नई दिल्ली। भाई-बहन के पवित्र रिश्ते जैसा कोई और रिश्ता नहीं होता। बचपन से साथ खेलते बड़े हुए भाई-बहन के इस प्रेम को प्रदर्शित करने के लिए सनातन धर्म में रक्षाबंधन और भाई-दूज का त्योहार मनाया जाता है। रक्षाबंधन पर बहनें भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं तो वहीं, भाई दूज पर बहनें भाई को टीका कर उसकी आरती उतारती हैं और उनकी सलामती की दुआ मांगती है। इस साल ये पावन पर्व 26 अक्टूबर को मनाया जाएगा। अब जब भाई-दूज आने के कुछ ही दिन बाकी रह गए हैं तो इसी खुशी में आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताते हैं जहां भाई-बहन का एक साथ जाना वर्जित है। तो आइये जानते हैं कि कौन सा है वो मंदिर और ऐसा करने के पीछे की वजह…
भगवान शिव का ये अनोखा मंदिर छत्तीसगढ़ के बलौदा बाज़ार जिले के कसडोल के समीप महानदी के तट पर स्थित नारायणपुर नामक गांव में स्थित है। मंदिर के आस-पास के निवासियों का कहना है कि इस भव्य मंदिर का निर्माण रात के समय में किया गया था। मंदिर के निर्माण में लगभग 6 महीने का समय लगा था। स्थानीय निवासियों का कहना है कि जनजाति समुदाय से संबंध रखने वाले मंदिर के प्रधान शिल्पी नारायण निर्वस्त्र होकर पूरी रात मंदिर का निर्माण करते थे। निर्माण स्थल पर उनकी पत्नी उनके लिए भोजन लेकर आती थीं। मंदिर निर्माण का कार्य लगभग पूरा हो चुका था, सिर्फ उसका शिखर शेष था। उसी दौरान एक बार किसी कारणवश उनकी पत्नी खाना लेकर नहीं जा पाई और उनकी जगह बहन भोजन लेकर चली गई। उसे देखकर नारायण को अत्यंत शर्मिंदगी महसूस हुई और उन्होंने मंदिर के शिखर से ही कूदकर अपनी जान दे दी।
ये किस्सा धीरे-धीरे चारो ओर फैल गया और तब से भाई-बहनों ने एक साथ मंदिर में पूजा और दर्शन के लिए जाना छोड़ दिया। इस प्राचीन मंदिर में भाई-बहन के एक साथ जाने पर प्रतिबंध होने का एक मुख्य कारण वहां की दीवारों पर उकेरी गई हस्त मैथुन की मूर्तियां भी हैं। छत्तीसगढ़ का ये प्राचीन शिव मंदिर अपनी स्थापत्य कला के लिए दुनिया भर में मशहूर है। इसके अलावा, कुछ लोगों का कहना है कि इस मंदिर का निर्माण कलचुरी कालीन राजा ने 7वीं से 8वीं शताब्दी के बीच कराया था। मंदिर का निर्माण लाल और काले बलुवा पत्थरों को तराश कर उसमें प्रतिमा को उकेरा गया है।