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Ghoomar Review: Abhishek Bachchan के करियर में मील का पत्थर साबित होगी ‘घूमर’, आर. बाल्की का काम बेहतरीन, पढ़ें पूरा रिव्यू

नई दिल्ली। अभिषेक बच्चन और सैयामी खेर स्टारर फिल्म ‘घूमर’आज सिनेमाघरों में रिलीज की जा चुकी है। ऐसे तो बॉलीवुड में स्पोर्ट्स पर बेस्ड कई फ़िल्में बनी है, जो सफल भी रही हैं। फिर चाहे ‘एम एस धोनी’ हो या मेरी कॉम या फिर चक दे इंडिया, इन सभी फिल्मों ने दर्शकों के दिलों में अपनी जगह बनाई है। ऐसे में पा और पैडमैन जैसी दमदार फ़िल्में बना चुके निर्देशक आर. बाल्की एक बार फिर फिल्म ‘घूमर’ लेकर आए हैं। इस फिल्म में निराशा, हताशा भी है और ऊर्जा, उत्साह भी। जिंदगी से लड़ने के जज्बे को दिखाती ये फिल्म एक हाथ वाली लड़की को क्रिकेट सिखाने की कहानी पर बनाई गई है, तो चलिए आपको बताते हैं कैसी है ये फिल्म…

कैसी है फिल्म की कहानी

फिल्म ‘घूमर’ में एक महिला क्रिकेटर की असाधारण क्रिकेट जर्नी को दर्शाया गया है। इस महिला क्रिकेटर के जीवन में एक भयानक हादसा होता है, जिसमें वो अपना दायां हाथ खो देती है। सैयामी खेर इस फिल्म में बाएं हाथ की स्पिनर है। लेकिन इस हादसे के बाद उनकी जिंदगी पूरी तरह बदल जाती है और वो डिप्रेशन में चली जाती है। वो सुसाइड करने की भी कोशिश करती है। लेकिन तभी उनके जीवन में पैडी के किरदार में अभिषेक बच्चन की एंट्री होती है। अभिषेक बच्चन भी किसी परफेक्ट कोच की तरह नहीं हैं। अपने अतीत के कारण वो भी डिप्रेशन और नशे की लत के शिकार हैं। लेकिन इस लड़की को ट्रेनिंग देते हुए उन्हें भी अपनी जिंदगी का मकसद मिल जाता है। इस फिल्म को देखते हुए कई बार आपकी आंखें नम होंगी और कई बार आपको अपनी जिंदगी की मुश्किलों से डटकर सामना करने का हौसला भी मिलेगा।


अभिषक बच्चन की एक्टिंग ने जीता दिल

अभिषेक बच्चन ने कोच की भूमिका में अपनी एक्टिंग से एक बार फिर दिल जीत लिया है। फिल्म की कहानी को अभिषेक ने एनर्जी से भर दिया है। अवसाद में होकर भी अपने अंदर के खिलाड़ी को जिंदा रखने वाले शख्स के किरदार में उन्होंने जान फूंक दी है। फिल्म में उनका हर एक सीन एनर्जेटिक है। सोने पर सुहागा तो तब होता है जब अभिषेक बच्चन अपने मोनोलॉग के साथ आते है, फिल्म मानों अपने चरम पर पहुंच जाती है।

सैयामी का बेहतरीन काम

बात अगर सैयामी खेर की करें तो फिल्म में उनका ट्रांसफॉर्मेशन कमाल है। दरअसल, बता दें कि सैयामी असल जिंदगी में भी क्रिकेट खेलती हैं। इसलिए एक होनहार बल्लेबाज और एक स्पिनर का रोल प्ले करना उनके लिए एक शानदार मौका था। सैयामी का कैरेक्टर आपको हर एक शॉट और एंगल के साथ दर्द का एहसास कराता है। अपना एक हाथ खो देने के बाद की बेबसी और मैदान पर खेलते हुए उनकी ऊर्जा दोनों ही कमाल लगी है। वहीं अंगद बेदी और शबाना आजमी ने भी अपने दमदार अभिनय से फिल्म को बेहतरीन बनाने में अहम भूमिका निभाई है।

कैसा है डायरेक्शन

डायरेक्शन की बात की जाए तो हमेशा की तरह आर. बाल्की परफेक्ट हैं। कई जगहों पर फिल्म की कहानी बिना किसी डायलॉग के भी अपना जादू चलाती है, जहां किरदारों की आंखें ही सबकुछ कह जाती हैं। फिल्म का कोई भी सीन स्लो या बोर नहीं महसूस नहीं कराता। अगर आप क्रिकेट और सिनेमा दोनों से प्रेम करते हैं, तो ये फिल्म आपको जरूर पसंद आएगी।

कैसी है फिल्म

‘घूमर’सिर्फ एक फिल्म नहीं बल्कि एक ऐसी कहानी है जो जिंदगी से हार मान चुके हर एक शख्श को जीने की नई उम्मीद देती है। ये फिल्म वाकई अभिषेक बच्चन के बेहतरीन कामों में से एक है, जो स्वाभाविक ही उनके करियर के लिए मील का पत्थर साबित होगी। हम इस फिल्म को पांच में से 4 स्टार देते हैं।

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