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Hijab Row: हिजाब पहनने की जिद्द करने वालों पर बिफरे आरिफ मोहम्मद, कहा- जिसे नहीं है यूनिफॉर्म पहनना, छोड़ दें शिक्षण संस्थान

नई दिल्ली। हिजाब को लेकर शुरू हुआ विवाद अब कितना लंबा चलेगा। यह तो फिलहाल कहना मुश्किल है। लेकिन अब इस मसले को लेकर प्रतिक्रियाओं का दौर शुरू हो चुका है। सियासी हलकों से लेकर गैर सियासी हलकों से इस मुद्दे पर प्रतिक्रियाओं की बरसात हो रही है। इसी कड़ी में केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने इस पूरे मसले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। आरिफ ने कहा कि शिक्षण संस्थानों द्वारा निर्धारित किए गए नियमों का पालन करने के लिए सभी बाध्य रहते हैं। इन नियमों का किसी धर्म, संपद्राय से कोई सरोकार नहीं होता है। स्कूल जाने के लिए एक विशेष यूनिफॉर्म का निर्धारण किया गया है। जिसे पहनने के लिए सभी बाध्य रहते हैं और अगर किसी को इन नियमों से कोई आपत्ति है, तो वो शिक्षण संस्थान जाना छोड़ सकता है। उन्होंने आगे अपने बयान में कहा कि शिक्षण संस्थानों में अनुशासन होना अनिवार्य है और आपका यह मूल कर्तव्य है कि आप अनुशासन के प्रति कर्तव्यनिष्ठ रहें।

वहीं, आरिफ मोहम्मद खान ने हिजाब विवाद को लेकर राजनीति चमकाने वाले लोगों को लताड़ते हुए कहा कि कुछ  लोग इन छात्राओं का इस्तेमाल अपनी राजनीति चमकाने के लिए कर रहे हैं। ऐसे लोगों से मैं कहना चाहता हूं कि ये लोग अपनी हरकतों से बाज आ जाए। राज्यपाल ने कहा कि मैं देख रहा हूं कि कुछ लोग हिजाब मसले को लेकर संवैधानिक प्रावधानों का हवाला दे रहे हैं, लेकिन मैं इन लोगों ये भी बता देना चाहता हूं कि संविधान के मुताबिक हम देश के कुछ संस्थानों द्वारा निर्धारित किए गए नियमों का पालन करने हेतु बाध्य होते हैं। उदारहण एक स्कूल के छात्र के लिए यूनिफॉर्म पहनना अनिवार्य है। ठीक उसी प्रकार से एक पुलिसकर्मी के लिए उसकी वर्दी अनिवार्य है, एक फौजी के लिए उसकी वर्दी अनिवार्य है, इस तरह से आप देखें तो हर संस्थाओं से जुड़े लोगों के लिए अलग-अलग ड्रेस क्रोड निर्धारित किए गए हैं और आप इन नियमों का पालन करने के लिए बाध्य होते हैं।

पूर्व की सरकारों पर भी बोला हमला

इसके साथ ही उन्होंने पूर्व की कांग्रेस सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि पहले की सरकारों में इन मसलों को उठाने की क्षमता नहीं होती थी। वो ऐसे मामलों से खुद को दूर ही रखती थी या आप कह सकते हैं कि उनमें इन मसलों के खिलाफ बोलने की हिम्मत नहीं होती थी, लेकिन वर्तमान सरकार ने इस मसले के खिलाफ आवाज उठाई है। राज्यपाल ने कहा कि जब आप स्कूल से बाहर जाते हैं और अपनी पढ़ाई से निवृत हो जाते हैं, तब आप आपकी मर्जी है, आप कुछ भी पहनिए, किसी को कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन जब आप शैक्षिक संस्थानों में होते हैं, तब आप कुछ नियत नियमों का पालन करने हेतु बाध्य होते हैं।

आखिर क्या है पूरा माजरा

बता दें कि इस विवाद की शुरूआत कर्नाटक के उड्डपी जिले के एक प्री यूनिवर्सिटी में कुछ मुस्लिम छात्राओं के हिजाब पहनकर कॉलेज जाने से शुरू हुई थी। कथित तौर पर छात्राओं को हिजाब पहनकर क्लास रूम में जाने की इजाजत नहीं प्रदान की गई थी, जिसके विरोध में छात्रों ने अब हिजाब पहनने को अपना संवैधानिक अधिकार बताकर इसे पहनने की जिद्द पर अड़ गई हैं। फिलहाल, यह पूरा मामला कोर्ट में विचाराधीन है। प्रदेश सरकार पूरे मसले की संवेदनशीलता को देखते हुए सभी शिक्षण संस्थानों में अवकाश घोषित कर चुकी है। अब ऐसे में देखना होगा कि आगे चलकर यह पूरा मामला क्या रुख अख्तियार करता है।

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