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Krishna Janmabhoomi dispute: आखिर मुस्लिम पक्ष को क्यों है मथुरा की शाही मस्जिद के सर्वे पर आपत्ति, क्या छिपे हैं मंदिर के निशान?

नई दिल्ली। अयोध्या और काशी के बाद अब मथुरा पर संग्राम हो सकता है। अब जंग श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद को खत्म करने को लेकर है।मथुरा के कृष्ण जन्मस्थान के पास बनी शाही ईदगाह मस्जिद में विवादित स्थल की सर्वे की मांग कर रहे पक्ष को बड़ी राहत मिली है। हिंदू पक्ष की अपील पर कोर्ट ने सर्वे का आदेश दिया है। बता दें कि सर्वे 2 जनवरी को होगा। जबकि सर्वे की रिपोर्ट 20 जनवरी को सौंपनी होगी। इसके साथ ही सिविल कोर्ट ने मामले से जुड़े सभी पक्षों को नोटिस भी जारी किया है। कोर्ट ने वादी विष्णु गुप्ता की अपील पर अमीन से रिपोर्ट मांगी है। ये  याचिका 13.37 एकड़ भूमि को मुक्त कराने की मांग को लेकर है। वादी के वकील शैलेश दुबे ने बताया कि, कोर्ट के सामने हमने सारे कथन रखे। कोर्ट ने सारे विस्तार रूप से सुनने के बाद उसमें नोटिस जारी किए है। इसके अलावा हमने एक प्रार्थना पत्र दिया है। जिसमें अमीन महोदय से मौके की सर्वे रिपोर्ट लिखी जाए। जिससे की अगर कोई भी अन्य निर्माणवाद होता है तो इसकी जानकारी कोर्ट के सामने पुष्टि हो सके।

वहीं कोर्ट के सर्वे के आदेश के बाद हिंदू पक्ष में खुशी की लहर दौड़ गई है। मथुरा में हिंदू पक्ष ने मिठाइयां भी बांटी। हिंदू पक्ष को उम्मीदें है कि सर्वे में तस्वीरें और फैसला उनके पक्ष में आएगा। एक तरफ जहां हिंदू पक्ष के लिए राहत की खबर आई है। वहींं दूसी तरफ मुस्लिम पक्ष ने इस सर्वे को लेकर प्रश्नचिन्ह खड़े किए है और सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया है। लेकिन आखिर मस्जिद के भीतर ऐसा क्या है कि मुस्लिम पक्ष बौखलाया हुआ है और क्यों मथुरा की शाही मस्जिद के सर्वे पर आपत्ति जाता रहा है? क्या छिपे हैं मंदिर के निशान?

हिंदू पक्ष का ये है दावा

बता दें कि हिंदू का पक्ष का दावा है कि शाही ईदगाह में स्वास्तिक का चिन्ह है। इसके अलावा मस्जिद के भीतर कई मंदिर होने के प्रतीक है, वहीं मस्जिद के नीचे भगवान का गर्भगृह है। इसकी लेकर हिंदू पक्ष चाहता है कि वैज्ञानिक तरीके से इसकी पुष्टि की जाए। बता दें कि इसको लेकर करीब एक साल याचिका भी दाखिल की गई थी।

कहा जाता है कि मंदिर को सबसे पहले श्रीकृष्ण के प्रपौत्र वज्रनाभ ने बनवाया। फिर इसे हूणों और कुषाणों ने गिरा दिया। फिर महाराज विक्रमादित्य ने बनवाया। फिर सिकंदर लोधी ने नष्ट किया। मंदिर को फिर वीर सिंह बुंदेला ने बनवाया। जिसे औरंगजेब ने नष्ट किया। कहा जाता है कि इतना ऊंचा मंदिर था कि जब उसके ऊपर जब मशाल जलाई जाती थी, तो उसकी रोशनी दिल्ली तक दिखती थी। यहां की मूर्तियों की आंखों में हीरे लगे थे। मूर्तियों को ले जाकर आगरा में जहांआरा की मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबा दिया गया था। जहांआरा, औरंगजेब की बहन थी।

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