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UP: अब्दुल हसन ने अपने भगवद्गीता ज्ञान से किया सबको हैरान, 3 हजार लोगों में हासिल किया पहला स्थान

abdul hasan

नई दिल्ली। महाराष्ट्र के नांदेड़ के रहने वाले हैं अब्दुल हसन ने अपने गीता ज्ञान से इस्कान से जुड़े लोगों को हैरान होने पर मजबूर कर दिया है। दरअसल, अब्दुल हसन ने भगवद्गीता और भगवान कृष्ण के उपदेशों पर आधारित प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था। ये प्रतियोगिता इंटरनेशनल सोसाइटी फार कृष्ण कांशसनेस (इस्कान) की अयोध्या इकाई की ओर से आनलाइन हुई थी जिसमें दुनिया के तीन हजार से अधिक प्रतिभागी शामिल हुए थे। प्रतियोगिता में 40 प्रतिशत सवाल हल करने वाले को उत्तीर्ण मानकर संस्था की तरफ से गीता डिप्लोमा का प्रमाणपत्र दिया जाता है लेकिन उत्तीर्ण हुए एक हजार पांच सौ प्रतिभागियों में से अब्दुल हसन ऐसी व्यक्ति हैं जिन्होंने सभी प्रश्नों के सही उत्तर दिया है।

27 वर्षीय अब्दुल जो कि मूल रूप से महाराष्ट्र के नांदेड़ के रहने वाले हैं लेकिन धार्मिक शिक्षक की नौकरी के चलते इन दिनों वो मुंबई के अंधेरी वेस्ट में रह रहे हैं। अब्दुल का पूरा नाम अब्दुल हसन अब्दुल निसार है। दो महीने पहले ही उनका निकाह हुआ है। इस्लामिक शिक्षा में स्नातक के बराबर मानी जाने वाली अदीबे कामिल की डिग्री प्राप्त कर चुके अब्दुल का रुझान अलग-अलग धर्मों की तरफ है। यही कारण है कि उन्होंने इस्कान की आनलाइन प्रतियोगिता से पूर्व गीता पर केंद्रित 18 अध्याय एवं 18 सत्र नाम से आयोजित संवाद एवं शिक्षण के कार्यक्रम में हिस्सा लिया।

अब्दुल का कहना है कि ‘गीता से जीने की सीख मिलती है। यह आत्मा को परमात्मा के बिल्कुल करीब होने का एहसास कराती है और यही बात मुझे प्रभावित करती है।’ बता दें, वैसे तो इस्कान सामान्य तौर पर प्रमाणपत्र और पुरस्कार आनलाइन ही देती है, लेकिन जिस तरह से अब्दुल हसन ने लोगों को अपने ज्ञान से चौकाया है उसे देखने के बाद इस्कान के पदाधिकारी जल्दी ही उन्हें अयोध्या आमंत्रित कर पुरस्कृत करने की तैयारी में हैं।

15 महीने में पांचवीं प्रतियोगिता

जिस प्रतियोगिता में अब्दुल अव्वल पहले स्थान पर आए हैं वो गत 15 महीने के समय में संस्था की ओर से संयोजित की गई पांचवीं प्रतियोगिता है। आनलाइन कार्यक्रम के प्रोजेक्ट मैनेजर एवं इस्कान के वरिष्ठ साधक देवशेखर विष्णुदास के मुताबिक, संस्थापकाचार्य भक्ति वेदांत स्वामी श्रील प्रभुपाद का ये मानना था कि मनुष्य आत्मा के स्तर पर जाग्रत हो और इस दिशा में बढ़ने पर परमात्मा और आत्मा के बीच जाति-संप्रदाय-शैली का कोई अंतर नहीं रहता। अब्दुल हसन जैसे उदाहरण से इस सत्य की जीवंत अनुभूति कराते हैं।

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