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Chinese disease Reach India: चीन में जिस न्यूमोनिया से हजारों बच्चे हुए बीमार, उसने अब दे दी है भारत में दस्तक!

चीन के तमाम इलाकों में खतरनाक न्यूमोनिया ने कहर बरपा रखा है। इस बीमारी से हजारों बच्चे पीड़ित होकर वहां अस्पतालों में दाखिल हुए। अब इस खतरनाक बीमारी के मरीज भारत में भी मिले हैं। दिल्ली के एम्स में टेस्ट से इन मरीजों का पता चला है।

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नई दिल्ली। चीन में जिस माइकोप्लाज्मा न्यूमोनिया ने हजारों बच्चों को बीमार किया, उसने अब भारत में भी दस्तक दे दी है! अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक दिल्ली के एम्स में इस साल अप्रैल से सितंबर तक इस खतरनाक न्यूमोनिया के 7 मरीज मिले। बताया जा रहा है कि इन मरीजों में चीन में फैली इस बीमारी के बैक्टीरिया की पहचान पीसीआर और आईडीएम एलिजा टेस्ट से हुई। इन टेस्ट से पॉजिटिविटी रेट क्रमश: 3 और 16 फीसदी पाया गया। इस बीमारी को वॉकिंग न्यूमोनिया भी कहा जाता है। सामान्य न्यूमोनिया की जगह वॉकिंग न्यूमोनिया की वजह माइकोप्लाज्मा बैक्टीरिया होता है। इस साल चीन में इस बीमारी ने जियांगझोऊ और कुछ अन्य प्रांतों में बच्चों को बड़े पैमाने पर बीमार किया और अस्पताल मरीजों से भर गए। इसका एक वीडियो भी पिछले दिनों आया था। जिसमें चीन के अस्पतालों में बच्चों और उनके माता-पिता की भीड़ दिख रही थी। एम्स दिल्ली में माइक्रोबायोलॉजी विभाग पूर्व प्रमुख और कंसोर्टियम सदस्य डॉ रामा चौधरी ने अखबार को बताया कि आमतौर पर ये बीमारी खतरनाक नहीं होती, लेकिन कुछ मरीजों के लिए ये जानलेवा भी साबित हो सकती है।

दिल्ली में इस खतरनाक बीमारी के मरीज मिलने के बारे में लैंसेंट माइक्रोब में रिपोर्ट छपी है। इस रिपोर्ट के मुताबिक एक मरीज की जांच संक्रमण की शुरुआत में ही की गई और पीसीआर टेस्ट से पता चला। बाकी 6 मरीजों में माइकोप्लाज्मा न्यूमोनिया के बैक्टीरिया का पता आईजीएम इलिजा टेस्ट से हुआ। इससे पहले आईसीएमआर और स्वास्थ्य मंत्रालय ने बीते दिनों इस बीमारी की समीक्षा के बाद बताया था कि भारत में फिलहाल ये बीमारी आने और फैलने की कोई वजह नहीं दिख रही है। सरकार और आईसीएमआर की तरफ से ये भी बताया गया था कि ये बीमारी जानलेवा नहीं है, लेकिन अब दिल्ली में 7 मरीज पाए जाने से इसके जल्दी ही देश के अलग-अलग हिस्सों में फैलने की आशंका गहरा गई है।

बता दें कि चीन में ही कोविड यानी कोरोना की बीमारी शुरू हुई थी। इसके बाद ये बीमारी दिसंबर 2019 में भारत आई और देखते ही देखते देश में फैल गई। कोविड को फैलने से रोकने के लिए सरकार ने लॉकडाउन भी लगाया था, लेकिन इसके बावजूद कोरोना यानी कोविड के डेल्टा वैरिएंट से भारत में 5 लाख से ज्यादा लोगों की जान गई थी। कोविड के पहले वैरिएंट ने ज्यादा हाहाकार नहीं मचाया था और कम लोगों की जान गई थी, लेकिन बाद के वैरिएंट ने अपना खतरनाक रूप दिखाया था। इस दौरान ऑक्सीजन और दवाओं की किल्लत हो गई थी। जिससे निपटने के लिए मोदी सरकार ने इनका आयात भी तुरत-फुरत विदेश से किया था।

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