऐसे लगते हैं, जैसे बचपन में बच्चे, WWE खेलते थे।

फिल्म में 2 गाने सुनने को मिलते हैं जो कि रैप सांग हैं जिनके एक-दो वर्ड्स को छोड़कर और कुछ समझ नहीं आता है। इसके अलावा फिल्म के क्रेडिट रोल में एक गाना है, जो कि यूज़लेस है।

फिल्म में इमोशन बिल्कुल भी, देखने को नहीं मिलते हैं, जिसके कारण किरदार और कहानी से सहानुभूति और जुड़ाव महसूस नहीं होता है। फिल्म में सस्पेंस और थ्रिल भी नही है तो फिल्म इस कारण से बांधने में भी असफल होती है। फिल्म तार्किक और बौद्धिक स्तर से कोसों दूर खड़ी दिखती है।

ओवरॉल फिल्म में कुछ भी नहीं है। न कहानी न एक्टिंग न मनोरंजन। हां अगर आप उन लोगों में से हैं, जो सोशल मीडिया के जोक पढ़कर घंटों हंसते हैं तो जाकर फिल्म को देख सकते हैं। बाकी आप मेरे पाठक हैं, इसलिए ये बताना मेरा फर्ज़ है कि फिल्म का “एक्शन हीरो” असल में कहानी के स्तर पर ज़ीरो निकला है। फिल्म को मिलते हैं मेरी तरफ से मात्र 1 स्टार।

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