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Delhi-NCR Pollution: दिल्ली और एनसीआर में अब भी हवा बहुत खराब, आने वाले 1 हफ्ते तक राहत की नहीं उम्मीद

delhi pollution

नई दिल्ली। दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण अब भी खराब हालत में है। खबरों के मुताबिक दिल्ली में औसतन एयर क्वालिटी इंडेक्स यानी एक्यूआई 405 के आसपास दर्ज किया गया। गाजियाबाद में एक्यूआई 335, ग्रेटर नोएडा में 348, नोएडा में 334, गुरुग्राम में 358 और फरीदाबाद में औसत एक्यूआई 390 रहा। मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक अभी करीब 1 हफ्ते तक हालात ऐसे ही बने रहने के आसार हैं, क्योंकि मौसम में ठंड बढ़ने के अलावा कोई बड़ा बदलाव दिखने की उम्मीद नहीं है। दिल्ली और एनसीआर में 2 नवंबर से ही वायु प्रदूषण काफी ज्यादा हो गया है। दिवाली से पहले एक दिन बारिश के कारण वायु प्रदूषण कुछ कम हुआ था, लेकिन फिर ये बढ़ गया। अब बारिश होने पर ही दिल्ली और एनसीआर के लोगों को जहरीली हवा से कुछ राहत मिलने की उम्मीद है। बारिश होगी, तो हवा में घुले छोटे कण (पीएम मैटर) भी नीचे बैठ जाएंगे और हवा काफी हद तक साफ होगी।

दिल्ली में प्रदूषण का मूल कारक पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी यूपी में जलाई जाने वाली पराली को बताया जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने भी बीते दिनों पराली जलाने पर तत्काल रोक लगाने को कहा था। इसके बाद भी पंजाब में कई जगह पराली को किसान जला रहे हैं। हालांकि, पंजाब का सरकारी तंत्र पराली जलाने की घटनाओं को रोकने की कोशिश भी कर रहा है। वहीं, दिल्ली सरकार और आईआईटी कानपुर की आर-आसमान वेबसाइट में बताया गया है कि दिल्ली में जो प्रदूषण होता है, उसमें पराली, लकड़ी और बायोमास जलाने से उठे धुएं का सिर्फ 22 फीसदी ही हाथ होता है। इस वेबसाइट में बताया गया है कि दिल्ली में होने वाले प्रदूषण में गाड़ियों से निकले धुएं का हिस्सा 43 फीसदी रहता है। वेबसाइट के मातबिक सेकेंड्री एरोसोल से 20 फीसदी प्रदूषण होता है। कोयला और फ्लाई ऐश यानी कोयले की राख से 4 फीसदी और कूड़ा जलाने व अन्य से 5 फीसदी प्रदूषण होता है।

दिल्ली में अभी प्रदूषण रोकने के लिए ग्रैप GRAP 4 के नियम लागू हैं। इनके तहत बीएस-2 तक की पेट्रोल गाड़ियों और बीएस-4 तक की डीजल गाड़ियों के प्रवेश पर रोक लगाई गई है। फिर भी हवा साफ नहीं हो रही। अगर गाड़ियों से निकले धुएं से ही ज्यादा प्रदूषण होता है, तो तमाम गाड़ियों के चलने पर रोक से हवा काफी साफ हो जानी चाहिए थी। बहरहाल, हालात ऐसे हैं कि अभी दिल्ली और एनसीआर के लोगों को इसी जहरीली हवा में ही सांस लेना होगा, क्योंकि राहत मिलने में अभी वक्त लगता दिख रहा है।

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