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Sheezan Khan: ईद के मौके पर शीजान को सताई तुनिषा की याद, लिखा- ‘जो दूर है नजर से, उस चांद को भी चांद मुबारक’

नई दिल्ली। टीवी की जानी-मानी अभिनेत्री तुनिषा शर्मा भले ही अब इस दुनिया में ना हो लेकिन उनकी कमी पूरी टीवी इंडस्ट्री महसूस कर रहा है। एक्ट्रेस के निधन के बाद उनके हर फैंस उन्हें हर दिन याद करते है। तुनिषा शर्मा ने पिछले साल 24 दिसंबर 2022 को अली बाबा के सेट पर आत्महत्या कर ली थी। एक्ट्रेस की मौत के बाद से हर कोई हैरान था कि एक्ट्रेस ने इतना बड़ा कदम क्यों उठाया। तुनिषा शर्मा की मौत का जिम्मेदार उनकी मां ने उनके को-स्टार शीजान खान को ठहराया था जिसकी वजह से शीजान को जेल भी रहना पड़ा था। जेल से बाहर आने के बाद शीजान ने तुनिषा के लिए एक भावुक पोस्ट भी किया। भले ही एक्टर पर उनकी मौत के आरोप लगाए गए हो लेकिन शीजान की दोस्ती में ना पहले कोई कमी थी ना ही अब आई है। अभी भी शीजान तुनिषा को काफी मिस करते है और इस बात का पता उनके पोस्ट से लगाया जा सकता है जो उन्होंने जेल से बाहर आने के बाद किया था। आज ईद के मौके पर शीजान ने फिर से एक बार तुनिषा को याद किया है।

शीजान खान ने ईद के मौके पर तुनिषा को किया याद

दरअसल, ईद के मौके पर शीजान खान ने अपने इंस्टाग्राम पर एक स्टोरी साझा किया है जिससे साफ पता चल रहा है कि वह तुनिषा शर्मा को याद कर रहे है। उन्होंने अपने स्टोरी में लिखा- ‘जो दूर हैं नजर से…उस चांद को भी ईद मुबारक!’ हालांकि, शीजान ने इसमें कहीं भी तुनिषा का नाम नहीं शामिल किया लेकिन उनकी इस पोस्ट को देखकर हर कोई यही कह रहा है कि शीजान अपनी दोस्त को मिस कर रहे है।

तुनिषा के लिए लिखा था प्यारा नोट

वहीं आपको बता दें कि शीजान खान ने तुनिषा शर्मा के लिए एक और पोस्ट साझा किया था, जिसमें उन्होंने तुनिषा के साथ फोटोज की सीरीज शेयर की थी। इस वीडियो में शीजान ने एक शायरी भी लिखी थी जो कि यह थी- एक परी उतरी फलक से शफ़क़ की लाली लिए, कहकशा ज़ैसी उसकी आँखें ग़ज़ब की अदाएं लिए, खुदको देखा भी नहीं खुदको पहचाना भी नहीं, तकब्बुर होता हैं क्या यह उसने जाना ही नहीं, हवा की तरहा आयी वोह पर हवा कही ठहरती नहीं, क्या तूफ़ान थे उसने सीने में दबाए यह बात वोह किसी से कहती नहीं, थम गया, तूफ़ान अचानक अजब सी खामोशी छायी है, बिखरे कुछ टुकड़ों में हमने सिर्फ़ उदासी पायी है, दिल अचानक से है भारी आँखें भी भर आईं है, उसके हमारे दरमियान अब सदियो की तन्हाई है, शफ़क़ को लाली देके वापिस फलक पे वह यूँ चली गई, कहकशा में घर बनाया उसने और वही पर रह गई – शीज़ान ख़ान, फॉर माई टून्नी..

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