नई दिल्ली। दिल्ली और इसके आसपास के इलाकों में प्रदूषण खतरनाक से बेहद खतरनाक होता जा रहा है। देश की राजधानी में एयर क्वालिटी इंडेक्स एक्यूआई का औसत 396 दर्ज किया गया। दिल्ली के मुंडका इलाके में तो एक्यूआई 616 रहा। इससे राष्ट्रीय राजधानी में रहने वालों के स्वास्थ्य को गंभीर खतरा पैदा होने की आशंका बन गई है। दिल्ली की ये हालत तब है, जबकि दिवाली अभी 10 दिन दूर है। पटाखों पर बैन है और GRAP 2 के नियम लागू करते हुए सभी राज्यों की बीएस-4 तक की डीजल गाड़ियों के दिल्ली में प्रवेश पर रोक लगी हुई है। डीजल जेनरेटर चलाने और बिना मंजूरी के निर्माण कार्य पर भी दिल्ली सरकार ने पहले से ही रोक लगा रखी है। दिल्ली में इतने प्रदूषण की वजह आसपास पराली जलाया जाना है। पराली का धुआं दिल्ली तक पहुंचकर यहां की आबोहवा को खराब कर रहा है।
#WATCH | Overall Air Quality Index (AQI) in Noida stands at 397, in the ‘Very Poor’ category as per SAFAR-India. pic.twitter.com/vL0sTIZpNi
— ANI (@ANI) November 2, 2023
दिल्ली में हर साल अक्टूबर के अंत से नवंबर की 20 तारीख तक जबरदस्त प्रदूषण होता है। इसकी मुख्य वजह किसानों के अपने खेतों में पराली जलाया जाना है। पराली जलाए जाने की घटनाएं पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी यूपी में होती हैं। बात अगर पंजाब में पराली जलाने की करें, तो 1 नवंबर यानी बीते कल पंजाब में इस सीजन में सबसे ज्यादा 1921 जगह किसानों ने पराली जलाई। पंजाब में अब तक पराली जलाने के 9600 के करीब मामले हो चुके हैं। पंजाब सरकार ने किसानों से पराली न जलाने का आग्रह किया था, लेकिन किसान लगातार पराली जला रहे हैं और पश्चिम से आती हवा के कारण इसका धुआं दिल्ली तक पहुंच रहा है। हरियाणा और पश्चिमी यूपी से भी पराली का धुआं दिल्ली पर धुंध बनकर छाया हुआ है। दिल्ली सरकार ने हालात को देखते हुए सांस और दिल की बीमारियों से ग्रस्त लोगों को बाहर न निकलने की सलाह दी है।
दिल्ली सरकार में मंत्री गोपाल राय ने पहले राय दी थी कि बीएस-4 स्तर तक की सभी गाड़ियों को दिल्ली और एनसीआर में आने पर हमेशा के लिए प्रतिबंध लगाया जाए। इस बारे में उच्चस्तर पर ही फैसला किया जा सकता है। दिल्ली में आसपास के राज्यों से रोजमर्रा की जरूरी चीजें आती हैं। ऐसे में सभी गाड़ियों पर रोक लगाने से यहां दूसरी तरह की समस्या पैदा हो सकती है। बहरहाल दिल्ली सरकार ने लोगों को सार्वजनिक परिवहन जैसे सीएनजी और इलेक्ट्रिक बस व मेट्रो ट्रेनों का इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित किया है। अगर हालात इससे भी खराब होते हैं, तो ग्रेप का अगल चरण भी दिल्ली में लागू किया जा सकता है।