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क्या है लाहौर की “हीरामंडी” का इतिहास, जिसका टीजर संजय लीला भंसाली ने किया रिलीज

नई दिल्ली। बॉलीवुड के रॉयल या यू कहें लीग से हटकर फिल्म बनाने निर्देशक- निर्माता संजय लीला भंसाली( Sanjay Leela Bhansali) की फिल्मों का इंतजार सबको रहता है। अब निर्देशक अपनी नई वेब सीरीज के साथ दस्तक दे चुके हैं। इस सीरीज का नाम हीरामंडी(Heeramandi: The Diamond Bazaar) है, जिसे वो 14 साल से बनाने की कोशिश कर रहे थे लेकिन अब जाकर उन्हें समय मिला है। हीरामंडी(Sanjay Leela Bhansali Film Teaser)  का टीजर सामने आ चुका है जिसमें सभी एक्ट्रेसेस के लुक रिवील किए गए हैं। फिल्म का ट्रेलर आना बाकी है लेकिन पहले जान लेते हैं कि जिस मुद्दे हीरा मंडी पर फिल्म बन रही है, आखिर उसका इतिहास क्या है।

मुगलों की विरासत थी हीरामंडी

हीरा मंडी…लाहौर( Pakistan- Lahore) की तवायफों की सांस्कृतिक धरोहर थी, जिसे मुगल काल में काफी संभालकर रखा गया। मुगल काल में मनोरंजन और गायन और नृत्य की कला को जारी रखने के लिए हीरामंडी(Heeramandi: The Diamond Bazaar)  मशहूर था, यहां एक से बढ़कर एक खूबसूरत और नृत्य में परिपूर्ण महिलाओं को  अफगानिस्तान और उज्बेकिस्तान लाया जाता, वो वहां नाच-गाने से मुगलों का मनोरंजन करती थी  लेकिन ब्रिटिश राज के बाद वहां की दशा ही बदल गई। वहां की महिलाओं को जबरन वेश्यावृत्ति में धकेल दिया गया। हीरा मंडी वेश्यावृत्ति का केंद्र बन गया। मुगल काल में हीरा मंडी की महिला को आदर और सम्मान मिलता था लेकिन अंग्रेजों के आने के बाद उन्हें सिर्फ और सिर्फ वैश्यावृति के लिए इस्तेमाल किया गया। हीरा मंडी की महिलाएं सिर्फ उपभोग की वस्तु बनकर रह गईं।

ब्रिटिश काल में हुआ पतन

मुगल काल के खत्म होने के बाद हिंदू राजा रणजीत सिंह ने दोबारा मुगलों की संस्कृति को जारी करने की कोशिश की, जिसमें वो काफी हद तक कामयाब भी हुए। कहा ये भी जाता है कि राजा रणजीत सिंह हीरामंडी की एक तवायफ से दिल लगा बैठे थे। जिसका खूब विरोध भी हुआ था लेकिन बिना किसी की फिक्र करते हुए राजा ने उस तवायफ से शादी भी की और उसके लिए महल भी बनवाया।हालांकि ब्रिटिश काल हीरामंडी के पतन का कारण बना।

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