नई दिल्ली। जब भारत में रामायण (Ramayana) जैसे सीरियल को देखने के लिए सड़क से भीड़ खत्म हो जाती है। वहीं एक ऐसा भी समय है जहां आज फिल्म रिलीज़ होते ही दर्शक बॉलीवुड की ज्यादातर फिल्मों का बहिष्कार (Boycott Bollywood) करना शुरू कर देते हैं। हाल ही में आमिर खान (Aamir Khan) की लाल सिंह चड्ढा (Laal Singh Chaddha) और अक्षय कुमार (Akshay Kumar) की रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) फिल्म दर्शकों के निशाने पर है। ऐसे ही चलता रहा तो फिल्म कब सिनेमाघर से हट जाएगी, पता भी नहीं चलेगा। इसीलिए तो जैसे ही आमिर ने देखा, दर्शक काफी समय से उनकी फिल्म को बहिष्कार करने की बात कर रहे हैं। तब ऐसे समय पर आमिर खान ने खुद सामने आकर फिल्म को बहिष्कार न करने की अपील की है। यहां हम जानने का प्रयास करेंगे आखिर क्या कारण है कि पिछले कुछ समय से हिंदी भाषा की कई फिल्म बहिष्कार के निशाने पर है।
Tilakdhari @TheSharmanJoshi with @TusshKapoor demands chanda from @ArshadWarsi to treat cancer at specific organ of Har*mi (Harichandra Ramchandra Mirchandani)
Golmaal by @iamrohitshetty
Could he have worn skull-cap and named dean as Hafiz Rahman Miraj?pic.twitter.com/u0l9oA0x0l
— Gems of Bollywood (@GemsOfBollywood) July 14, 2021
दर्शक को बेवकूफ समझने की भूल
पिछले कुछ समय से हमने देखा है की तथाकथित बॉलीवुड ने दर्शकों को मूर्ख समझ लिया है। उन्हें लगता है, ये तो भारत की भोली जनता है इसे चटकारा मारकर जो भी दोगे चाट लेगी। लेकिन ये हिंदी भाषा फिल्म (Bollywood) बनाने वाले ये नहीं समझते हैं कि चाहे राजनीति (Politics) हो या फिल्म (Film), सबकी राजा जनता ही होती है। वही तय करती है कौन हिट होगा और कौन फ्लॉप। अब वही भारत की जनता आमिर खान और उनकी फिल्म का भी भविष्य तय करने वाली है।
When poor helpless Hindu girls find no support, it is the noble Karima Aapaa who teaches her importance of bringing Imaan – straight from Holy Book and life of Holy Prophet
Award-winning Film Dada https://t.co/morF3uGZ62
— Gems of Bollywood (@GemsOfBollywood) August 2, 2022
लगातार हिन्दू विरोधी टिप्पणी करना
आमिर खान तो दर्शकों के निशाने पर तब से हैं जब से आमिर ने एक मंच पर कह दिया की उन्हें और उनकी पत्नी को भारत में रहने से डर लगता है। ऐसा कहा ही था कि, उसके कुछ दिन बाद ही आमिर तुर्की के उन प्रेसीडेंट से मिलने पहुंच गए जो कश्मीर में 2000 डॉलर देकर सैनिकों को भारत के खिलाफ लड़ने के लिए भेज रहे थे। इसके अलावा लोगों ने आमिर खान को एक्टिविस्ट मेधा पाटकर के साथ नर्मदा बचाओ आंदोलन में एक साथ देखा था जिसके कारण भुज के किसानों को 10 साल पानी के लिए इंतजार करना पड़ा। इन सब कारणों से आमिर खान की फिल्म दर्शक के निशाने पर है।
Only Allah can save child of Sharma couple
Hence Fakirs must stand in front of every temple
Dialogs, Story, Lyrics by Kader Khan and Hasan Kamal
Film Sapno Ka Mandir
Why never a Khan couple and a sadhu singing Om Jai Jagdeesh? pic.twitter.com/oErK5suxpC
— Gems of Bollywood (@GemsOfBollywood) August 1, 2022
हिन्दू जाग गया है
बॉलीवुड या हिंदी भाषा उद्योग लगातार ऐसी फिल्में बनाता है जिनसे दर्शक थक गए हैं। कहीं वो भारतीय संस्कृति का मजाक उड़ाता है तो कहीं वह भारतीय संस्कृति को खराब करता है (जिसके वीडियो हमने लेख में लगाए हैं )। ऐसी तमाम फिल्म हैं जिसमें हिन्दू को गलत और मुसलमान को अच्छा बताया गया है जिसके भी कुछ वीडियोज हमने लगाए हैं। इन फिल्मों में ज्यादातर हिन्दुओं को डाकू, चोर, डकैत, लालची बाबा ही दिखाया गया है। वहीं मुसलमानों को शिष्ट, सुशील, दयावान, और उदार मौलवी के रूप में चित्रण किया है। ये ज्यादातर सलीम-जावेद की फिल्मों के काल में हुआ है। यहां ऐसा बिल्कुल नहीं है कि मुसलमानों की अच्छी छवि प्रदर्शित करना गलत है बल्कि पेंच यह है कि हिन्दुओं को गलत दिखाना, असल समस्या है।
याद तो
होगा ही pic.twitter.com/tF4OpUdP7w— सत्यनारायण?? (@satyanarayan978) August 1, 2022
इन सभी मुद्दों को अब जनता ने आड़े हाथ ले लिया है। जनता अब सोच समझकर फिल्मों को देखने का विचार रखती है। हाल ही में शमशेरा (Shamshera) का जनता ने क्या हाल किया हम सब देख ही रहे हैं। मौजूदा दौर में जब दक्षिण भाषा की फिल्म हिन्दुओं के आराध्य भगवान श्रीराम को फिल्म में दिखाना चाहते हैं हिन्दू संस्कृति को दिखाना चाहती है, महाभारत और भगवतगीता पर फिल्म बनाना चाहती है। वहीं हिंदी भाषा में, अभी भी या तो मां काली के नाम के साथ खिलवाड़ मचता है या फिर भगवान शंकर के नाम पर विवाद मचता है।
Temple-lovers are alcohol-guzzling extortionists and goons
Story written by Kader Khan. Film Suhaag (1979) featuring Sadi ka Mahanayak @SrBachchan https://t.co/1eOqliXWC9
— Gems of Bollywood (@GemsOfBollywood) July 24, 2022
ऐसा नहीं है की इन कलाकारों का धर्म विशेष के कारण विरोध हो रहा हो बल्कि कारण यह है की दर्शकों को लगता है बॉलीवुड के ज्यादातर कलाकार भारत विरोधी (Anti India) सोच रखते हैं। अगर ऐसा न होता तो क्यों खुद आमिर खान को बताने आने पड़ता की वो भी देश को प्यार करते हैं।
If you think the Krishna portrait on the wall while the woman is undressing herself is incidental, the joke is on you
Film Dev D by Anurag Kashyap https://t.co/kZSDDdEE2U
— Gems of Bollywood (@GemsOfBollywood) July 20, 2022
यहां हमने अनुराग कश्यप (Anurag Kashyap) की फिल्म डेव-डी (Dev-D) का वीडियो लगाया है। इसे ध्यान से देखिएगा तब पता चलेगा, कैसे अभय देओल, एक्ट्रेस माही गिल से, उनकी नग्न अवस्था में फोटो मांगते हैं और एक्ट्रेस जब नग्न हो रही होती हैं। उस समय वहां पर जानबूझकर भगवान कृष्ण की फोटो को लगाया गया है। ऐसा लगता है कि भगवान कृष्ण, माही गिल को देख रहे हैं। अब ऐसी बेवकूफी भरी हरकत डायरेक्टर अनुराग कश्यप के द्वारा क्यों की गयी है, आप अंदाजा लगा सकते हैं।
वहीं लगातर पीके, ओह माई गॉड जैसी फिल्म बनाना और हिन्दुओ के खिलाफ कॉन्ट्रोवर्सी रिमार्क देना जैसे हाल ही में रतना पाठक शाह ने करवाचौथ पर बयान दिया था। इन कारणों से भी दर्शक नाराज़ हैं। इस लिस्ट में कोई एक नहीं, बल्कि लगभग पूरा का पूरा बॉलीवुड है। हिन्दुओं को लगता है बॉलीवुड हिन्दुओं के धर्म पर तुरंत फिल्म बनाता है पर मुसलमानों के मुद्दों पर अपने मुंह को सिल लेता है।
Kaasim chacha is a saviour. He is a Farishta. He saves Hindu woman’s izzat from gundas “Sewak Ram” and “Bhagat Ram”, risking his life. Sees Beti in her. Is so sensitive about her faith that he offers her tea only from “Hindu hotel”
Urduwood fiction is great respite from reality https://t.co/LFB2hutH7a
— Gems of Bollywood (@GemsOfBollywood) July 21, 2022
बेहतरीन फिल्म न बनना
जैसा की हमने पहले जिक्र किया की बॉलीवुड हमेशा हिन्दुओं पर ओछी टिप्पणी करते हुए फिल्म बना रहा है। ऐसे में हम समझ सकते हैं की जरूर बॉलीवुड वो फिल्में नहीं बना रहा है जिन्हें दर्शक पसंद करे। अब अगर आप दर्शक की पसंद का ख्याल नहीं रखेंगे और उनके खिलाफ भी बोलेंगे फिर तो फिल्म का बॉयकॉट होना पक्का है। बॉलीवुड चाहे तो बहुत सारे ऐसे जरूरी विषय हैं जिन पर फिल्में बना सकता है जैसे विवेक अग्निहोत्री ने द कश्मीर फाइल्स बनाई है। इसके अलावा बॉलीवुड लगातार वही फिल्म दिखता है जिसका कंटेंट भी घिसा पिटा होता है।
सेलेब्रिटी का घमंड
जहां आज भी अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) दर्शकों के सामने हाथ जोड़ते हैं। दर्शकों को देवियों और सज्जनों कहकर पुकारते हैं। वहीं करीना कपूर (Kareena Kapoor) बरखा दत्त (Barkha Dutt) के साथ हुए एक इंटरव्यू में कहती हैं कि “मेरी पिक्चर क्यों देखते हो, न देखा करो” अब अगर इस तरह के घमंडी एक्टर और एक्ट्रेस हो जाएंगे जिन्हें जनता से फ़र्क़ नहीं पड़ता, और ये स्टार्स अपनी जिंदगी में व्यस्त रहेंगे तब फिर दर्शक भी अपनी जिंदगी में व्यस्त रहेंगे और फिल्म देखने नहीं ही जाएंगे।
बॉलीवुड को इस समय दर्शकों से माफ़ी मांगने चाहिए। दर्शकों को सम्मान देना चाहिए और उन्हें सुनना चाहिए। आखिर जनता की क्या डिमांड है उसे पूरा करना चाहिए। किसी भी धर्म और संस्कृति का मजाक उड़ाने की जगह उनकी अच्छाइयां को प्रदर्शित करना चाहिए। स्टार चाहे कितना पैसा कमाते हों कितने बड़े बंगले में रहते हों फिर भी दर्शकों को भगवान की तरह पूजना चाहिए। इसके अलावा अच्छे कंटेंट का निर्माण करना चाहिए। संस्कृति और देश का नाम ऊंचा करने वाली फिल्म बनानी चाहिए। भारतीय संस्कृति को नीचे गिराने की वजह उठाने का प्रयत्न करना चाहिए तब तो कुछ हो सकता है। क्योंकि लोकतंत्र और फिल्म तंत्र दोनों में जनता ही राजा है। जनता ही भविष्य तय करती है। जनता ही भविष्य बनाती और जनता भविष्य बिगाड़ती है। ऐसे समय में जनता का ख्याल न रखेंगे तो हाल यूँ ही होगा। इसके अलावा दर्शकों से मुलाक़ात करनी चाहिए और उनसे खुलकर मिलना चाहिए।