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Trial Period Review: सिंगल मदर के रूप में वापस लौटीं जेनेलिया, मानव कौल का मिला साथ, पढ़ें पूरा रिव्यू

नई दिल्ली। किसी भी बच्चे की परवरिश में मां और बाप दोनों का बराबर का योगदान होता है। मां और बाप जीवन की ईमारत के वो दो मजबूत पिलर हैं, जिनकी कमीं कोई भी नहीं पूरी कर सकता। बच्चे को हमेशा अपने मां और बाप दोनों का प्यार चाहिए होता है। बच्चों के लिए मां या बाप दोनों में से किसी एक को चुनना कठिन होता है और जिन बच्चों के मां या बाप में से कोई भी एक न हो उनके मन को जो ठेस पहुंचती है, उसे समझा नहीं जा सकता। जेनेलिया देशमुख की आज रिलीज हुई फिल्म ‘ट्रायल पीरियड’ भी इसी के इर्द-गिर्द घूमती है। तो चलिए एक नजर डालते हैं फिल्म की कहानी पर

क्या है कहानी?

फिल्म की कहानी एक सिंगल मदर अनामया रॉय चौधरी (जेनेलिया देशमुख) की है। जो कि एक सिंगल मदर है और अपने 6 साल के बेटे रोमी के साथ रहती है। रोमी अपने दोस्तों को उनके माता-पिता के बारे में बात करता देख अपने फादर को बहुत मिस करता है। रोमी एक दिन स्कूल से घर आकर टीवी पर एक टीवीसी देखता है। जिसमें दिखाया जाता है कि कोई भी समान 30 दिन के ट्रायल पीरियड पर लेकर जाओ। इसके बाद वो अपनी मां से 30 दिन के लिए पिता ला देने की जिद्द करता है। पहले तो उसकी मां अनामया चौंक जाती है। लेकिन बेटे की जिद्द के आगे झुक जाती है और तीस दिन के लिए पिता लाने की जद्दोजहद में लग जाती है। अनामया की ये तलाश उज्जैन के रहने वाले प्रजापति द्विवेदी (मानव कौल) यानि कि पीडी पर आकर खत्म होती है। पीडी उज्जैन से रोजगार की तलाश में दिल्ली आए एक बेरोजगार हैं।

पीडी के आने से अनामया और रोमी की जिंदगी में क्या उथल-पुथल मचती है? क्या पीडी रोमी को पिता शब्द से नफरत करवाने में कामयाब होंगे? क्या अमायरा और पीडी के बीच शुरू होगी कोई प्रेम कहानी? ये सब जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।

फिल्म ट्रायल पीरियड में जेनेलिया देशमुख और मानव कौल के अलावा गजराज राव, शक्ति कपूर, शीबा चड्ढा, स्वरूपा घोष, बरुण चंदा, और जिदान ब्राज अहम भूमिकाओं में हैं। फिल्म को जियो सिनेमा पर रिलीज किया गया है, जिसे आप फ्री में देख सकते हैं।

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