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Sahir Ludhianvi B’Day: साहिर लुधियानवी की 101वां बर्थडे आज, जानिए आखिर क्यों आ गये थे पाकिस्तान छोड़कर भारत?

नई दिल्ली। ‘मैं पल दो पल का शायर हूं’, ‘मन रे तू काहे न धीर धरे’ जैसे एवरग्रीन गाने लिखने वाले मशहूर गीतकार साहिर लुधियानवी का आज 101वां जन्मदिन है। 8 मार्च 1921 में लुधियाना के एक जागीरदार घराने में जन्म लेने वाले साहिर के पिता बहुत धनी थे। लेकिन माता-पिता में अलगाव होने के कारण उन्हें मां के साथ रहकर गरीबी में गुज़र-बसर करना पड़ा। साहिर का असली नाम ‘अब्दुल हयी साहिर’ है। लेकिन लुधियाना से ताल्लुक रखने के कारण उनका नाम ‘साहिर लुधियानवी’ हो गया। लुधियाना के ‘खालसा कॉलेज’ में पढ़ाई करने वाले साहिर को कॉलेज के दिनों में ही मशहूर लेखिका ‘अमृता प्रीतम’ से प्यार हो गया था। लेकिन मुस्लिम होने के चलते उनकी शादी नहीं हो सकी। कहा जाता है उनके धर्म उनकी गरीबी और अमृता के साथ रिश्ते के चलते अमृता के पिता ने उन्हें स्कूल से निकलवा दिया था। इसके बाद वो छोटी-मोटी नौकरियां करने लगे थे।

1943 में हुए विभाजन के बाद वो लाहौर आ गये जहां उनकी पहली कविता संग्रह ‘तल्खियां’ प्रकाशित हुई। इसके बाद उनकी ख्याति दूर-दूर तक फैलने लगी। साहिर की साम्यवादी विचारा धारा के चलते पाकिस्तान सरकार ने उनके खिलाफ वारंट जारी कर दिया, जिसके बाद 1949 में दिल्ली आकर लिखने लगे। इसके बाद उसी साल मुंबई जाकर ‘फिल्म आजादी की राह’ के लिए पहली बार गीत लिखे। इसके बाद उन्होंने एक के बाद एक इतने सुंदर और मधुर गाने लिखे कि आज भी लोगों की जुबान पर उन गीतों की ताजगी बनी हुई है। साहिर ने ‘आना है तो आ’, अल्लाह तेरो नाम ईश्वर तेरो नाम, चलो एक बार फिर से अजनबी बन जायें, मन रे तु काहे न धीर धरे, मैं पल दो पल का शायर हूं, यह दुनिया अगर मिल भी जाये तो क्या है, ईश्वर अल्लाह तेरे नाम  जैसे कई शानदार गाने लिखे जो लोगों के दिलों पर आज भी छाए हुए हैं। उनके गानों के लिए उन्हें कई बार सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार भी मिला।

इसके अलावा उन्हें पद्मश्री के सम्मान से भी नवाजा गया था। गीतों के अलावा उनके कई कविताकोश और कृतियां भी प्रकाशित हुईं, जिनमें ‘तल्खियां’ और ‘परछाईयां’ प्रमुख हैं। उनके लिखे गानों पर ओ पी नय्यर, जयदेव, रोशन, खय्याम, एसडी बर्मन जैसे संगीतकारों ने धुन बनाई और लता मंगेशकर, मोहम्मद रफी, मुकेश, आर. डी बर्मन जैसे दिग्गज गायकों ने अपनी आवाज दी। 25 अक्टूबर 1980 को 59 वर्ष की आयु में दिल का दौरा पड़ने से साहिर लुधियानवी का निधन हो गया।

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