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CM योगी के गढ़ से अखिलेश यादव इस भाजपाई की पत्नी को चुनावी मैदान में उतार सकते हैं, कुछ दिनों पहले ही थामा है सपा का दामन

CM Yogi and Akhilesh Yadav

नई दिल्ली। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ किस सीट से चुनाव लड़ेंगे, इसे लेकर काफी दिनों तक दुविधा की स्थिति बनी रही। पहले बताया गया कि वे मथुरा से चुनाव लड़ेंगे। फिर पता लगा उन्हें अयोध्या से उतारा जा सकता है, लेकिन फिर एकाएक खबर आई कि पार्टी ने उन्हें गोरखपुर से चुनावी मैदान में उतारने का फैसला किया है। खैर, अब इसे पार्टी का अंतिम फैसला माना जा रहा है, लेकिन अब सवाल यह है कि इस चुनाव में बीजेपी की धुर विरोधी मानी जा रही सपा की तरफ से इस सीट पर किसे उतारा जाएगा। यह सवाल इसलिए भी अहम है, क्योंकि अब तक जितने भी एग्जिट पोल सामने आए हैं, उसमें बीजेपी को अगर कोई कांटे की टक्कर देता हुआ नजर आ रहा है, तो वो सपा है, ऐसे में सियासी सूरमाओं की पैनी नजर सपा की गतिविधियों में पर है, जिसे ध्यान में रखते हुए सियासी गलियारों में ये सवाल किए जा रहे हैं कि आखिर सपा की तरफ से गोरखपुर से किसे चुनावी मैदान में उतारा जा सकता है।

फिलहाल, इसे लेकर सपा की तरफ से कोई आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है, लेकिन माना जा रहा है कि बीजेपी के क्षेत्रिय अध्यक्ष रहे उपेंद्र शुक्ला की पत्नी को सपा की तरफ से उतारा जा सकता है। बता दें कि विगत वर्ष 2020 उपेंद्र शुक्ला का निधन हो गया था। बीते दिनों ही उनकी पत्नी शुभावती शुक्ला और दोनों पुत्र अरविंद दत्त शुक्ला और अमित दत्त शुक्ला ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की मौजूदगी में सपा का दामन थामा है। तभी से इस बात की चर्चा तेज हो गई कि वे पार्टी ने उन्हें सीएम योगी के विरोध में गोरखपुर से सीट से उतार सकती है। बतौर पाठक आपको यह समझने में कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए की सपा प्रमुख अपने इस फैसले से प्रियंका गांधी की राह पर चलते हुए लड़की हूं, लड़ सकती हूं, के कथन को आत्मसात करते हुए भी नजर आ रहे हैं। बहरहाल, अब आगे चलकर सपा की तरफ से क्या कुछ फैसला लिया जाता है।

यह देखना दिलचस्प रहेगा। यहां हम आपको बताते चले कि सीएम योगी आदित्यनाथ साल 1998 से लेकर 2017 तक लगातार बीजेपी की तरफ से सांसद रहे। सर्वप्रथम उन्हें बीजेपी की तरफ से गोरखपुर से उतारा गया था। वे 1999, 2004, 2009 तथा 2014 में सांसद चुने गए। यहीं इन्होंने अप्रैल 2002 में उन्‍होंने हिन्दू युवा वाहिनी बनाई। 2017 में उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री बनने के बाद उन्‍होंने गोरखपुर सदर संसदीय सीट छोड़ी। अब वे एक बार फिर से इस सीट बतौर विधायक चुनाव लड़ने जा रहे हैं, तो ऐसी स्थिति में आगे चलकर उनके प्रति जनता की क्या प्रतिक्रिया आगामी चुनाव में सामने आती है। यह तो फिलहाल आने वाला वक्त ही बताएगा।

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