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International Widows Day 2021: बॉलीवुड की वो फिल्में जिन्होंने विधवा महिलाओं के दर्द को उतारा फिल्मी पर्दे पर

Nina Gupta Madhuri Dixit

नई दिल्ली। फिल्मों का हमारे समाज पर काफी गहरा असर होता। बीते समय में फिल्मी जगत ने समाज में व्याप्त कई बुराइयों को लेकर फिल्में बनाईं और लोगों के दिल और दिमाग पर असर भी छोड़ा। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय विधवा दिवस के मौके पर आज हम आपको बताने जा रहे हैं समाज उपेक्षा की नजर से दिखी जाने वाली विधवा महिलाओं पर बनी कुछ ऐसी फिल्मों के बारे में जिन्होंने उनके दर्द और समाज में किए जा रहे उनके संघर्ष को फिल्मी पर्दे पर बखूबी उतारा है। सबसे पहले बात करते हैं, 1982 में आई राज कपूर (Raj Kapoor) की फिल्म प्रेम रोग (Prem Rog) की। इस फिल्म को वैसे तो रोमांटिक टैग भी मिला है लेकिन फिल्म में विधवा औरत को लेकर पाबंदियों को भी बखूबी दिखाया गया है। इस फिल्म में पद्मिनी कोल्हापुरी (Padmini Kolhapuri) को एक विधवा महिला के रूप में दिखाया गया है। फिल्म में दिखाया गया है कि किस तरह पद्मिनी कोल्हापुरी शादी के अगले ही दिन एक विधवा हो जाती है और इसके बाद उसका ससुर उसका शोषण करने की कोशिश करता है।

द लास्ट कलर

इसके अलावा साल 2019 में रिलीज हुई फिल्म द लास्ट कलर (The Last Color) में भी विधवा महिला के संघर्ष को बयां करती है। इसमें नीना गुप्ता (Neena Gupta) ने विधवा औरत का किरदार निभाया था फिल्म में दिखाया गया है कि किस तरह एक औरत विधवा का अपना धर्म निभाने के लिए सारे सुखों को त्याग देती है।

मदर इंडिया

वहीं साल 1957 में आई फिल्म मदर इंडिया (Mother India) इस तरह की फिल्मों में सर्वश्रेष्ठ फिल्म मानी जाती है।  मदर इंडिया में नरगिस (Nargis) ने एक विधवा सशक्त महिला का किरदार निभाया था। फिल्म कहानी में दर्शाया गया है एक महिला के पति की मृत्यु के बाद किस तरह एक विधवा जीवन संघर्ष के साथ अपने बच्चों को पालती है और समाज की बुरी नजरों से खुद को बचाती है।

मृत्युदंड

माधुरी दीक्षित द्वारा अभिनीत फिल्म मृत्युदंड (Mrityudand) भी विधवा महिला की कहानी पर आधारित है। यह फिल्म 1997 में रिलीज हुई थी। फिल्म में माधुरी दीक्षित (Madhuri Dixit) ने एक ऐसी विधवा महिला का किरदार निभाया था कि, जो न सिर्फ अपने पति की मौत का बदला लेती है बल्कि अन्य औरतों को भी सशक्त बनाती है।

वहीं, विधवाओं को लेकर अगर भारत की बात करें, तो मीडिया रिपोर्ट्स का कहना है कि भारत में लगभग चार करोड़ से ज्यादा विधवा महिलाएं हैं। इन महिलाओं में आज भी समाज में मदद की जरूरत और, बराबरी का हक देने की आवश्यकता है। यहां आज भी विधवा महिलाएं अपने अधिकारों को नहीं पाती। हालांकि इनकी इस स्थिति के जिम्मेदार कही न कहीं हम ही हैं, क्योंकि हम अक्सर भूल जाते हैं कि, विधवा महिलाएं भी हमारे ही समाज और देश का हिस्सा हैं। इसलिए हर किसी को इनका सम्मान करना चाहिए।

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