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Savarkar Comparison from Gandhi: फिर छिड़ा घमासान, वीर सावरकर की तुलना हुई महात्मा गांधी से, आजादी की लड़ाई में बताया बराबर योगदान

नई दिल्ली। महात्मा गांधी और वीर सावरकर को लेकर हमेशा ही हमारे देश में बहस देखने को मिलती है। कुछ ऐसे भी लोग हैं, जो महात्मा गांधी की वीर सावरकर से तुलना कर देते हैं और यहीं से बहस की शुरुआत हो जाती है। अब इसी बीच केंद्र सरकार के मताहत आने वाले संस्कृति मंत्रालय की पत्रिका दर्शन पत्रिका में एक लेख लिखा गया, जिसमें महात्मा गांधी की तुलना वीर सावरकर से कर दी गई। लेख में लिखा गया है कि वीर ने देश को आजादी दिलाने में महात्मा गांधी से कम योगदान नहीं दिया है। आगे लिखा गया है कि अगर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और वीर सावरकर द्वारा देश को आजादी दिलाने में दिए गए योगदान की बात करें, तो दोनों ही एक दूसरे के समकक्ष रहे हैं। कोई भी एक दूसरे कम नहीं रहा है। लेकिन, कुछ लोग अपने राजनीतिक स्वार्थ करने के लिए महात्मा गांधी के योगदान को सरहाने की कोशिश करते हैं। बता दें कि यह लेख विजय गोयल ने लिखा है।

उन्होंने लेख में महात्मा गांधी और वीर सावरकर के विभिन्न बिंदुओं को रेखांकित किया है। उन्होंने लेख में आगे लिखा है कि यह देखकर बहुत तकलीफ होती है, जिन लोगों ने देश को आजादी दिलाने की दिशा में कोई भी योगदान नहीं दिया है। जेल नहीं गए। कोई यातनाएं नहीं सही। वे आज वीर सावरकर द्वारा आजादी में दिए गए उनके योगदान की आलोचना करते हैं। इस लेख में उन्होंने वीर सावरकर के विभिन्न चरित्रों का बखान बखूबी किया है, जो कि इस समय खासा चर्चा में है। उधर, इस पूरे मसले को लेकर राजनीति भी शुरू हो चुकी है। टीएमसी ने इस लेख के संदर्भ में अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि यह देखकर बहुत तकलीफ होती है कि कुछ लोग महज अपने राजनीतिक स्वार्थ करने के लिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और वीर सावरकर सरीखे पुरुषों की आपस में तुलना कर रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि जो लोग भी इस तरह की तुलना कर रहे हैं, उन्हें भारतीय स्वाधिनता के बारे में कुछ पता नहीं है।

उन्होंने आगे कहा कि जिस नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या की थी। बीजेपी उसी की पूजा करती है। उन्होंने आगे कहा कि वीर सावरकर ने अंडमान निकोबर द्वीप समूह में ब्रिटिश हुकूमत को मुचलका देकर सरेंडर किया था, जिससे यह साफ जाहिर होता है कि वीर सावरक और महात्मा गांधी की आपस में तुलना करने वाले लोगों की सोच किस कदर विकृत हो चुकी है। उक्त लेख को लेकर राजनीतिक गलियारों में बहस का सिलसिला जारी है। अब ऐसे में आगामी दिनों में यह पूरा माजरा क्या कुछ रुख अख्तियार करता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।

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