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Boycott Adipurush: रामायण के श्रीराम Arun Govil ने Adipurush फिल्म पर नाराज़गी जताते हुए कही ये बड़ी बात, बोले – उचित नहीं है ये

नई दिल्ली। जब रामायण का जिक्र आता है तो राम के रूप में आपको अरुण गोविल जी का चेहरा याद आता है। अरुण गोविल जी ने जिस आत्मा के साथ किरदार को निभाया था लोग उन्हीं को भगवान समझने लगे थे। लोग उन्हें पूजने गए थे। जहां भी वो अगर किसीको मिल जाते थे तो चाहे बड़े-बूढ़े हों या छोटे सब उन्हें झुककर प्रणाम करते थे। कुछ दिन पहले ही एक वीडियो वायरल हुआ था जहां एक महिला एयरपोर्ट पर झुककर राम गोविल के पैर छू रही थी। करीब 1 मिनट तक वो अरुण गोविल के चरणों को ही छूती रही थी। आज भी श्रीराम के रूप में अरुण गोविल का ही चेहरा लोगों के सामने है और लोगों ने उन्हें ही भगवान माना हुआ है। रामानंद सागर की रामायण को इतनी जीवंतता के साथ बनाया गया था उसके सभी किरदार को लोग आज भी सम्मान की दृष्टि से देखते हैं। वहीं अब आधुनिक तर्ज़ पर एक फिल्म आई है आदिपुरुष जिसके मात्र टीज़र के आने से विवाद छिड़ गया है और लोगों का मानना है कि इस फिल्म के रावण के किरदार ने लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया है। जहां इसे लेकर तमाम लोग अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं वहीं रामायण की मां सीता ने भी इस पर अपना पक्ष रखा था। वहीं अब रामायण के श्रीराम अरुण गोविल (#ArunGovil) जी का भी बयान आ गया है। यहां हम आपको विस्तार में वही बताने का प्रयास करेंगे।

आदिपुरुष (#Adipurush) के विवाद के चलते पहले ही रामायण की मां सीता और भैया लक्ष्मण का बयान आ चुका है। वहीं अब काफी दिनों से चुप श्रीराम का किरदार निभाने वाले अरुण गोविल ने भी चुप्पी तोड़ दी है। उन्होंने भी यूट्यूब चैनल के माध्यम से अपनी बात रखी है। उन्होंने कहा है –

“जब फिल्म आदिपुरुष का टीज़र हुआ तब से सभी मीडिया जगत में एक हंगामा है मुझसे भी तमाम सारे चैनल अपने विचार रखने को कह रहे हैं लेकिन मैंने सोचा कि मैं अपनी बात आपके सामने रखूंगा। रामायण, महाभारत और श्रीमद्भागवत ये हमारी सांस्कृतिक धरोहर हैं। ये हमारी नींव हैं, जड़ हैं और नींव को हिलाया नहीं जा सकता है। हमें इन शास्त्रों से जीने का आधार मिलता है। ये धरोहर हमें जीवन की कला सिखाते हैं। हमारी संस्कृति सबसे प्राचीन संस्कृति है। कोरोना के बाद भी जो पुराने समय में बनी रामायण को रिलीज़ किया गया तो उसने रिकॉर्ड बनाया। काफी जद्दोजहद के बाद राम मंदिर बनाने का मौका मिला. न जाने कितना रक्त बहाने के बाद हमें राम मंदिर के पक्ष में निर्णय मिला। मंदिर को भव्यता देने के साथ उसकी आत्मा और मौलिकता को ज्यों का त्यों रखकर मंदिर बन रहा है। हमे अपनी सभी सांस्कृतिक और धरोहरों और मान्यताओं को जैसी वो हैं वैसी ही बनाए रखना चाहिए। उनमें किसी तरह का बदलाव न करना चाहिए न किसी और करने देना चाहिए। नई पीढ़ी को वही सिखाइए जो सत्य है और सनातन है। आजकल चलन है कि देवी देवताओं का मजाक बनाओ। ये उन क्रिएटर्स को ध्यान रखना चाहिए कि वो किसी की भी धार्मिक भावनाओं को आहत न करें।”

अपनी बात को रखते हुए अरुण गोविल ने साफ़ कर दिया कि रचनात्मक स्वतंत्रता के नाम से सांस्कृतिक धरोहर से मजाक उचित नहीं है। ये जवाब इस फिल्म के डायरेक्टर के लिए है जो ये कहते हैं कि उन्होंने आज के समय का रावण बनाया है। इसके अलावा अरुण गोविल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को भी धन्यवाद दिया जिन्होंने देश और विदेश हर जगह सांस्कृतिक धरोहर को बचाने और उन्हें संवारने का काम किया है।

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