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Thank God (Diwali Trailer): Thank God का नया ट्रेलर रिलीज़ हुआ, इस बार हिन्दू देवताओं के साथ संस्कृत पर भी मजाक करते नज़र आए Ajay Devgan

नई दिल्ली। सिद्धार्थ मल्होत्रा (Sidhartha Malhotra) की फिल्म थैंक गॉड (Thank God) इस दिवाली के मौके पर सिनेमाघर में सिनेमाघर रिलीज़ होने वाली है। इस फिल्म में सिद्धार्थ मल्होत्रा के साथ अजय देवगन (Ajay Devgan) भी मुख्य भूमिका में रहने वाले हैं। इस फिल्म पर पहले भी आरोप लग रहे थे कि इस फिल्म ने हिन्दू देवी देवताओं का मजाक अपने ट्रेलर में उड़ाया है। आज इस फिल्म का एक और नया ट्रेलर रिलीज़ किया गया है। पहले ही इस फिल्म को बॉयकॉट (Boycott ThankGod) करने की बात चल रही थी। लोगों का कहना था कि फिल्म में हिन्दू देवताओं को गलत अंदाज़ में प्रस्तुत किया है इसके अलावा उन्हें गंदे जोक भी दिए गए हैं। जिसके बाद से लोगों का गुस्सा बढ़ा था और लोगों ने फिल्म का बॉयकॉट करना शुरू कर दिया था। इस बार के ट्रेलर रिलीज़ में क्या है यहां हम उसी बारे में बात करने वाले हैं।

जिस हिसाब से इस फिल्म के ट्रेलर और टीज़र को रिलीज़ किया जा रहा है एक बात तो साफ़ है कि फिल्म के माध्यम से हिन्दू देवताओं को एक मजाकिया अंदाज़ में दिखाने की प्रस्तुति की गई है। इस बार के ट्रेलर के माध्यम से बताया गया है कि आखिर क्यों हिन्दू देवताओं को इस तरह की मजाकिया अंदाज़ में प्रस्तुत किया गया है। क्योंकि मेकर्स को लगता है कि अगर देवताओं के वास्तविक स्वरूप और बोली में उन्हें प्रस्तुत करेंगे तो दर्शक समझ नहीं पाएंगे। ऐसा ही एक दृश्य ट्रेलर में दिखाया गया है जहां अजय देवगन चित्रगुप्त की भूमिका में रहकर कुछ टूटे फूटे शब्दों को, संस्कृत शब्द कहकर प्रयोग करते हैं। जब उन शब्दों को सिद्धार्थ मल्होत्रा समझ नहीं पाते हैं तो अजय देवगन कहते हैं कि इसीलिए उन्हें (Ajay Devgan) आजकल की भाषा का प्रयोग करना पड़ता है। आजकल की भाषा का प्रयोग वो भी टूटे फूटे लहज़े में होता है। साफ़ साफ इस तरह से हिन्दुओं की सबसे प्राचीन भाषा का भी मजाक उड़ाया जाता है।

ट्रेलर में जिस तरह से सेट को डिज़ाइन किया गया है और जिस हिसाब से किरदार की प्रस्तुति और संवाद हैं वो सब मजाकिया लगते हैं। अजय देवगन को चित्रगुप्त के रूप में जिस हिसाब से कॉस्ट्युम पहनाए गए हैं वो शोभायमान लगने की बजाय हास्यपद लगते हैं। फिल्म में मजाक को शामिल करने के चक्कर में ये फिल्म ये भी भूल जाती है कि कहीं न कहीं उनसे किसी की भावनाएं और किसी देवता का अपमान भी हो रहा है।

अगर आप देखेंगे तो जो चित्रगुप्त का महल है उसे भी मजाकिया अंदाज़ में प्रस्तुत किया गया है। मेकर्स ने इन सबको मजाकिया अंदाज़ में दिखाने के पीछे तर्क दिया है कि वो ऐसा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि दर्शक इसी हिसाब से समझते हैं। लेकिन वो ये भूल रहे हैं कि जब आप किसी की वास्तविक छवि को अपने हिसाब से मजाकिया बनाते हैं तो आपका विरोध होता है। यही आदिपुरुष (Adipurush) के साथ भी है। उन्होंने भी रचनात्मक स्वतंत्रता (Creative Freedom) के नाम पर किरदारों का असल स्वरूप बिगाड़ा है और थैंक गॉड भी वही कह रहा है। ये फिल्म भले ही टाइटल से गॉड को थैंक्स कर रही हो लेकिन जो इसके अंदर का कंटेंट है वो गॉड (भगवान)  को हास्यास्पद बना रहा है।

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