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150 Year Old Historical Ganga Bridge Collapsed In Kanpur : कानपुर में गंगा नदी पर बना 150 साल पुराना ऐतिहासिक पुल ढहा, खास आर्किटेक्चर के लिए मशहूर, कई सालों से बंद था आवागमन

नई दिल्ली। कानपुर में गंगा नदी पर बना लगभग 150 साल पुराने पुल का एक हिस्सा आज ढह गया और गंगा मं समा गया। इस पुल पर वैसे तो पिछले कई सालों से आवागमन बंद कर दिया गया था लेकिन कानपुर को उन्नाव के शुक्लागंज से जोड़ने वाला यह पुल अपने खास आर्किटेक्चर और ऐतिहासिक महत्व के लिए मशहूर था। आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों ने लगभग 4 साल पहले पुल को जर्जर घोषित किया था, उसके बाद से यहां यातायात बंद कर दिया गया। लोगों ने यहां टहलना शुरू कर दिया, मगर बाद में सुरक्षा के मद्देनजर पुल के दोनों तरफ प्रवेश द्वार पर दीवार खड़ी कर दी गई थी।

<blockquote class=”twitter-tweet” data-media-max-width=”560″><p lang=”hi” dir=”ltr”><a href=”https://twitter.com/hashtag/WATCH?src=hash&amp;ref_src=twsrc%5Etfw”>#WATCH</a> कानपुर: कानपुर को उन्नाव से जोड़ने वाला अंग्रेजों द्वारा बनाया गया गंगा पुल आज सुबह ढह गया।<br><br>सेतु निगम ने इस करीब 125 साल पुराने पुल को लंबे समय से बंद कर रखा था, क्योंकि यह पहले ही क्षतिग्रस्त हो चुका था और इसे ध्वस्त करने के लिए सरकार से सहमति बन गई थी। <a href=”https://t.co/elikVweEJ3″>pic.twitter.com/elikVweEJ3</a></p>&mdash; ANI_HindiNews (@AHindinews) <a href=”https://twitter.com/AHindinews/status/1861278681471328727?ref_src=twsrc%5Etfw”>November 26, 2024</a></blockquote> <script async src=”https://platform.twitter.com/widgets.js” charset=”utf-8″></script>

इस ऐतिहासिक गंगा पुल की सबसे खास बात उसकी बनावट थी। इस एक पुल में आने जाने के दो रास्ते थे, एक ऊपर और दूसरा उसके नीचे। ऊपर बने रास्ते से बाइक, स्कूटर, कार, बस आदि अन्य वाहन गुजरते थे जबकि इसके नीचे जो रास्ता था वो पैदल यात्रियों के लिए बनाया गया था, हालांकि इससे साइकिल सवार भी गुजरते थे। अंग्रेजों ने सन् 1875 में गंगा नदी पर इस अनोखे पुल का निर्माण कराया था। इस पुल को बनाने में 7 साल से ज्यादा का समय लगा था। इस पुल का आजादी की लड़ाई से भी जुड़ा एक किस्सा है। एक बार जब क्रांतिकारी गंगा नदी पार कर रहे थे तो अंग्रेज सैनिकों ने इसी पुल से उन पर गोलीबारी की थी।

काफी सालों पहले तक कानपुर को उन्नाव और लखनऊ से जोड़ने का यह मुख्य मार्ग हुआ करता था। बाद में गंगा नदी पर दूसरा पुल भी बन गया जो जाजमऊ नए पुल के नाम से जाना जाता है। आईआईटी के सर्वे के बाद जब इस पुल पर आवागमन बंद करने का फैसला लिया गया तो इससे बहुत से लोगों को प्रभाव पड़ा जो रोज़ाना इस पुल के जरिए आते जाते थे। स्थानीय लोगों की मांग को देखते हुए सांसद, मंत्री ने इसे दोबारा शुरू कराने की कोशिश तो की मगर पुल की जर्जर हालत को देखते हुए उनका प्रस्ताव स्वीकार नहीं हुआ।

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