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Saira Banu – Dilip Kumar Anniversary: शादी की सालगिरह पर सायरा ने दिलीप साहब को किया याद, लिखा- ‘वो एक किताब हैं जिसे…’

नई दिल्ली। प्यार करना मुश्किल नहीं है, प्यार सभी करते हैं लेकिन उस प्यार को ताउम्र निभाना बहुत मुश्किल है, जो हर कोई नहीं कर पाता… ऐसी ही एक प्रेम कहानी है हिंदी सिनेमा के सबसे चमकते सितारे दिलीप कुमार और बेहद खूबसूरत सायरा बानो की। दिलीप साहब ने 7 जुलाई 2021 को इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया था। उन्होंने 11 अक्टूबर 1966 को उस समय की सबसे हसीन अभिनेत्री शायरा बानो से शादी की। सायरा ने जब दिलीप कुमार से शादी की थी, उस वक़्त वो महज 22 साल की थी और दिलीप साहब 44 बरस के थे। जी हां, सायरा बानो साहेब से 22 साल छोटी थीं लेकिन उम्र का ये बड़ा फासला कभी इन दोनों की मोहब्बत के आड़े नहीं आया। आज सायरा बानो और दिलीप कुमार की शादी की 57वीं वर्षगांठ है। हालांकि, इस मौके पर साहेब अपनी सायरा के साथ नहीं हैं। लेकिन सायरा बानो ने अपने शहंशाह को याद करते हुए इंस्टाग्राम पर अपनी शादी की एक वीडियो क्लिप शेयर की है और दिलीप कुमार के लिए एक लंबा पोस्ट भी लिखा है।

सायरा ने लिखा है- ‘आज 11 अक्टूबर को हमारी शादी की सालगिरह है। मैं उन सभी शुभचिंतकों और दोस्तों के प्रति अपना आभार व्यक्त करने के लिए ये विशेष पोस्ट लिख रही हूं, जिन्होंने हमेशा मुझे और दिलीप साहब के इस जादुई दिन की यादें भेजीं… हम सब से दिलीप साहब की शारीरिक अनुपस्थिति के ‘दो साल’ के बाद मैंने उनकी असलियत, उनके किस्सों, उनकी पसंद-नापसंद के बारे में आप सभी को बताने के लिए लिखने का सहारा लिया है, मैं उन्हें पिछले 57 साल से पत्नी के रूप में जानती हूं।

लोगों ने अक्सर मुझसे पूछा है…दिलीप कुमार साहब…’शहंशाह’ से शादी करना कैसा था और मैंने हमेशा उनसे कहा, ऐसा महसूस हुआ जैसे “बिना कड़ी मेहनत किए एक सिंहासन साझा किया हो!”। यह एक वास्तविक सिंड्रेला कहानी है! ऐसा हर दिन नहीं होता कि एक लड़की इतनी भाग्यशाली होती है कि उसकी शादी उसके सपनों के आदमी से हो जाती है। इसे बयान करना बहुत मुश्किल होगा… उनके साथ मेरा जीवन। इसमें पन्ने-पन्ने लगेंगे। दरअसल एक किताब।

यदि उनका व्यक्तित्व विशाल था, तो वे एक महान इंसान भी थे। वे अपने ज्ञान में इतने बहुमुखी थे कि आप कभी भी उनके साथ तंग महसूस नहीं करते। वह एक ऐसी किताब है जिसे आप कभी भी पढ़ना बंद नहीं कर सकते क्योंकि आप हर दिन इसका एक नया पन्ना खोजते हैं। फिल्मों के अलावा उनकी रुचि उर्दू और फ़ारसी कविता, मानव विज्ञान, अंतर्राष्ट्रीय मामले, वनस्पति विज्ञान, खेल आदि विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला में थी… यह उनका एक ऐसा पहलू है जो इतना रोमांचकारी रहा है और इसने उन्हें एक जीवंत, रोमांचकारी व्यक्ति बना दिया है।

साहब न केवल मेरे लिए, बल्कि उन सभी पीढ़ियों के लिए प्रतिष्ठित मार्गदर्शक प्रकाश रहे हैं, जिन्होंने अपने जीवन में आगे कदम बढ़ाया है, जिसका उदाहरण उनकी दयालु उपस्थिति और व्यक्तित्व है। दिलीप साहब हमेशा के लिए हैं। अल्लाह उन्हें हमेशा अपने प्यार और स्थायी अनुग्रह में बनाए रखे। आमीन!

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