नई दिल्ली। हरियाणा में हुए बड़े सियासी उलटफेर के बाद आज नायब सिंह सैनी ने सूबे ने नए मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ग्रहण की। अब जब सैनी के हाथ में प्रदेश की कमान आ चुकी है तब ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर वो क्या कारण है जो लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बीजेपी ने मनोहर लाल खट्टर की जगह नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया।
कुरुक्षेत्र से सांसद नायब सिंह सैनी ओबीसी वर्ग से आते हैं। ऐसे में उनकी बतौर सीएम नियुक्ति को हरियाणा की जाति-केंद्रित राजनीति में गैर-जाट मतदाताओं विशेष रूप से पिछड़े समुदायों को एकजुट करने की बीजेपी की कोशिश के रूप में देखा जा सकता है। गौरतलब है कि हरियाणा का ओबीसी समुदाय पिछले कुछ समय से लगातार सत्ताधारी दलों पर समुदाय के लोगों की अनदेखी के आरोप लगा रहा है।
पिछले दिनों रोहतक मे एक ओबीसी समाज ने एक बड़ी रैली की थी। उसमें कहा गया कि सरकार में ओबीसी समाज अब तक अपने हक और अधिकारियों से मरहूम है और उनको सही हक नहीं मिला तो सत्ताधारी दलों को समुदाय के लोग वोट नहीं करेंगे। हरियाणा में एससी व ओबीसी वर्ग के लोगों की संख्या अधिक है, ऐसे में जातियों का आंकड़ा देखते हुए यह साफ है कि आने वाले लोकसभा चुनाव में ये बड़ा फैक्टर साबित होंगे। वहीं अगर मनोहर लाल खट्टर के राजनीतिक भविष्य की बात करें तो चर्चा है कि भाजपा उनको लोकसभा चुनाव का टिकट दे सकती है।
आपको याद दिला दें कि 2014 में बीजेपी हरियाणा में पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आई तो मनोहर लाल खट्टर को सत्ता की कमान सौंप कर भाजपा नेतृत्व ने सबको चौंका दिया था। उसके बाद 2019 में बीजेपी बहुमत से दूर रह गई थी, लेकिन जेजेपी के समर्थन से मनोहर लाल खट्टर दोबारा सीएम बने। आज जेजेपी से समर्थन टूटने के बाद खट्टर को हटाकर भाजपा ने एक बार फिर सबको चकित करते हुए नायब सिंह सैनी को प्रदेश की कमान सौंप दी।