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Ghazal Maestro No More: मशहूर गजल गायक भूपिंदर सिंह का लंबी बीमारी के बाद निधन, तमाम फिल्मों में अपनी मखमली आवाज दी, गिटार में भी थे पारंगत

singer bhupinder singh 1

मुंबई। ‘दिल ढूंढता है फिर वही…’, ‘होके मजबूर मुझे उसने बुलाया होगा…’ और ‘एक अकेला इस शहर में…’ जैसे गीत अपनी मखमली आवाज में गाकर लोगों के दिलों में बसने वाले मशहूर गजल गायक भूपिंदर सिंह का सोमवार रात मुंबई में निधन हो गया। वो 82 साल के थे। भूपिंदर की पत्नी मिताली सिंह ने उनकी निधन की जानकारी दी। देर रात करीब 12 बजे भूपिंदर सिंह का अंतिम संस्कार भी कर दिया गया। मिताली ने मीडिया को बताया कि काफी दिनों से भूपिंदर अस्पताल में भर्ती थे। डॉक्टरों को शक था कि उनको आंतों का कैंसर है। इसी दौरान उनको कोरोना भी हो गया। इसके बाद सोमवार देर शाम को दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया।

भूपिंदर सिंह की मखमली आवाज ने एक दौर में हिंदी फिल्म संगीत और गजल गायकी के प्रति लोगों का रुझान वापस ला दिया था। गजल के अलावा भूपिंदर को गिटार बजाने में भी महारत हासिल थी। ‘दिल ढूंढता है’, ‘दम मारो दम’, ‘महबूबा-महबूबा’ जैसे गीतों में उन्होंने गिटार बजाया था। उन्हें संगीत की शिक्षा अपने पिता से मिली थी। फिल्मों में गीत गाने से पहले वो मशहूर म्यूजिक डायरेक्टर पंचम यानी आरडी बर्मन की ऑर्केस्ट्रा में गिटार ही बजाते थे। भूपिंदर सिंह ने गीतों के संसार में ऑल इंडिया रेडियो से कदम रखा था। वो वहां स्टाफ आर्टिस्ट के तौर पर भर्ती हुए थे।

भूपिंदर इसके साथ ही रेडियो पर गीत भी गाने लगे। उनके गीतों को मशहूर संगीतकार मदनमोहन ने सुना। मदनमोहन ने ही उन्हें सबसे पहले फिल्मों में ब्रेक दिया। चीन के भारत पर हमले की थीम पर बनी फिल्म में भूपिंदर ने एक गीत में खुद एक्टिंग भी की थी। जब कला फिल्मों का दौर आया, तो ऐसी फिल्मों के बड़े नायक अमोल पालेकर बने। उनकी ‘घरौंदा’ फिल्म में भूपिंदर सिंह ने तमाम गीत गाए और सभी हिट रहे। लोगों का उस दौर में कहना था कि भूपिंदर की वजह से ही अमोल पालेकर की पहचान बनी।

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